Latest post

टेरेस फ़ार्मिंग क्या है?

उर्वरक क्या है, कृषि में इसका क्या महत्व है

what are Fertilizer?

बदलती जलवायु और भूजल की कमी के साथ, फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए उर्वरकों का उपयोग करना अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। यहीं पर उर्वरक काम आते हैं। उर्वरकों का मतलब है कि पौधे की वृद्धि को बेहतर बनाने के लिए मिट्टी में मिलाए जाने वाले पदार्थ। वे कार्बनिक या अकार्बनिक हो सकते हैं। जैविक उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे खनिजों से बने होते हैं।

उर्वरक

उर्वरक ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो मनुष्य द्वारा कारखानों में बनाए जाते हैं। इन्हें एक निश्चित अनुपात में बनाया जाता है जिससे तुरंत परिणाम मिलते हैं। ऐसे उर्वरक पानी में जल्दी घुल जाते हैं और पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी, पानी और जमीन में मौजूद लाभदायक कीटों को नुकसान पहुँचता है। ये रासायनिक तरीकों से बनाए जाते हैं। इन्हें रासायनिक खाद भी कहते हैं।

उर्वरक वे पदार्थ होते हैं जिन्हें पौधों की वृद्धि में सुधार करने के लिए मिट्टी में मिलाया जाता है। पोषक तत्व वे पदार्थ होते हैं जो मनुष्य द्वारा कृषि फसलों और पौधों को दिए जाते हैं जिनमें उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक तत्व होते हैं।

वे पोषक तत्व जो जल्दी परिणाम देते हैं उन्हें उर्वरक कहते हैं। उर्वरक का मतलब है वे पदार्थ जो पौधों की वृद्धि को बेहतर बनाने के लिए मिट्टी में मिलाए जाते हैं। वे जैविक या अकार्बनिक हो सकते हैं। अकार्बनिक उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे खनिजों से बने होते हैं। जैविक उर्वरक हरी खाद, कम्पोस्ट जैसी सामग्रियों से बने होते हैं। इस लेख में हम विभिन्न प्रकार के उर्वरकों और उनके लाभों पर चर्चा करेंगे।

उर्वरक का उपयोग

  • विभिन्न प्रकार के उर्वरक हैं, जिनमें जैविक और अकार्बनिक शामिल हैं। अकार्बनिक उर्वरकों में रसायन होते हैं, जबकि जैविक उर्वरक पौधों या जानवरों के कचरे से आते हैं।
  • उर्वरकों का उपयोग पौधों की वृद्धि में दो तरह से सुधार करने के लिए किया जाता है: पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके और मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ाकर।
  • उर्वरकों का उपयोग फसलों के उत्पादन को बढ़ाने और फलों और सब्जियों की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी किया जाता है।

उर्वरक में आवश्यक पोषक तत्व

  • प्राथमिक पोषक तत्व - NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम)
  • द्वितीयक पोषक तत्व (कैल्शियम ,मैग्नीशियम, सल्फर)

मिट्टी में अधिकांश प्राथमिक और द्वितीयक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इनकी ज्यादा जरूरत नहीं होती। निम्नलिखित पोषक तत्व हैं लोहा, तांबा, जस्ता, कोवाल्ट, मैग्नीशियम, बोरॉन, क्लोरीन आदि। ये पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। इनके बिना पौधों की वृद्धि रुक ​​जाती है। पौधों को अपने जीवन के लिए एनपीके नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम की आवश्यकता होती है। जिससे पौधे बढ़ते हैं।

उर्वरक कितने प्रकार के हैं

उर्वरक मुख्यतः दो प्रकार के होते है।

  1. जैविक उर्वरक (Bio-Fertilizers)
  2. कृत्रिम उर्वरक (Artificial Fertilizer)

कृत्रिम उर्वरको का प्रयोग अधिक उत्पादन के एवं शीघ्र वित्तीय सहायता के मकसद के लिए किया जाता है।रासायनिक उर्वरक हालांकि, इनमें से अधिकतर उर्वरक विलय या वाष्पित होने पर नष्ट हो जाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है।कृत्रिम उर्वरक ऐसे उर्वरकहै पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मिटटी में मिलाये जाते है।

इनका उतपत्ति ईधन या प्राकृतिक गैसों से रासायनि प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। एक आम गलत धारणा यह है कि कृत्रिम उर्वरकों का उपयोग जैविक खाद की आवश्यकता को प्रतिस्थापित कर सकता है। ऐसा नहीं है, क्योंकि कृत्रिम उर्वरक मिट्टी के रासायनिक गुणों में सुधार करने में सक्षम हैं, लेकिन चूंकि उनमें कार्बनिक पदार्थ नहीं होते हैं।

इसलिए वे कटाई के माध्यम से कार्बनिक पदार्थों के नुकसान का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होते हैं। यह लंबे समय से ज्ञात है कि कृत्रिम उर्वरक मिट्टी के रासायनिक गुणों में सुधार करने में सक्षम हैं।

कृत्रिम उर्वरक दो प्रकार के होते हैं:

नाइट्रोजन उर्वरक (यूरिया)

रासायनिक उर्वरकों का उपयोग लंबे समय से एक विवादास्पद विषय रहा है। रासायनिक उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। और फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। नाइट्रोजन उर्वरक में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसमें नाइट्रोजन का अणु सम्मिलित होता है।

इसमें सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला नाइट्रोजन उर्वरक यूरिया पूरे भारत में प्रयोग किया जाता है। इस का PH मान 7 होता है तथा इसमें 46 % परसेंट नाइट्रोजन पाई जाती है। यह सफेद चमकदार ठोस गोल दाने के रूप में पाया जाता है। यह जल में पूर्ण विलेय उर्वरक है। इसे आसानी से बना सकते हैं। जो कि नाइट्रोजन का प्रमुख स्त्रोत माना जाता है। यह पौधे की वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है। यह रासायनिक प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है।

बदलते समय में दानेदार यूरिया की जगह तरल यूरिया भी आ गया है। जोके दानेदार यूरिया की तरह ही काम करता है। जिसे नैनो तरल यूरिया कहा जाता है। यह भी नाइट्रोजन का एक प्रमुख स्रोत है

तथा यह तरल होने की वजह से छिड़काव विधि से पौधों को प्राप्त होता है। यह दानेदार यूरिया की तुलना में अधिक किफायती एवं फायदेमंद है। जिससे पौधे पूर्णता अवशोषित करते हैं जो के पौधों की पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है।

दानेदार यूरिया का निर्माण अमोनिया एवं कार्बन डाइऑक्साइड को 50 डिग्री सेंटीग्रेड में दाव द्वारा बनाया जाता है। यह एक संश्लेषित कार्बनिक योगिक है। इस के अधिक प्रयोग से फसल नष्ट भी हो सकती है जोकि वायह्यूरेट नामक तत्व की अधिकता के कारण पौधे की पत्तियां जल जाती है।

डाई-अमोनियम सल्फेट(DAP)

डाई अमोनियम सल्फेट DAPफसल उत्पादन के लिए पहले और सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले नाइट्रोजन (N) उर्वरकों में से एक था। यह सफेद एवं काला सख्त सामान आकार के गोल दानेदार होता है। यह आग के सम्पर्क पर फूल जाता है।

इसके प्रयोग के शुरूआती दिनों में डाई अमोनियम सल्फेट ही किसानों के लिए उपलब्ध एकमात्र N उर्वरक था। यह अभी भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यूरिया और निर्जल अमोनिया जैसे अन्य एन उर्वरकों द्वारा इसकी लोकप्रियता को पार कर लिया गया है।

अमोनियम सल्फेट एक अकार्बनिक नमक है जो मिटटी की उर्बरता के रूप में जाता है इसमें नाइट्रोजन 21% पाया जाता है। इसलिए इसे नाइट्रोजनी उर्वरक कहते है। अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट तथा सल्फेट दोनों तरह के होते है।

इसलिए इसे मिश्रित उर्वरक भी कहते है। इसके अधिक उपयोग से भूमि अम्लीय या छारीय या बंजर हो सकती है। ऐसी अवस्थ होने पर जिप्सम का प्रयोग करने से भूमि सुधर कर सकते है। इसके अंदर 20-30% नाइट्रोजन पाया जाता है नाइट्रोजनी उर्वरक में 30 % नाइट्रोजन पाया जाता है।

सिंगल सुपर फास्फेट(SSP)

सिंगल सुपर फास्फेट रासायनिक उर्वरक है इसमें डीएपी एवं एनपीके की तरह भी होता है इसमें 16 परसेंट फास्फोरस एवं 11 % सल्फर होती है यह पिसा हुआ भी उपलब्ध हो जाता है। इसमें उपलब्ध सल्फर दलहनी एवं तिलहनी फसलों में अधिक लाभ प्रदान करता है। यह डीएपी की अपेक्षा सस्ता होता है यह डीएपी की तरह दिखने के कारण दोनों को आपस में मिलाकर देखने पर दोनों में कोई अंतर नहीं दिखता

पोटास(potash)

पोटास एक जरूरीउर्वरक है। जो कि पौधों की वृद्धि में सहायक होता है। पोटाश में पोटेशियम की अलग-अलग सॉल्ट होते हैं। भूमि में इसकी कमी हो रही है। यह पौधों के विकास मैं सहायक होते हैं। पोटास की कमी से पौधे का विकास रुक जाता है एवं पत्तियां पीली पड़ जाती है

पोटाश का उपयोग धान गेहूं आदि फसल में उनके विकास में वृद्धि के लिए किया जाता है। यह लाल पिसा हुआ महीन बुरादे जैसा होता है इसमें 8 % पोटास, 8 %नाइट्रोजन, 8 % फास्फोरस होता है। जिससे तना एवं गाने में वजन की वृद्धि होती है चमक बढ़ाने में भी सहायक होते हैं

जैविक खाद

जैविक Bio-Fertilizer या जैव उर्वरक कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थ होते हैं जिनमें जीवित कोशिकाएं या पौधों, जानवरों और बैक्टीरिया के ऊतक होते हैं। यह जैविक प्रक्रिया द्वारा बनाये जाते है। जिसे प्राकृतिक उर्वरक भी कहते है। यह कवको शैवालों तथा जीवाणुओं के अपघटन के द्वारा तैयार किये जाते है।

इसमें ६० से ९० दिनों का समय लग सकता है। तथा यह पर्यावरण के अनुकूल होते है। इनके अंदर मुख्या पोषक तत्व निहित होते है यह सुचम जीवो द्वारा प्राप्त होने के कारण इन्हे जैविक उर्वरक कहते है।जैव उर्वरक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें रोगाणु होते हैं। 

ये रोगाणु पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ाकर पौधों और पेड़ों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। जैविक -उर्वरक मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने का एक शानदार तरीका है, और वे खरपतवार के विकास को नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं।

अच्छे उर्वरक की पहचान

  1. यह खाद पानी में पूरी तरह घुल जानी चाहिए।
  2. इसमें मौजूद पोषक तत्व पौधों को आसानी से उपलब्ध होने चाहिए।
  3. इसका पौधों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होना चाहिए।
  4. खाद में मौजूद पोषक तत्व सही अनुपात में मौजूद होने चाहिए।
  5. खाद का इस्तेमाल करने से पहले उसका परीक्षण कर लेना चाहिए।
  6. खाद किसी विश्वसनीय व्यक्ति, दुकान या संस्थान से ही खरीदें।
  7. खाद का इस्तेमाल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

विश्व में उर्वरक उत्पादक देश

  1. चीन 23.6 मिलियन टन
  2. भारत 10.6 मिलियन टन
  3. USA 9.6 मिलियन टन
  4. रूस 6 मिलियन टन
  5. कनाडा 3.8 मिलियन टन

भारत में उर्वरक कारखाने

  1. कोरोमंडल इंटरनेशनल लि. गुजरात
  2. नर्मदा घाटी उर्वरक और रसायन लि.
  3. चंबल फर्टिलाज़र एंड केमिकल लि.
  4. राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक लि एग्रो केमिकल लि गुजरात
  5. स्टेट फ़र्टिलाइज़र एंड केमिकल लि.

हमने उर्वरकों के उपयोग के बारे में बात की। हमने जैव-उर्वरक और पोषक तत्वों के बारे में बात की। हमने उर्वरक की परिभाषा और उसके लाभ और प्रकारों को समझा। हमने उर्वरक का अर्थ समझा और उर्वरक क्या है।

टिप्पणियाँ