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टेरेस फ़ार्मिंग क्या है?

एक ही तालाब में मछली पालन और मोती की खेती

किसान अक्सर एक ही प्रकार की खेती करते आ रहे हैं। अधिकतर देखा जाता है कि किसान पारंपरिक खेती को ही अधिक महत्व देते हैं। आज के समय में किसान जागरूक हो रहा है और पारंपरिक खेती के साथ अन्य खेती की तरफ बढ़ रहा है। हम किसान को मोती पालन के साथ मछली पालन करने के बारे में बताएंगे आज के समय में देखा जाए तो किसान एक खेती के साथ दूसरी खेती कर रहा है.

मछली पालन के साथ मोती पालन

Fish Farming and Pearls farming

किसान हमेशा अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहता है। आज हम किसान को मोती पालन के साथ मछली पालन करने के बारे में बताएंगे। इसके पीछे का मकसद अधिक आंमदनी करना है। किसान हमेशा अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहता है। एक ही तालाब में मछली पालन के साथ मोती पालन करना संभव है। 

मछली पालन के साथ मोती पालन करने की प्रक्रिया को इंटीग्रेटेड फार्मिंग कहते हैं। मोती पालन और मछली पालन दोनों ही व्यवसाय समान है। तथा कार्य प्रणाली भी लगभग समान है। मछली और सीप दोनों जलीय जीव हैं। दोनों के लिए पानी की शुद्धता बहुत मायने रखती है। इसमें आपको पानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मछली की खेती लगभग 6 महीने में तैयार हो जाती है। तथा सीप से मोती प्राप्त होने में 8 से 10 महीने का समय लगता है। या इससे अधिक भी लग सकता है। मछली पालन के साथ मोती पालन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन यह असंभव नहीं है।

इसमें आपको एक साथ दो फसल की देखरेख करनी होती है। मोती जो भोजन करते हैं। उस भोजन को करने के बाद मल त्याग करते हैं। जो कि मछलियों का खाना होता है। मछलियों को मुर्गी का ताजा माल भी खाने योग्य होता है। इसमें आपको विशेष ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए। या किसी जानकार की सलाह से ही मोती पालन और मछली पालन एक साथ करना चाहिए। 

क्योंकि जब हम एक ही टैंक में दोनों की खेती करते हैं तो उनके लिए अनुकूल वातावरण बनाए रखना एक चुनौती बन जाता है। इसलिए एक ही टैंक में मछली पालन के साथ मोती पालन करना कठिन कार्य हो जाता है। इसमें अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। मछली पालन के साथ मोती पालन करने के लिए आपको बड़े तालाब की आवश्यकता होगी।

जो लगभग 1 हेक्टेयर का हो। छोटे सीमेंट टैंक में कभी भी एक साथ मोती पालन एवं मछली पालन न करें। ऐसे टैंक में सीप एवं फिश को विकसित होने के लिए पर्याप्त ओक्सीजन एवं जगह नहीं मिलती। इससे सीप एवं मछली मर भी सकती है। यह असफल कार्य है इसमें सफलता नहीं मिलती। 1 हेक्टेयर के तालाब में 3000 से 5000 सीप डाल सकते है। एवं 1000 से 1500 मछली डाल सकते हैं।

सीप को हमेशा लटका कर ही डालें और समय-समय पर जांच करते रहे। साथ ही पानी की जांच करते रहे।इसमें पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सीप को लटकाते समय ध्यान रखें कि सीप पानी में एक से डेढ़ फीट नीचे होनी चाहिए। जिससे वह अच्छी तरह विकसित हो और जल्दी मोती बनाने की शुरुआत करें। आप बड़े तालाब में मोती पालन एवं साथ में मछली पालन कर सकते हैं।

मोती की खेती मछली पालन की तरह ही मुनाफे की खेती है। जिसमें अधिक आमदनी हो सकती है। एक ही तालाब में करने लिए शाकाहारी मछली पालन ही करें। तालाब में मशहरी मछली ना डालें। मछली के साथ मोती पालन करने से खर्च में कमी लाई जा सकती है।

मोती पालन में खर्च एवं आमदनी

मछली पालन और मोती पालन में काफी खर्चा होता है। मोती पालन में500 सीप का खर्च लगभग 30000 \- आता है। एक सीप से 2 मोती प्राप्त होते है। एक मोती 120\- बिकता है। तो 500 सीप से १००० मोती प्राप्त होंगे। तो 1000 *120 =1,20,000\- इसमें 30000 का खर्च के बाद 90000\-की आमदनी एक हेक्टेयर से हो सकती है। अगर मोती की गुडवत्ता अच्छी हुई तो ज्यादा कीमत भी मिल सकती है।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • मछली पालन के साथ मोती पालन करने के लिए बड़े तालाब का चयन करें
  • एक ही तालाब में दो फसल होने के कारण खाने की उचित व्यवस्था करें
  • तालाब में काई नहीं जमनी चाहिए इससे मछलियां मर सकती है
  • समय-समय पर पानी का पीएच जांचें व पानी को बदलते रहे
  • छोटे टैंक में कभी भी मछली पालन और मोती पालन साथ नहीं करना चाहिए
  • मछली पालन और मोती की खेती साथ में की जा सकती है
  • अगर आप लंबे समय तक मछली पालन व मोती पालन करना चाहते हैं तो इसकी ट्रेनिंग अवश्य लेनी चाहिए
  • सीप की सर्जरी करते समय अधिक सावधानी बरते
  • तालाब में सीपो की संख्या कम होने पर नई सीप डालें
  • मछलियों को पानी में अधिक ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए फब्बारा की व्यवस्था करें।

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