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अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संधारणीय कृषि: एक जिम्मेदार भविष्य का निर्माण

सतत कृषि का मतलब है फसल को इस तरह उगाना जो अभी और भविष्य में भी पर्यावरण के लिए अनुकूल हो, किसानों के लिए सही हो, और समुदायों के लिए सुरक्षित हो। हानिकारक रसायनों का उपयोग करने या मिट्टी को नुकसान पहुँचाने के बजाय यह फसलों को बदलने, खाद का उपयोग करने और पानी बचाने जैसे प्राकृतिक तरीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रकृति की रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि किसानों की लागत कम करके और उन्हें एक स्थिर आय अर्जित करने में भी मदद करता है। इसका मतलब यह भी है कि हम जो खाना खाते हैं वह ताज़ा, स्वस्थ और अधिक जिम्मेदारी से उत्पादित हो सकता है। ऐसी दुनिया में जहाँ जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और खाद्य असुरक्षा वास्तविक समस्याएँ हैं, टिकाऊ कृषि एक बेहतर, दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है जो सभी को लाभान्वित करती है - हमारी फसल को उगाने वाले लोगों से लेकर इसे खाने वाले लोगों तक। छात्रों सहित युवा लोगों को यह सीखकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए कि उनका भोजन कहाँ से आता है और ऐसे विकल्प चुनें जो एक स्वस्थ ग्रह का समर्थन करते हैं। संधारणीय कृषि क्या है? मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और खा...

क्या घर के आंगन में बांस उगाना चाहिए ?

आज हम घर में लगाए जाने वाले ऐसे शुभ पौधों के बारे में बात करेंगे जो वास्तु और ग्रह स्वामी के लिए लाभकारी होते हैं। ये पेड़-पौधे फूल और फलदार पौधे होते हैं जो अपने आस-पास के वातावरण को शांति, पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं। ये पौधे आपके जीवन की सभी मुश्किलों को आसान बनाने में मददगार साबित होते हैं। तो चलिए बात करते हैं। घर के आंगन में इन पौधों को दें जगह इस कड़ी मे कई तरह के पौधे आते है जिनमें देवीय एवं औषधीय गुड विद्धमान होते हैं। सही जानकारी होने पर इन से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। तो जानते हैं कि कौन सा पौधा घर में कहां व किस दिशा में लगाएं इन्हें लगाने से किसी व्यक्ति तथा घर के सदस्यों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इन पौधों को घर में लगाने से इनकी देखरेख कर सकते हैं। कोई पौधा अगर स्वयं किसी स्थान पर उग जाता है। तो उसके गुण एवं प्रभाव अधिक होता है। तो आप किसी भी तरीके का पौधा लगाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वास्तु तथा हिंदू शास्त्रों में पौधों को विशेष महत्व दिया गया है। फेंगशुई में भी पौधों को अहम माना गया है। पौधे एवं उनकी फूल पत्तियां सजावट के साथ-साथ आकर्षण भी होती है। वह व...

एक ही तालाब में मछली पालन और मोती की खेती

किसान अक्सर एक ही प्रकार की खेती करते आ रहे हैं। अधिकतर देखा जाता है कि किसान पारंपरिक खेती को ही अधिक महत्व देते हैं। आज के समय में किसान जागरूक हो रहा है और पारंपरिक खेती के साथ अन्य खेती की तरफ बढ़ रहा है। हम किसान को मोती पालन के साथ मछली पालन करने के बारे में बताएंगे आज के समय में देखा जाए तो किसान एक खेती के साथ दूसरी खेती कर रहा है. मछली पालन के साथ मोती पालन किसान हमेशा अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहता है। आज हम किसान को मोती पालन के साथ मछली पालन करने के बारे में बताएंगे। इसके पीछे का मकसद अधिक आंमदनी करना है। किसान हमेशा अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहता है। एक ही तालाब में मछली पालन के साथ मोती पालन करना संभव है।  मछली पालन के साथ मोती पालन करने की प्रक्रिया को इंटीग्रेटेड फार्मिंग कहते हैं। मोती पालन और मछली पालन दोनों ही व्यवसाय समान है। तथा कार्य प्रणाली भी लगभग समान है। मछली और सीप दोनों जलीय जीव हैं। दोनों के लिए पानी की शुद्धता बहुत मायने रखती है। इसमें आपको पानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मछली की खेती लगभग 6 महीने में तैयार हो जाती है। तथा सीप से मोती ...