Latest post

टेरेस फ़ार्मिंग क्या है?

किसान उत्पादक संगठन की अवधारणा

भारत सरकार खेती किसानी को आसान बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी के मध्येनजर भारत सरकार ने किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों के लिए शुरू की है। यह योजना किसानो को सही बाजार मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने में मदद के साथ किसान संगठन युक्त कंपनी का निर्माण करती है। योजना के तहत ३० जून २०२४ तक देश में 8875 किसान उत्पादक संगठन का पंजीकरण हो चूका है।

किसान उत्पादक संगठन

Farmer-Producer-Organization

किसान उत्पादक संगठन Farmer Producer Organization किसानों का एक समूह है। यह एक कृषि उत्पादन संगठन है। जो किसानों का कृषि उत्पादन कार्य आसान करता है। यह संगठन कृषि कार्यों को व्यवसायिक गति प्रदान करता है। जिसके बारे में सरकार किसानो को संगठित करके जागरूक कर रही है।

लगातार कम को रही कृषि भूमि किसानों के लिए चिंता का विषय है। जहां वर्तमान में 86% छोटे एवं सीमान्त किसान है। इसे देखते हुए सरकार ने एक कमेटी का निर्माण किया। इसके जरिये किसानो को एकजुट किया जाय। तथा किसानो संगठित खेती कर सके। जिससे किसान आधुनिक मशीन और तकनीक का उपयोग करके उन्नत खेती कर सके। 

किसानों को एक संस्था के रूप में विकसित करके कृषि कार्य किये जाये। कॉर्पोरेट मंत्रालय (MCA) ने FPO को क़ानूनी मान्यता दिया। जिसके जरिये किसान, इस संगठन से जुड़कर एक कंपनी बन जाता है। तथा एक कंपनी को मिलने वाले सभी तरह के फायदों का हकदार बन जाता है। जिससे व्यापर आसान हो जाता है। किसान इसमें रजिस्टर करने के बाद कंपनी का PAN N.,TAN N., GST आदि क़ानूनी दस्ताबेज प्राप्त हो जाते है।

एफपीओ का मालिक कौन है?

किसान उत्पादक संगठन(एफपीओ) किसानो का समूह है जिसका स्वामित्व उसके सदस्यों के पास होता है। इसका परिचालन सदस्यों के प्रतिनिधियों के माध्यम से.प्रबंधन के पास होता है। यह कृषि उत्पादक निर्माताओं का मंच है। यह कृषि उत्पादन में गतिशीलता, पंजीकरण, व्यवसाय योजना आदि में सहायता करके एफपीओ को बढ़ावा दिया जा रहा है।

गैर-किसानों के लिए संगठन

एफपीओ का उद्देश्य किसानों को एकत्रीकरण करके बेहतर आय सुनिश्चित करना है। एफपीओ प्राथमिक उत्पादकों का एक मंच है। यदि कोई उत्पाद एक गैर-कृषि मूल्यवर्धन वस्तु है (उदाहरण के लिए, हथकरघा या हस्तशिल्प), तो गैर-किसान भी पीओ बना सकते है।

एफपीओ पंजीकरण के फायदे

  1. किसान FPO में जुड़ने के साथ ही इसमें अंश धारक बन जाता है।
  2. साथ ही सरकार इसमें बराबर का सपोर्ट करती है।
  3. इस संगठन के सदस्य किसान होते हैं। इसे छोटे किसानों का कृषि व्यवसाय संघ कहते है।
  4. देश में तीन संस्थाएँ (NABARD, SFAC, NDC) एफपीओ को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है।
  5. FPO किसी भी उत्पाद के उत्पादकों, जैसे, कृषि, गैर-कृषि उत्पाद, कारीगर उत्पाद,आदि संगठन का सामान्य नाम है।

एफपीओ की महत्वपूर्ण गतिविधियाँ

एफपीओ अपने किसान सदस्यों की मदद के लिए समूह निर्माण है यह कृषि सम्बंधित कार्य करके सदस्यों को अधिक आय प्राप्त करने में सहायता करेगा। किसान उत्पादकों को कृषि उत्पादन में कौशल और विशेषज्ञता की आवश्यकता है। उनके द्वारा उत्पादित फसलों के उचित विपणन हेतु सहायता की आवश्यकता है। पीओ मूलतः इस अंतर को पाट रहा है। सम्पूर्ण फसल उपज की खरीद मार्केटिंग एवं अंतिम उत्पाद की डिलीवरी तक अन्य गतिविधियों को जिम्मेदारी से निस्तारण करता है।

किसान उत्पादक संगठन के फायदे

किसान उत्पादक संगठन (FPO) के लिए कानूनी इकाई के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य है? जिससे इकाई के रूप में संगठन को आगे बढ़ा सकते है। अन्य श्रोत सहित धन जुटाने, वैध अनुबंध अथवा विशिष्ट गतिविधि को सुचारु रखने से सम्बंधित कार्य के लिए पंजीकरण आवश्यक हैं। एफपीओ में भागीदारी से निम्नलिखित फायदे कार्य कर सकता है।

  1. उत्पाद की खरीद
  2. किसानों के बीच बाज़ार की जानकारी को पहुँचाना।
  3. विकसित नई प्रौद्योगिकी और नवाचारों से अवगत कराना।
  4. उत्पाद के लिए वित्त की सुविधा का प्रवन्ध।
  5. फसल उपज का एकत्रीकरण एवं उचित भंडारण
  6. FPO के अंतर्गत प्रसंस्करण कार्य जैसे सुखाना, सफाई करना और ग्रेडिंग करना आदि शामिल है।
  7. बीज का ब्रांड निर्माण, सही पैकेजिंग, लेबलिंग और उचित मानकीकरण से तैयार किया जाता है।
  8. फसल का उचित गुणवत्ता नियंत्रण किया जाता है।
  9. संस्थागत खरीदारों के लिए फसल विपणन
  10. कमोडिटी एक्सचेंजों में एफपीओ की भागीदारी निहित करना।
  11. उत्पादन निर्यात प्रबंधन

प्रति व्यक्ति के लिए उत्पाद की खरीद सस्ती कीमत पर होती है। इसके अलावा संगठन को थोक में परिवहन करने से परिवहन की लागत में भारी कमी हो जाती है। इस प्रकार कुल उत्पाद लागत कम हो जाती है। इसी प्रकार पीओ सभी सदस्यों की उपज को एकत्र करके थोक के बाजार में ला सकता है। और परिणामस्वरूप संभवतः प्राथमिक उत्पादकों को अधिक आय होगी।

इस प्रकार उपज की प्रति इकाई किसान को बेहतर कीमत प्राप्त होती है। पीओ आश्यकतानुसार बाजार की जानकारी भी प्रदान कर सकता है। बाजार भाव में असमानता की स्थिति में अपनी उपज को रोके रखने में सक्षम बनाता है।

एफपीओ में सदस्यों की संख्या

सरकार ने पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग दिशा निर्देश दिए है। एफपीओ योजन में प्रति समूह किसानों की न्यूनतम संख्या निर्धारित की गयी है। पहाड़ी क्षेत्र में किसान उत्पादन संगठन (FPO) के लिए न्यूनतम  100 सदस्य होने चाहिए। संगठन में एक CA व एक Director रख सकते है। अगर आप मैदानी क्षेत्र के किसान है तो मैदानी क्षेत्र में किसान उत्पादन संगठन (FPO) में न्यूनतम ३०० से शुरू कर सकते है। संगठन में एक CA व एक Director रख सकते है। भारत सरकार ने सभी के लिए FPO की शर्ते सामान रखी है।

एफपीओ योजना में ऋण सीमा

सरकार ने FPO schemeके अंतर्गत संगठन को सब्सिडी का प्रावधान रखा है, मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रो में अधिक सब्सिडी का प्रावधान है। इस योजना को बढ़ाने हेतु प्रत्येक एफ. पी. ओ. को 33 लाख रु. की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।  साथ ही क्लस्टर आधारित व्यवसाय यानि CBBO को 25 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसान उत्पादक संगठन में महिलाओं को अधिक महत्व दिया गया है।

टिप्पणियाँ