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भारत में कृषि के प्रकार

नींबू की खेती देगी आपको भरपूर उत्पादन

नींबू की खेती करने का तरीका

नींबू गोल एवं पकने पर पीले रंग का दिखाई देता है इसका पौधा होता है इसे खेत में आसानी से लगाया जा सकता है तथा कुछ दिनों की देखरेख के बाद यह फल देना शुरू कर देता है यह नींबू पकने की प्रक्रिया है जब हम घर के गमले में नींबू का पेड़ लगाते हैं तो उसे निजी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत में नींबू की खेती कैसे करें?

इसके साथ ही खेत में नींबू की बागवानी करके व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। नीबू साइट्रस परिवार से ताल्लुक रखता है, इसका उपयोग औषधि एवं पौष्टिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। लेमन ट्री फार्मिंग किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। यह विटामिन सी से भरपूर होने के साथ त्वचा के लिए काफी फायदेमंद है। नींबू के ढेरों फायदे के चलते किसान नींबू की खेती को अपना रहे हैं।

Lemon Tree के फायदों के चलते इसकी खेती Farming किसान को काफी फायदा दे सकती है। यह फल खाने में खट्टा एवं हल्का मीठा भी होता है, जिसे लोग खट्टा मीठा भी कहते हैं। नींबू की खेती को नींबू की बागवानी भी कह सकते हैं। जो व्यावसायिक उत्पादन के पैमाने पर नींबू का पेड़ लगाने की प्रक्रिया है। इससे सबसे अधिक खट्टे फलों में गिना जाता है। इसकी फसल भारत में उपस्थित दोमट मिट्टी तथा अन्य प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। उसके बारे में आगे बात करेंगे।

नीबू के लिए उपयुक्त जलवायू

नीबू की खेती में जलवायु का बहुत  महत्त्व है। इसका पौधा लागाने के लिए ऐसी वातावरण वाले स्थान  का चयन करें, जो नमीयुक्त वातावरण की उपलब्ध्ता हो हो। नीबू का पौधा उपयुक्त जलवायु, परिस्थियों और बाजार मांग वाले क्षेत्रो में सफल उद्यम हो सकता है।

खेत की मिट्टी का चयन

Lemon Tree In India में इसे पाले मुक्त वातावरण की आवश्यकता है। नीबू की अच्छी ग्रोथ पाने के लिए दिन का तापमान 21 - 29 डिग्री के बीच होना चाहिए। नीबू की बागवानी लगाने के लिए मिटटी  का अनुकूलन होना आवशयक है। मिट्टी की जाँच अनिवार्य रूप से कराए। इसके अलावा 6 -  6.5 PH वाली मिट्टी में नींबू का पौधा लगाया जा सकता है। इसका पौधा दोमट एवं मटियार दोमट मिट्टी में अच्छी तरह पनपता है।

नींबू की उन्नतशील किस्म

अधिक सफल उत्पादन के लिए ऐसी किस्मो का चयन करें, जो आपकी मृदा एवं जलवायु के अनुकूल हो। यहाँ कुछ नींबू की उन्नतशील किस्म के बारे में बताया गया है जिनसे अच्छा उत्पादन मिल सकता है। 

  • कागजी नींबू - इसका छिलका पतला एवं मुलायम मुलायम होता है इसके अंदर रस की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
  • कागजी कला - यह किस्म कृषि अनुसंधान केंद्र पूसा द्वारा विकसित की गई है। इसका छिलका पतला एवं रस की मात्रा अधिक होती है। इसके एक फल का वजन 50 ग्राम तक होता है। इससे साल में दो बार उत्पादन ले सकते हैं।

  • ग्रीष्म ऋतु के लिए - यूरेका, लिस्वन, मेयर, पॉन्ड्रोसा, फेमिनेलो,  पंतलेमन आदि शामिल हैं।

नींबू की रोपाई

खेत की जुताई करके तैयार कर लें। खरपतवार एवं मलवा बाहर निकाल दे। खेत की सफाई होने की बाद रोपाई प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। इसके लिए पौधे से पौधे की दूरी 5 मीटर एवं लाइन से लाइन की दूरी 5 मी. निर्धारित करें। निर्धारित जगह पर 3 फीट चौड़ा 3 फीट गहरा एवं 3 फीट ऊंचा गड्ढा, मई के महीने में तैयार किया जाता है।

इसे 1 महीने पहले खुला छोड़ देते हैं। नींबू के पौधे की रोपाई के लिए पहली बारिश से पहले का समय उपयुक्त रहता है। पौधे पर पर्याप्त सूर्य का प्रकाश, वायु प्रवाह एवं नमी, पौधों के अग्रिम विकास की अनुमति देता है। पौधों की रोपाई करते समय 20 किलो गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट मिलाकर गड्ढों में डालें।

बीज की रोपाई

नींबू के बीज की रोपाई करके नर्सरी तैयार कर ली जाती है। इसकी बुवाई का उचित समय अगस्त से सितंबर तक है। इसके अलावा कलम से भी पौध को तैयार किया जा सकता है। कलम से पौधों तैयार होने में कुछ महीने लग सकते हैं। नजदीकी नर्सरी में नींबू की तैयार पौध मिल जाती है। इस पौध को निर्धारित गड्डो में लगा देते हैं। इसके साथ ही लिण्डेन दवा 200 ग्राम / गड्डा डालना चाहिए। इसके साथ ही तुरंत सिंचाई अनिवार्य है।

फसल की सिंचाई

पौधों के शीघ्र वृद्धि एवं जीवन के लिए पर्याप्त नमी की व्यवस्था करें। मिट्टी एवं जलवायु के अनुसार सिंचाई की आवश्यकता भिंन्न हो सकती है। निरंतर नमी की जांच करें और अधिक पानी देने से बचे हैं। नींबू की पौध को गर्मी में 5 से 6 दिन के अंतराल पर पानी की आवश्यकता होती है। सर्दियों में यह 10 से 15 दिन के अंतराल में दे सकते हैं।

नींबू की खेती में खाद एवं उर्वरक

Best Fertilizer For Lemon Tree In India

पौधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक उर्वरक मुहैया कराएं। अपनी बागवानी में आवश्यक पोषक तत्व की निगरानी करें तथा आवश्यकता होने पर उर्वरकों को समायोजित करें। नींबू की फसल शीघ्र उत्पादन पाने के लिए पोषक तत्व अनिवार्य है। पौधों के एक साल बाद 60 किलो गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट खाद, 2.5 किलो कैल्सियम अमोनियम सल्फेट, 2.5 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 1.5 किलो पोटास के मिश्रण को रोपाई के एक साल बाद आधी बराबर मात्रा का प्रयोग करें तथा दूसरा प्रयोग फुल आने की अवस्था में किया जाता है।

फसल में खरपतवार नियंत्रण

पौधों को खरपतवार से बचाना आवश्यक है। रोपाई के बाद खरपतवार आने पर उन्हें साफ कर दिया जाता है। साथ ही पौधों पर हल्की मिट्टी चडा देते हैं। समय के साथ खरपतवार में वृद्धि होने लगती है। नींबू की खेती में खरपतवार के नियंत्रण के लिए (चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार) ग्रामोस्टोन ढाई किलो प्रति हेक्टेयर छिड़काव से खरपतवार से मुक्ति मिल सकती है।

खेती में रोग एवं कीट नियंत्रण

बढ़ती पौधों की अवस्था के साथ रोग एवं कीट का निस्तारण आवश्यक है। नींबू के पेड़ में एफिड्स और साइट माइनर जैसे कीटों का प्रकोप हो जाता है। जो फसल के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पौधों की नियमित निगरानी और निस्तारण के लिए उपयुक्त योजना बनाएं।

  • रोग - इस फसल में कैंकर रोग भी आता है जिससे पौधों की शाखा सूख जाती है। समय के साथ यह रोग धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। इस रोग से ग्रसित शाखा को पेड़ से काटकर अलग कर दिया जाता है। तथा बची शाखा पर बाड़ोमिक्चर का लेप तुरंत लगाना चाहिए। इसके अलावा सायट्रस ग्रीनिंग और जड़ सड़न शामिल है।
  • कीट - नींबू के पेड़ को रोगों के साथ ही कुछ हानिकारक कीट भी क्षति पहुंचाते हैं। इनमें लीफमाइनर, माहूँ, स्केल कीड़े प्रमुख है। कीट नियंत्रण के लिए डाई मेथड 30% ईसी 20ml प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए।

नींबू की कटाई

पेड़ से नींबू प्राप्त करने में लगभग 3 साल लगते हैं। नींबू के पौधे 3 से 4 साल के अंदर पूर्ण उत्पादन देने लगते हैं। नींबू की तुढ़ाई करने का समय उनकी परिस्थिति के अनुसार निर्धारित किया जाता है, जोकि पूर्ण विकसित रंग, आकार, स्वाद तक पहुंच जाने पर पेड़ से सावधानीपूर्वक फलों को निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया में तेज धार के उपकरण प्रयोग में लाए जाते हैं। इनकी गुणवत्ता एवं जीवन के लिए उचित भंडारण प्रक्रिया अपनाएं।

विपणन

विस्तृत नींबू उत्पादन करने के साथ ही विपणन चैनल स्थापित करें। नजदीकी बाजार, सुपर मार्केट, पेयपदार्थ विक्रेता, जूस कंपनी आदि से संपर्क स्थापित करें।

बाग प्रबंधन

बेहतर फसल उत्पादन एवं उन्नति के लिए नियमित बाग प्रबंधन, आवश्यक संसाधन प्रथाओं को अपनाकर खरपतवार नियंत्रण, छटाई, रोग एवं कीट नियंत्रण से मुक्त रखें। अपने क्षेत्र के अनुरूप दिशा निर्देश और सर्वोत्तम विकास सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों से परामर्श करना याद रखें।

नींबू एक सफल फायदेमंद हो सकता है। नींबू की खेती ज्ञान समर्पण प्रबंधन की आवश्यकता होती है। उन्नत किस्म एवं नवीनतम शोध, खरपतवार की निगरानी एवं बाग प्रबंधन तकनीक आपको नींबू की खेती में अग्रिम सफलता दिला सकता है।

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