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जिप्सम कृषि में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। जिप्सम क्या है? आपको जिप्सम के बारे में क्या पता होना चाहिए। इस लेख में हम जिप्सम की परिभाषा और जिप्सम के उपयोग क्या हैं, इस पर चर्चा करेंगे। खेत में जिप्सम की कितनी मात्रा डालनी चाहिए? ताकि फसल को जिप्सम के पोषक तत्व पूरी तरह मिल सकें। हम जिप्सम के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आप यहां जिप्सम की उपयोगिता भी जान सकेंगे।
ज़िप्सम क्या है?
जिप्सम एक तहदार खनिज पदार्थ है। जो माइंस के द्वारा बड़ी-बड़ी खानों से प्राप्त किया जाता है। जिप्सम को कैलशियम सल्फेट डाइर्हाइड्रेट भी कहते हैं। इस का रासायनिक सूत्र caso4.2h2o है। जिप्सम को बनाने में कैलशियम, सल्फर, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन से मिलकर बना होता है।
जिप्सम सल्फर का अच्छा स्रोत है। इसे दलहन एवं तिलहन फसलों में इस्तेमाल करने से उनकी गुणवत्ता 10 -20 % वृद्धि देखी जा सकती है। मृदा की सेहत को सुधारने के लिए जिप्सम का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जिप्सम एक प्रकार की मिट्टी होती है। जो एक प्रक्रिया द्वारा तैयार करके जिप्सम के रूप में प्रयोग करते हैं। यह राजस्थान के बीकानेर में पाई जाती है। जिप्सम को सैलेनाइट भी कहते हैं |
जिप्सम कैसे बनता है
जिप्सम एक प्राकृतिक पदार्थ है जिसे बड़ी-बड़ी खदानों से प्राप्त किया जाता है जिसे मनुष्य द्वारा उपयोग में लाए जाने जैसा बनाया जाता है। जिप्सम सर्वप्रथम हमें कीचड़ जैसा या पत्थर जैसा प्राप्त होता है। जिससे लगभग 1000 से 1500 सेंटीग्रेड पर या इससे अधिक पर गर्म किया जाता है। इससे इसमें पानी की मात्रा खत्म हो जाती है। अंत में हमें Gypsum प्राप्त होता है। जिप्सम को कैलशियम सल्फेट डाइर्हाइड्रेट भी कहते हैं। इस का रासायनिक सूत्र caso4.2h2o है। जिप्सम को बनाने में कैलशियम, सल्फर, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन से मिलकर बना होता है।
जिप्सम की मात्रा प्रति एकड़
इसे मिट्टी में डालने से पहले मिट्टी का परीक्षण करना बहुत जरूरी है। मिट्टी का परीक्षण करने के बाद ही उचित मात्रा में जिप्सम मिलाना चाहिए। जिप्सम डालते समय मिट्टी का pH मान 7 होता है। अत: 5 क्विंटल प्रति एकड़ जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए। यदि मिट्टी का पीएच 7.5 है तो 8 क्विंटल प्रति एकड़ की मात्रा का उपयोग करना चाहिए। साथ ही पीएच 8 होने पर प्रति एकड़ लगभग 10 क्विंटल जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए।जिप्सम में सल्फर की मात्रा
जिप्सम मिट्टी के साथ फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है। जिप्सम में मौजूद पोषक तत्व तिलहन और दलहनी फसलों में तेल और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं। जिप्सम में 23% कैल्शियम और 18% सल्फर होता है जो पौधों को पूर्ण रूप से सक्रिय रखता है।
जिप्सम का उपयोग
जिन किसान भाइयों की कृषि भूमि क्षारीय हो गई है। ऐसी मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए। जिप्सम का उपयोग क्षारीय मिट्टी में किया जाता है। जिसका पीएच 7 से अधिक हो वहां जिप्सम का प्रयोग किया जा सकता है।
यदि खेत की मिट्टी क्षारीय है तो मिट्टी में मौजूद फास्फोरस, पोटाश और बोरॉन, नमक और कैल्शियम कार्बोनेट की अधिकता के कारण मिट्टी क्षारीय हो जाती है। जो कैल्शियम कार्बोनेट पौधे की जड़ों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। धीरे-धीरे पौधे की जड़ नष्ट हो जाती है।
जड़ें नष्ट होने के कारण पौधे भोजन नहीं खा पाते हैं। धीरे-धीरे पौधे में पोषक तत्व ख़त्म हो जाते हैं. और उसका विकास रुक जाता है. बोरोन और मैग्नीशियम की अधिकता पौधे के लिए विषैले पदार्थ के रूप में कार्य करती है। और मैग्नीशियम दोनों सही मात्रा में पौधे के लिए पोषक तत्व के रूप में काम करते हैं।
लेकिन 0.5 पीपीएम और 1.5 पीपीएम से अधिक बोरोनिक और मैग्नीशियम की मात्रा पौधे के लिए हानिकारक साबित होती है. जिससे पौधों को भोजन मिलने में बाधा उत्पन्न होती है। इसे संतुलित करने के लिए जिप्सम का प्रयोग किया जाता है।
उपयोग की विधि
जिप्सम का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच soil test करना अति आवश्यक है। बिना जांच कराए परिणाम में में संदेह उत्पन्न होता है। जिप्सम का प्रयोग खेत में पीएच के अनुसार उपयोग किया जाता है। जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके। PH के अनुसार जिप्सम का प्रयोग फसल को बेहतर वृद्धि करने में सहायक होता है।
अगर मिट्टी का पीएच 8 होने की दशा में 10 क्विन्टल प्रति एकड़ की मात्रा का प्रयोग करें। मिट्टी का PH 7.5 होने पर 5 क्विन्टल प्रति एकड़ की मात्रा का प्रयोग करें , PH 7 होने पर 2 क्विन्टल प्रति एकड़ की मात्रा का प्रयोग करें।जिप्सम का प्रयोग करते समय ध्यान रखें।
कि उसमें ढीले ना हो हमेशा बारीक भुरभुरा जिप्सम ही प्रयोग करें। जो समान मात्रा में soil के साथ मिल जाए। मिट्टी के साथ अपना कार्य करने के लिए कुछ दिनों का समय लगता है। इसे कम से कम 15 से 20 दिन पहले अच्छी तरह मिट्टी में मिला देना चाहिए।
जिप्सम के फायदे
- जिप्सम मृदा में कैल्शियम एवं सल्फर की पूर्ति करता है।
- यह फसल की Growth एवं विकास में सहायक होता है
- जिप्सम में सल्फर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है
- जिप्सम से तिलहनी फसलें में सल्फर की मात्रा में बढ़ोतरी करता है। जिनसे तेल की मात्रा एवं गुणवत्ता वृद्धि होती है।
- मृदा में जिप्सम पोषक तत्वों सामान्यतः नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम एवं सल्फर की मात्रा में वृद्धि हो जाती है
- एनपीके की वृद्धि पौधे के लिए महत्वपूर्ण होती है।
- यह कैल्शियम की वृद्धि में अपनी भूमिका निभाता है।
- यह क्ले कणो वाली में मृदा में स्थित कणों को स्थिरता प्रदान करता है।
- जिप्सम से मृदा कठोर नहीं होती। जिससे मृदा में जल प्रवेश बढ़ता है।
- यह एक अच्छा भू सुधारक खनिज है।
जिप्सम के अनेक फायदे हैं जिनमें से मुख्यतः यह है। साथ ही इसका उपयोग करने से पहले मिट्टी की जांच अनिवार्य है। जिसकी जांच के बाद ही उचित मात्रा में करना चाहिए जिससे संतोषजनक परिणाम प्राप्त हो।
जिप्सम की कीमत
भारत में जिप्सम की कीमत सभी राज्यों में अलग अलग है। भारत में 50 किलोग्राम जिप्सम उर्वरक की कीमत 170 रुपये से 240/- रुपये तक है। जिसपर 50 % का अनुदान किसानो को सरकार के द्वारा दिया जाता है। आपको Gypsum सरकारी गोदाम या सरकार के द्वारा ही खरीदना पडेगा। अगर आप जिप्सम निजी दुकानों से खरीदते है तो इस पर विक्रेता अपना मुनफा जोड़कर इसकी कीमत को बड़ा सकता है। वहां पर आपको यह काफी महँगा मिल सकता है।
जिप्सम में पोषक तत्वों की मात्रा
जिप्सम में सामान्यतः 23% कैल्शियम, 18% सल्फर और 20% H2O होता है। इसका रासायनिक सूत्र caso4.2h2o है।मिट्टी में जिप्सम का उपयोग
जैसा कि आप जानते हैं कि जिप्सम पूर्णतः प्राकृतिक खनिज है। जो डेलो के रूप में प्राप्त होता है। जिप्सम में मौजूद कैल्शियम , सल्फर ,मिट्टी में पोषक तत्वों की बृद्धि करते हैं। जो किसान जैवक खेती करते है। वह भी जिप्सम का प्रयोग कर सकते हैं।
मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करने से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराना जरूरी होता है। जिप्सम का प्रयोग आवश्यकता होने पर ही करें। मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करने से मृदा में जल संरक्षण की क्षमता में वृद्धि होती है।
साथ ही वायु संचार सुगम हो जाता है। जहां पर मिट्टी के क्ले कण की समस्या है। वहां पर Gypsum अत्यंत उपयोगी है। मिट्टी में जिप्सम डालने से बंजर भूमि धीरे-धीरे सामान्य भूमि में बदलने लगती है।
मिट्टी में जिप्सम का प्रयोग करते समय कुछ दिनों के बाद फसल बुवाई कर सकते हैं। मिट्टी में जिप्सम डालकर एक हल्की सिंचाई भी करनी चाहिए। जिप्सम से मिट्टी का पीएच सामान्य रहता है।
जिप्सम कहाँ पाया जाता है?
जिप्सम मृदा के लिए अच्छा उर्वरक है। इसका उपयोग लगभग सभी राज्यों में किया जाता है। यह भारत के कई जगह पाया जाता है। जिप्सम मुख्यतः राजस्थान में अधिक पाया जाता है। जिप्सम को राजस्थान के बीकानेर से बाकी सभी जगह पर ले जाया जाता है। यहां पर जिप्सम की बड़ी-बड़ी खदानें हैं जिनसे जिप्सम प्राप्त किया जाता है।
मिट्टी में जिप्सम का उपयोग
जिप्सम स्वयं एक मिटटी होती है। जो अलग अलग कार्यो में उपयोग की जाती है। यह डेलो के रूप में प्राप्त होती है। जिसमें कैल्शियम सल्फर तथा पानी की मात्रा पाई जाती है। खदान से निकलने के बाद खास प्रक्रिया से गुजरा जाता है। जिससे इसमें पानी की मात्रा खत्म हो जाती है।
साथ ही जल रहित शुद्ध भुरभुरा पाउडर जैसा पदार्थ प्राप्त होता है। जिसे हम आसानी से अपने खेत में सामान रूप से डाल सकते हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि जिप्सम में ढेले नहीं होने चाहिए। जिप्सम डालने के बाद जिप्सम को मिट्टी में मिलाना बहुत जरूरी है।
जिप्सम को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाना आवश्यक है। जिप्सम को मिलाने के लिए कल्टीवेटर से दो बार सामान्य जुताई करनी चाहिए। और कल्टीवेटर उपलब्ध ना हो तो रोटावेटर से भी जिप्सम को मिट्टी में बुलाया जा सकता है।
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