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प्राकृतिक खाद फसल को जरूरी पोषक तत्व प्राप्त करने में सहायक होता है। इसका उपयोग खेत में करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार तथा प्राकृतिक कीटों का विकास शुरू हो जाता है। इस खाद का अधिक होने के कारण खेत में मृदा की उर्वरक शक्ति की मात्रा में बृद्धि होती है। जिससे पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही मिट्टी को भुरभुरी तथा मुलायम बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यहाँ प्राकृतिक खाद बनाने की आसान विधि एवं उसके उपयोग के बारे में जानेगे।
प्राकृतिक खाद बनाने की विधि?
जब कभी मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा में गिरावट देखी जाती है तो ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है और पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है। आप चाहे तो इसे छानकर पैकिंग करके अपने पास कई दिनों तक रख सकते हैं। इसकी कोई अंतिम तिथि नहीं है। लेकिन बेहतर परिणाम के लिए इसे 2 साल के अंदर प्रयोग कर लेना चाहिए।
प्राकृतिक खाद के अनेक गुणों के साथ इसे बनाना भी आसान है। इस खाद को पोधो के लिए अपने घर पर ही बना सकते हैं। इसे घरेलु खाद भी कहते है। प्राकृतिक खाद कैसे बनाया जाता है। आर्गेनिक खाद बनाने में 20 से 30 दिन का समय लगता है इसे बहुत कम खर्चे के साथ शुरू कर सकते हैं। आपको बस सही तरीका अपनाना है और आपका खाद तैयार है। पशुओं एवं पौधों की पत्ती आदि को निश्चित गड्ढों में दबा दिया जाता है।
उन्हें सूक्ष्म जीवाणु धीरे-धीरे कई छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लेते हैं। यही खाद के बनने की प्रक्रिया है। इसमें कोई केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता। यह खाद पशुओं के मल मूत्र बिछावन करने योग्य कूड़ा पेड़ों की पत्तियां फल एवं सब्जियों की छिलके सरसो की तूरी आदि सामग्री को 5 फीट गहरे गड्ढे में डालकर दवा दिया जाता है।
साथ ही नियमित पानी का छिड़काव आवश्यक है। खाद बनाते समय ध्यान रखें इसे हमेशा छांव में ही बनाए इसमें गाय का गोबर का भी उपयोग कर सकते हैं। परंतु ध्यान रखें गोवर ताजा न हो। साथ ही समय-समय पर इसकी निगरानी करते रहे। 5 कुंटल प्राकृतिक खाद बनाने में 1 दिन में 100 लीटर पानी का प्रयोग करें। पानी का छिड़काव हर रोज धूप निकलने से पहले सुबह शाम होने से यह खाद 6 महीने में तैयार हो जाता है।
इसे बनाने के लिए पेड़ों की पत्तियां सबसे उपयुक्त रहती हैइसमें नीम की पत्ती से बना खाद अत्यंत उपयोगी होता है। खाद के लिए जिन सामग्री की आवश्यकता होती है। वह पेड़ों की पत्तियां, छाल, खरपतवार लकड़ी का बुरादा, सुखी एवं मुलायम फसल की लकड़ी, पशुओं का बिछावन, गोबर का भी उपयोग कर सकते हैं।
घर पर निर्मित शक्तिशाली प्राकृतिक खाद आपके फसल या आपके पौधों में शक्तिशाली दवा की तरह काम करेगी। आप इस शक्तिशाली प्राकृतिक खाद को 2 से 3 महीने में एक बार प्रयोग कर सकते हैं। इसके प्रयोग के बाद पौधों में पानी देना जरूरी है तथा खरपतवारों को निकलते रहे।
प्राकृतिक खाद क्या होता है ?
अगर आप प्राकृतिक खाद बनाने जा रहे तो आपको इसके बारे में जानकारी होना चाहिए। कि प्राकृतिक खाद क्या होते है। आज हम इसके बारे में बात करेंगे। यह एक ऐसा जैविक उर्वरक है। जिससे पेड़-पौधे, फसल आदि को जरुरी पोषक तत्व आवश्यकतानुसार मिल जाते है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम की मात्रा पेयी जाती है। जो उन्हें प्रारंभिक अवस्था में बहुत आवश्यकता होती है। यह पौधों के लिए सबसे अच्छी खाद मानी जाती है।
यह रसायन मुक्त भुरभुरा दानेदार तैयार किया है। जिसका फसल बोते समय प्रयोग सबसे अधिक प्रभावशाली परिणाम प्राप्त होते है। यह कम खर्चे में प्राप्त साधारणतः आसानी से घर पर ही तैयार हो जाता है। इसे पूरी तरह अच्छी प्रकार से लाभ पाने के लिए दो-तीन बार जुताई की जाती है। फिर खेत की मिट्टी भूरभरी हो जाती है। इसे हरी खाद कहते हैं। यह प्राकृतिक खाद मिट्टी में मिल जाती है। यहां कैल्शियम युक्त प्रकृति में आयरन मैग्नीशियम जिंक आदि की मात्रा को बढ़ाते हैं जिससे फसल पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है।
प्राकृतिक खाद का उपयोग ?
इस खाद को आप अपने बगीचे में उपयोग कर सकते हैं। गमलों में भी उपयोग कर सकते हैं। साथ ही खाद की मात्रा अगर ज्यादा है तो महीने में एक बार सिंचाई से पहले अपनी फसल में इस्तेमाल कर सकते हैं। प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल से पेड़ पौधे प्लांट तथा फसल में सामान्य से अधिक वृद्धि देखी जा सकती है। आप देखेंगे कि पौधे पहले से अपेक्षा अधिक स्वस्थ एवं विकसित है।
अगर इसे किसी फूल वाले पौधे पर उपयोग किया है तो उसके पुष्पों की संख्या एवं आकार में वृद्धि देखी जा सकती है। साथ ही फसल पर उपयोग करने से देखेंगे की फसल अधिक हरी-भरी है तथा उसमें अधिक उत्पादन देखने को मिलेगा। प्राकृतिक खाद में लगने वाला खर्चा बहुत ही कम होता है। यह पौधों फसल एवं प्लांट के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
जिसे वह भूमि से प्राप्त करते हैं हम भूमि में पौधों के लिए जैसा भोजन देंगे पौधे उसे ही ग्रहण करेंगे साथ ही उसी के अनुसार व्यवहार करेंगे। उनको पूरी प्रक्रिया उनके अनुरूप होगी। अगर हम उन्हें रासायनिक युक्त भोजन देते हैं। तो उनके फूल एवं फल में इसकी मात्रा होगी। तथा पौधे पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।
वहीं दूसरी तरफ अगर हम किसी भी पौधा या पेड़ को भोजन के रूप में कोई भी प्राकृतिक सामिग्री देते हैं। जैसे गोबर की खाद, हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, केंचुआ का अन्य कोई प्राकृतिक तरीके से बनाई गई खाद्य सामग्री पौधे को पूर्ण रूप से ग्रहण करते हैं। इसका सकारात्मक असर हमें देखने को मिलता है। तो उससे उत्पन्न फल फूल अनाज आदी सामग्री उच्च गुडवत्ता वाली होगी। जिससे उच्च गुडवत्ता वाले नए पौधे विकसित किए जा सकते हैं। तो प्रकृतिक खाद के ढेरों फायदे मानव जीवन के लिए प्राप्त होते हैं।
प्रकृति खाद का महत्व
कृषि में प्रकृति खाद बहुत महत्वपूर्ण है। खेत की तैयारी के समय से फसल की कटाई तक प्राकृतिक खाद फसल के लिए उपयोगी होता है। इसे हम कई प्रकार से फसल तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसकी मदद से फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाए रखता है। साथ ही मृदा में वायु संचार में वृद्धि करता है। प्रकृति खाद का महत्त्व कृषि में जहां भी किया जाता है। वहां पर इसकी उपयोगिता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
इसके प्रयोग से किसान की लागत में भारी कमी आती है। यह अन्य रासायनिक खाद की अपेक्षा सस्ता विकल्प है। साथ ही इसकी कार्य क्षमता भी अधिक है। यह मृदा प्रदुषण एवं जल प्रदुषण से निजात दिलाने में काफी सहायक है। प्राकृतिक खाद से फसल स्वास्थ्य एवं विकासशील होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वायु प्रदूषण में कमी आती है। खरपतवार नियंत्रण लागत में कमी, जल प्रदूषण की रोकथाम आदि महत्व इस खाद को सबसे अलग बनाता है।
प्राकृतिक उर्वरकों के प्रकार
यह एक ऐसी उर्वरक है जो मानव रहित तथा केमिकल रहित होती है। इसको बनाने में मशीनों का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह ऐसी खाद हैं जिन्हें उपयोग किए हुए पदार्थों से निर्मित करते हैं। यह निम्नलिखित प्रकार की हो सकती है।
- गोबर की खाद (cow dung Manure)
- कृमि खाद (vermi compost)
- जैविक खाद (organic fertilizer)
- हरी खाद (green manure)
- कचरे से निर्मित (compost from waste)
- केचुआ खाद (earthworm manure)
फसल के लिए सबसे अच्छी खाद
फसल उत्पादन के लिए अच्छे बीज के साथ साथ खाद भी महत्वपूर्ण होता है। फसल में खाद का उपयोग करने के लिए फसल की आवश्यकता पर निर्भर करता है। प्राकृतिक खाद का प्रयोग लगभग सभी फसलों में कर सकते हैं। कंद वाली फसल के लिए मृदा में मिलाने वाले खाद का प्रयोग करना चाहिए।
यह खाद मृदा में विकसित कंद को पोषक तत्व प्राप्त करने में सहायक होता है। साथ ही अनाज वाली फसलों के लिए केंचुआ खाद को पानी से पहले प्रयोग करना चाहिए। यह खाद पानी की सहायता से पोधो को प्राप्त होता है। पौधे इसका पूरा लाभ ले सकते हैं।
फल एवं सब्जी वाली फसलों मे छिड़काव करके पोषक तत्वों की पूर्ति करनी चाहिए। घर पर बनाए हुए शक्तिशाली प्राकृतिक खाद को फल एवं सब्जी की फसलों पर उपयोग करने पर पौष्टिक फल की प्राप्ति होगी। जिन्हें रासायनिक खाद की अपेक्षा अधिक पसंद किया जाता है। फल एवं सब्जियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
प्राकृतिक उर्वरक में पोषक तत्वों की मात्रा
जिसे आप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, आयरन, सल्फर आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा पाई जाती है जो फसल की गुणवत्ता में जरूरी होता है। आप देखेंगे कि घर पर नियमित शक्तिशाली प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल से आप की फसल आपके घर प्लांट में अजीब वृद्धि हुई है। वह पहले से ज्यादा स्वस्थ एवं तंदुरुस्त है। समय आने पर फल एवं फूल में भी वृद्धि करेगा और लंबा जीवन व्यतीत करेगा। उस पौधे पर रोग कीट प्रकोप एवं मौसम से लड़ने की ताकत अधिक होती है।
खाद बनाने की समयावधि
आप फसल की अवशेष को उपयोग करके भी प्राकृतिक खाद बना सकते हैं। फसल कटने के बाद बचे हुए अवशेषों को अच्छी तरह जुताई करके खेत की मिट्टी में मिला कर एक सिंचाई कर देनी चाहिए। साथ ही यूरिया का उपयोग करके खाद बनने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है।
कुछ दिन बाद आप देखेंगे कि फसल अवशेष खाद में बदलना शुरू हो गए हैं। लगभग 20 से 30 दिन में फसल अवशेष खाद में परिवर्तित हो गए हैं। जो खेत में फसल को अधिक वृद्धि तथा उत्पादन प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होते हैं। यह खाद मृदा को उपजाऊ बनाता है तथा भूमि में वायु संचार अच्छा होता है।
यह खाद बनाने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसान को कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ती इस प्रक्रिया से स्वयं ही प्राकृतिक खाद 20 से 30 दिनों में घर पर ही तैयार हो जाता है। यह सबसे सरल एवं आसान तरीका है। घर पर बिना किसी लागत की प्राकृतिक खाद बनकर तैयार हो जाता है।
जिससे फसल अवशेषों को बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे प्रदूषण की रोकथाम हो सकती है। किसान इस खाद को बनाने के लिए पराली का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता नहीं होगी। परली का स्तेमाल करने के लिए 2 जुलाई डिस्क हैरो से करनी चाहिए तथा पराली को मिट्टी में मिला देना चाहिए तथा एक हल्की सिंचाई करनी चाहिए। कुछ दिन के बाद पराली खेत में खाद के रूप में कार्य करेंगे तथा आप की फसल वृद्धि में सहायक होगी।
इस तरीके से बनाई गई खाद फसल को रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को काफी हद तक कम कर देती है। तथा रासायनिक उर्वरकों से होने वाले नुकसान से निजात दिलाने में कारगर सिद्ध होगी।
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