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जैविक खाद organic fertilizer को कार्बनिक खाद भी कहते हैं। इसके प्रयोग से मिट्टी में ह्यूमस का निर्माण होता है तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं गुणवत्ता में सुधार होता है। भूमि में बहुत सी खादों का प्रयोग किया जाता है। जिनमें जैविक खाद प्रमुख है। इसके इस्तेमाल करने से भूमि की उर्वरक शक्ति में वृद्धि होती है।
जैविक खाद क्या है |
जैविक खाद क्या है ?
जिससे भूमि में वायु संचार बना रहता है। जैविक खाद को एक पूर्ण खाद भी कहते हैं। जिससे पौधों को आवश्यकता अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। इसे कार्बनिक खाद भी कहते हैं। यह खाद प्राकृतिक रूप से तैयार किया जाता है। इसमें पशु पक्षियों के मल मूत्र तथा पेड़ पौधों की छाल को पतियों और फलों के अवशेष को प्रयोग में लाया जाता है। जिसे जैविक खाद कहते हैं
हम सबसे लोकप्रिय प्रकार के जैविक उर्वरकों पर एक नज़र डालेंगे और बताएंगे कि वे आपके बगीचे को स्वस्थ और मजबूत बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं।
जैविक खाद शायद सबसे प्रसिद्ध प्रकार की जैविक खाद है। यह जानवरों के अपशिष्ट उत्पादों, जैसे मूत्र, मल और बिस्तर से बनाया जाता है। खाद नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और अन्य आवश्यक पौधों के पोषक तत्वों का एक बड़ा स्रोत है।
जैविक खाद के प्रकार
जैविक खाद को सभी तरह की फसलों में प्रयोग कर सकते हैं। इसके प्रयोग से भूमि में मौजूद सूक्ष्म लाभदायक जीवाणु पौधों की जड़ों को मजबूती प्रदान करने का कार्य करते हैं। कुछ दलहनी फसलों को उगने से भूमि की उत्पादक और उर्वरक शक्ति विकसित होती है। जैविक खाद दो प्रकार की होती है.
- गोबर की खाद
- कंपोस्ट
- वर्मी कंपोस्ट
- जैविक खाद
आदि प्रमुख खाद है।
गोबर की खाद
गोबर की खाद बनाने में लगभग 3 महीने का समय लगता है यह समय इसकी मात्रा और इसमें उपयोग होने वाली सामग्री पर निर्भर करता है। गोबर की खाद में 0 .5 - 1.5% नाइट्रोजन, 0.4 - 0.8% फास्फोरस , 0.5 -1.9% पोटास पाया जाता है। गोबर की खाद बनाने में उपयोग होने वाली सभी मिश्रण आसानी से किसान के पास ही उपलब्ध होते हैं।
- पशुओं का गोबर मल मूत्र
- पशुओं का बचा हुआ चारा बताने का मिश्रण
- पेड़ पौधों की पत्तियां कूड़ा कचरा
- पानी आवश्यकता होने पर
गोबर की जैविक खाद बनाने के लिए गड्ढा का उपयोग करना चाहिए जिससे खाद जल्दी तैयार हो
कंपोस्ट खाद
इसको मित्र खाद भी कहा जाता है। कंपोस्ट खाद को बनाने के लिए अवशेषों को सड़ा कर कल आकर कंपोस्ट का तैयार किया जाता है। कंपोस्ट खाद में 0.4 - 0% नाइट्रोजन, 3% - 0% फास्फोरस, 0.7 से 1.0% पोटास पाई जाती है।
इसमें प्रयोग होने वाले पदार्थ को गड्ढों में भरा जाता है तथा ऊपर से मिट्टी डाली जाती है। जिससे गड्ढे में सूक्ष्म जीवाणुओं के अपघटन तीव्रता से होता है। इस में प्रयोग होने वाले पदार्थ गांव शहर सभी जगह उपलब्ध होते हैं
- इसमें फसलों के अवशेष
- फसलों की लकड़ी
- चारा भूसा या सरसों की दूरी का प्रयोग कर सकते हैं
- पेड़ों की पत्तियां
- फसलों में मौजूद अनावश्यक खरपतवार एवं अन्य अवशेषों को गड्ढों में सड़ाकर कंपोस्ट खाद बनाई जाती है
वर्मी कंपोस्ट
वर्मी कंपोस्ट को केचुए के माध्यम से तैयार किया जाता है। जिसे जैविक खाद भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है की 1 फुट के गोबर को 900 से 1000 केचुए 2 महीनों में वर्मी कंपोस्ट (जैविक खाद) का निर्माण करते हैं। जैविक खाद में 0.5 -1.5% नाइट्रोजन, 0.1 - 0.3% फास्फोरस,0.06 - 0.3% सोडियम पाया जाता है
वर्मी कंपोस्ट में निम्नलिखित कोमल के बाद केंचुए द्वारा बनाया जाता है
- ठंडा हुआ गोबर
- पानी
- केंचुआ
- सूक्ष्म जीवाणु
- बेसन केचुए की संख्या वृद्धि के लिए
- समतल व ठोस जगह
- छाव हवादार स्थान
केचुए द्वारा बनाई गई इस खाद को कपोस्ट खाद कहते हैं
पौधे आधारित जैविक उर्वरक - पौधों की सामग्री से व्युत्पन्न, ये उर्वरक आम तौर पर पशु-आधारित जैविक उर्वरकों की तुलना में नाइट्रोजन और पोटाश में कम होते हैं। हालांकि, वे फॉस्फेट और अन्य आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में उच्च होते हैं, जो उन्हें मिट्टी के संवर्धन के लिए एक अच्छा विकल्प बनाते हैं। उन्हें रोगजनक या कीट होने की संभावना कम होने का भी फायदा होता है।
हरी खाद
हरी खाद भी जैविक खाद की तरह महत्वपूर्ण है। इसके परिणाम भी जैविक खाद के बराबर मिलते हैं। इसे किसान अपने खेत में फसल के माध्यम से करते हैं। इसमें ढैंचा व सनई हरी खाद बनाने में प्रमुख है|किसान भूमि में इसकी बुवाई करते हैं तो 60 से 90 दिन में हरी खाद तैयार हो जाती है।
- मिट्टी में वायु संचार अच्छा बना रहता है।
- खेत की मिट्टी स्वस्थ रहती है।
- पैदावार में बढ़ोतरी होती है
- मिट्टी का PH पीएच सामान रखने में सहायक होता है।
- पौधे की ग्रोथ को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- भूमि में जैविक पदार्थ की वृद्धि होती है।
- वर्मी कंपोस्ट खाद मिट्टी का PH पीएच सामान रखने में सहायक होता है।
- वर्मी कंपोस्ट खाद केमिकल खाद से बेहतर होते हैं।
- वर्मी कंपोस्ट पौधे की ग्रोथ को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
- वर्मी कंपोस्ट खाद से मिट्टी में हारमोंस और सूक्ष्म जीवों का विकास होता है
- वर्मी कंपोस्ट हार्मोन ऑक्सिन, प्रीनिक एसिड एंजाइम फॉस्फेट सेलूलोज आदि की मात्रा को बढ़ाता है
- केंचुआ गोबर खाकर मल के माध्यम से पेली टॉपिक झिल्ली की मदद से धूल को जमीन से चिपकाकर नमी को बनाए रखने में मदद करती हैं।
- खाद से कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी होती है जिससे भूमि में जैविक पदार्थ की वृद्धि होती है।
- जैविक खाद का प्रयोग खेती में करने से मिट्टी में वायु संचार अच्छा बना रहता है।
- खेत की मिट्टी स्वस्थ रहती है।
जिसे खेत में ही जुदाई करके मिट्टी में अच्छी तरह मिला दिया जाता है। कई जुताई समय-समय पर करने के पश्चात हरी खाद के अवशेष भूमि की मिट्टी में मिल जाते हैं। जिससे भूमि में भौतिक और रासायनिक एवं जैविक सुधार में वृद्धि देखी जा सकती है। जिससे भूमि में वायु संचार नाइट्रोजन व पोषक तत्वों की वृद्धि होती है।
जैविक खाद के लाभ
जैविक खेती और जैविक खाद्य के बारे में इन दिनों बहुत चर्चा हो रही है। अधिक से अधिक लोगों को यह एहसास हो रहा है कि जैविक भोजन न केवल उनके स्वयं के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। लेकिन जैविक खाद का क्या? क्या यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है?इसका उत्तर है हां,
जैविक खाद पर्यावरण के लिए अच्छा है। वास्तव में, यह हमारे ग्रह को संरक्षित करने में मदद करने के लिए सबसे अच्छी चीजों में से एक है। यहाँ पर क्यों
1. जैविक खाद प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती है।
2. यह हानिकारक रसायनों का उत्पादन नहीं करता है जो मिट्टी और पानी को दूषित कर सकते हैं।
3. यह भूमि की मिट्टी को स्वस्थ और उपजाऊ बनाए रखने में मदद करता है।
4. यह स्वस्थ पौधों के विकास को बढ़ावा देता है और बीमारी को रोकने में मदद करता है।
यह नवीकरणीय और टिकाऊ है, जिसका अर्थ है कि इसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
जब जैविक उर्वरकों की बात आती है, तो दो मुख्य प्रकार होते हैं
- जैविक और अकार्बनिक - कार्बनिक उर्वरक प्राकृतिक अवयवों से बनाए जाते हैं, जबकि अकार्बनिक उर्वरक सिंथेटिक रसायनों से बनाए जाते हैं।
- जैविक उर्वरक बनाम अकार्बनिक उर्वरक - "जैविक" और "अकार्बनिक" शब्द अक्सर सामग्री और पदार्थों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। "ऑर्गेनिक" शब्द का प्रयोग आमतौर पर किसी ऐसी चीज का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो सिंथेटिक रसायनों या कृत्रिम अवयवों के उपयोग के बिना उगाई या उत्पादित की जाती है।
- दूसरी ओर, "अकार्बनिक" शब्द का प्रयोग आमतौर पर किसी ऐसी चीज़ का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो जैविक नहीं है।
- पशु-आधारित जैविक उर्वरक - जानवरों के मलमूत्र से बने इन उर्वरकों में नाइट्रोजन और पोटाश की मात्रा अधिक होती है। उनमें नमी भी अधिक होती है, जो उन्हें उन फसलों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाती है जिन्हें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
- पशु-आधारित जैविक उर्वरकों का उपयोग करने का प्रमुख नुकसान यह है कि उनमें रोगजनक हो सकते हैं और कीटों को आकर्षित कर सकते हैं।
- जिनमें से उड़द, मूंग, सोयाबीन आदि प्रमुख फसल है। यह जैविक खाद पौधों में कार्बनिक खेती के उद्देश्य को पूरा करता है। जैविक खाद अलग-अलग प्रकार की होती है। जिनको स्वयं किसान तैयार कर सकते हैं।
जैविक खाद के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं।
- कम्पोस्ट: सबसे लोकप्रिय प्रकार की जैविक खाद, कम्पोस्ट विघटित कार्बनिक पदार्थ, जैसे पत्ते, घास की कतरन, खाद्य अपशिष्ट और खाद से बनाई जाती है।
- खाद: एक अन्य लोकप्रिय प्रकार की जैविक खाद, खाद जानवरों के अपशिष्ट उत्पादों, जैसे गाय के गोबर, चिकन की बूंदों और सुअर के ढेर से बनाई जाती है।
- ग्रीन्सैंड: एक प्रकार का खनिज उर्वरक जो बारीक पिसे हुए बलुआ पत्थर से बना होता है जो पोटेशियम और मैग्नीशियम में उच्च होता है।
- समुद्री शैवाल: समुद्री शैवाल से निकाला गया एक प्रकार का जैविक उर्वरक जो नाइट्रोजन, पोटेशियम और फास्फोरस में उच्च होता है।
- जैविक खाद कार्बनिक पदार्थों को मिलाकर मिट्टी में सुधार करती है। यह नमी बनाए रखने में मदद करता है, जो शुष्क जलवायु में महत्वपूर्ण है, और यह मातम को दबाने में मदद करता है। कार्बनिक पदार्थ पोषक तत्वों को अवशोषित और संग्रहीत करने की मिट्टी की क्षमता में भी सुधार करते हैं।
- कुछ जैविक उर्वरक मिट्टी को विशिष्ट पोषक तत्व प्रदान करने में बेहतर होते हैं, जबकि अन्य मिट्टी की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने के लिए काम करते हैं।
- आपके लिए सर्वोत्तम प्रकार का जैविक उर्वरक आपकी आवश्यकताओं और आपकी मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करेगा।
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