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Green Manure: खेत में हरी खाद बनाएं

अगर आप हरी खाद बनाने की सोच रहे है। तो सबसे पहले आपको उसके सही क्रम के बार में जानना चाहिए। अगर आप सही तरीके से खाद बनाने का क्रम जान लेते है। तो आपका खाद कम लगत में अच्छा काम करेगा। आगे जानते है। ऐसा कोई किसान नहीं है जो हरी खाद के बारे में नहीं जानता हो। इसमें से कई तो इस प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं। Green Manuring का उपयोग किसान लंबे समय से कर रहे हैं। यह खेतो में को आवशयक पोषक तत्व प्रदान करती है। तो आज हम हरी खाद बनाने का तरीका के बारे में जानेंगे।

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हरी खाद बनाने की विधि का संक्षिप्त वर्णन

हरी खाद बनाने का सही तरीका क्या है?

यह फसल के लिए अत्यंत उपयोगी है। जो फसल को लगभग सभी तरह के पोषक तत्व प्राप्त कराने में सक्षम है। अगर आप भी हरी खाद बनाना चाहते हैं। तो इसे अपनाकर अपने खेतों में इस प्राकृतिक खाद का लाभ ले सकते हैं। इसका निर्माण की प्रक्रिया सीधी एवं सरल है। इसे आप घर पर ही तैयार कर सकते हैं। आपको बस कुछ चीजों की आवश्यकता होगी।

जैसा नाम से विदित है कि हरे पोधो से बने हुए खाद, जिसको खेत में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका बहुत सीधा एवं आसान मतलब है। इसका बनाना भी उतना ही सीधा एवं सरल है। लेकिन इसके फायदे किसी महंगी पूर्वक से कम नहीं है।

हरी खाद को बनाने के लिए किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती तथा ना ही इसके लिए किसी मशीन की आवश्यकता होती है। इसको बनाने के लिए ऐसी फसलों का चयन किया जाता है। जो फसल उस मिट्टी में आसानी से पनप सकें। इसके लिए मृदा का पीएच 7 से अधिक नहीं होना चाहिए। इस तरह की मृदा में हरी खाद के लिए चयनित फसल के बीज की बुवाई करते हैं।

इस प्राकृतिक खाद बनाने के लिए आलू या गेहूं की फसल के बाद जब तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो, खेत की सिंचाई करके बीज की बुवाई कर सकते हैं तथा जरूरत होने पर 30 दिन के बाद दोबारा सिंचाई करनी चाहिए।

यह फसल से अधिक तेजी से बढ़ती है। जो कि लगभग 40 से 50 दिन में खाद बनने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है। जिसे खेत में जोतकर अच्छी तरह मिटटी में मिलाया जाता है।

  • खाद बनाने के लिए मुख्यतय ढैचा, उड़द, मूंग, ग्वार, लोबिया अधिक पत्तेदार फसल के बीज का उपयोग किया जाता है।
  • इस खाद के लिए 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा डालनी चाहिए।
  • खाद बनाने के लिए खेत की मिट्टी का पीएच 7 से अधिक न हो।
  • हरी खाद बनाने के लिए उचित जल निकास वाली भूमि का चयन करें।
  • बीज बोते समय बीज की अधिक गहरी जुताई ना करें।
  • जरूरत पड़ने पर 30 दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।
  • Haari khad Banane के लिए तैयार हो, तो दो जुताई एक साथ करके मिट्टी में मिला दें।

हरी खाद क्या है?

जब भी हम जैविक खाद के बारे में बात करते हैं। तो हरी खाद का नाम सबसे पहले आता है। हरी खाद मुख्यतः प्राकृतिक खाद होता है। जिसे बनाकर मिट्टी में मिला देते हैं। इसमें मुख्यतः नाइट्रोजन, सल्फर, कॉपर, मैग्नीशियम आदि तत्व पाए जाते हैं। हरी खाद के क्रम में प्राकृतिक खाद भी आती है। जैसा की नाम से ही इसकी पहचान हो रही है। हरी खाद का सीधा मतलब ऐसी Manure से है जिस खाद को हरियाली के रूप में मृदा को दिया जाता है। इस तरह की खाद में बहुत पोषकतत्व पाए जाते है।

इस ढेंचा की खाद बनाने के लिए आप किसी भी फसल की भी मदद ले सकते हैं। फसल की सहायता से भी Green Manure बनाई जा सकती है। खेत में पहले ऐसी फसल बोई जाती है। जिससे बुवाई के कुछ दिन बाद खाद बनाने के लिए उपयोग कर सकें।इसके लिए ढेचा उपयुक्त माना जाता है। ढेंचा को खेत में बुबाई कर दिया जाता है। जब वह 45 से 50 दिन के लगभग होता है तब उसे डिस्क हैरो से अच्छी तरह जताई करके खेत में मिला दिया जाता है।

उपलब्ध पोषक तत्व

खेत में हरी खाद की फसल होने से इसमें अनेक पोषक तत्व का विकास होता है। यह पोषक तत्व खेत में मिलकर खेत की मिट्टी को उपजाऊ तथा भरभरा बनाने की क्षमता विकसित करते हैं इससे जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है। इस में उपलब्ध पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, जस्ता, तांबा, मॉलीब्लेडिनम तत्वों की उपलब्धता रहती है। जो खेत में मिलकर कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाकर मृदा की दशा को सुधारने का काम करती है।

हरी खाद बनाने के लिए सर्वोत्तम फसल

यह जैविक खाद की सर्वोत्तम खाद है। यह सभी तरह के पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सक्षम है। यह एक ऐसी प्राकृतिक खाद है। जो आसान एवं सरल है। इस फसल को बोने के लिए ढैचा, सनई, लोबिया, बरसीम, उड़द, मूंग, ग्वार आदि मुख्य फसल है।

जो हरी खाद बनाने के लिए सर्वोत्तम फसल मानी गई है। यह फसल लगभग सभी तरह की भूमि में लगा सकते हैं हरी खाद के लिए ऐसी फसलें सर्वोत्तम होती है। जिनमें हरी पत्तियों की संख्या की मात्रा अधिक हो।

जिस फसल में हरी पत्तियों की संख्या अधिक होगी। खाद के लिए सबसे अच्छी फसल मानी जाती है। इसके साथ ही फसल का तना लचीला एवं मुलायम होना चाहिए। सख्त तने वाली फसल हरी खाद के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती।

ढैचा से बना खाद

ढैचा एक एसी फसल है। जो हरी खाद बनाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाता है। ढैचा को शुष्क क्षेत्र की मृदा में हरी खाद के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इससे छारीय मृदा में भी सुधार लाया जा सकता है।

बुवाई का तरीका- हरी खाद बनाने के लिए फसल का चुनाव करने के बाद इसकी बुवाई की जाती है। How to Make a Green Manuring के लिए ढैचा की बुवाई करने के लिए खेत में पर्याप्त नमी का होना बहुत जरूरी है। ढैचा की बुबाई छिटकाव विधि से कर सकते हैं।

साथ ही 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फेट तथा 20 किलोग्राम पोटाश पहले ही खेत में मिला देना चाहिए। ढैचा की बुबाई के लिए 70-80 किलो बीज की बुबाई कर सकते हैं। तथा कुछ ही दिनों में ढैचा पनपने लगता है।

यह बहुत ही जल्दी अपनी Grouth को बढ़ा लेता है। अगर खेत में नमी कम हो तो एक हल्की सिचाई कर देनी चाहिए। 40-50 दिन में ढेंचा हरी खाद के लिए तैयार हो जाता है। इससे आप Green Manuring बनाने के लिए उपयोग में ला सकते हैं।

सनई - हरी खाद

हरी खाद बनाने के लिए सनई का प्रयोग किया जाता है। यह Sanai खाद के रूप में बहुत प्रचलित है। इसमें पत्तों की मात्रा अधिक पाई जाती है। सनई की खेती से किसान को प्राकृतिक खाद की प्राप्ति होती है। इसकी बुवाई की विधि ढेंचा की बुवाई की विधि के समान है।

सनई की खेती के लिए ढेंचा की खेती की प्रक्रिया आपना सकते हैं। तथा खाद की मात्रा का भी प्रयोग कर सकते हैं। सनई की खेती अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कर सकते हैं।

सनई तथा ढेंचा दोनों हरी खाद बनाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाए जाते हैं। इससे सबसे अच्छी हरी खाद की प्राप्ति होती है। सनई की बुबाई के बाद 40 से 50 दिन बाद इसकी जुताई कर सकते हैं।

ढैंचा का बीज कहां से लें

हरी खाद बनाने के लिए ढैंचा प्रमुख है। इसके लिए सरकार भी किसान का साथ दे रही है। हरी खाद की उपयोगिता को देखते हुए, सरकार इसका बीज उपलब्ध करा रहे हैं।

जिले के ब्लॉक या तहसील में स्थित सरकारी बीज भंडार केंद्र पर जिसे सरकारी बीज की दुकान कहते हैं। वहां पर ढैंचा का बीज मिल जाता है। जिस पर सरकार किसान को अनुदान भी देती है।

दलहनी फसल की हरी खाद

खाद बनाने के लिए कुछ दलहनी फसलों का भी चयन किया जाता है। जिनमें लोबिया, मूंग, उड़द, ग्वार आदि, फसलें प्रमुख हैं। जिनमें से लोबिया की Green Manure को श्रेष्ठ माना जाता है। लोबिया की खेती में हरी खाद बनाने की विधि के लिए लोबिया 4200 किस्म सर्वोत्तम मानी गई है. इसकी पत्तियाँ बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। जिससे अधिक नाइट्रोजन प्राप्त करना संभव हो सके।

हरी खाद बनने की समय अवधि

हरी खाद बनाने के लिए समय अवधि लगभग 40 से 50 दिन तक होती है। इस अवधि के दौरान फसल को खेत में मिलाना आवश्यक है। यह समय अवधि पूर्ण हरी खाद प्राप्त करने के लिए सही समय होता है। इससे कम समय पर फसल को खाद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

तो हमें नाइट्रोजन की मात्रा में कमी देखने को मिलती है। जिससे भूमि को पूर्ण रूप से पोषक तत्व प्राप्त करने में कठिनाई होगी। साथ ही अगर फसल को 50 दिन से अधिक समय के लिए छोड़ देते हैं। तो इससे पौधे की पत्तियां पीली पढ़कर स्वयं ही गिरने लगती है।

यह फसल पकने की शुरुआती लक्षण होते हैं जिसमें तना सख्त हो जाता है। ऐसी अवस्था में हम फसल से हरी खाद नहीं बना सकते। इससे इसमें पोषक तत्वों की भारी कमी हो जाती है। इससे हमारा उद्देश्य पूर्ण नहीं होता। फसल के पकने की अवस्था में उसका पूर्ण डी कंपोस्ट नहीं हो पाता। तथा फसल का भाग बिना सढ़े ही खेत में रह जाता है।

जिससे पोषक तत्वों में कमी के साथ अगली फसल को दीमक की भारी समस्या भुगतनी पड़ सकती है। Hari khad banane वाली फसल का पूर्ण रूप से सड़ना बहुत जरूरी होता है। तभी वह अपना काम सही तरीके से करता है।

क्षेत्रों के अनुसार हरी खाद का चयन

  • सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए-                                                 ढैंचा
  • छारीय मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिए-                                       ढैंचा
  • अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए                                         सनई
  • क्षारीय मृदा जल निकास की सुविधा वाले क्षेत्रों के लिए -    लोबिया
  • ग्रीष्मकालीन, जलभराव से मुक्त क्षेत्रों के लिए -                मूंग एवं उड़द

मूंग- दलहनी फसल

मूंग की हरी खाद प्राप्त करने के लिए मूंग नंबर 2 प्रजाति का चयन कर सकते हैं। सामान्य तरीके से भूमि की तैयारी करनी चाहिए। भूमि में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। इसके बाद 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मूंग की बुवाई करनी चाहिए। साथ ही बुवाई से पहले 20 से 22 किलोग्राम नाइट्रोजन देनी चाहिए। 

साथ ही नमी का ध्यान रखना चाहिए। पर्याप्त नमी होने 50 दिन के पहले ही आपको फली की प्राप्ति हो सकती है। इससे अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है। फली तोड़ने के बाद मिट्टी पलट हल से 15 -20 सेंटीमीटर गहरी जुताई कर सकते है। आवश्यकता होने पर सिचाई अवश्य करें।

ग्वार- दलहनी फसल

ग्वार की हरी खाद बनाने का तरीका लगभग समान है। आप इसमें भी पर्याप्त नमी बनाए रखें। तथा समान तरीके से खाद बीज का प्रयोग करें। जैसा कि पहले बताया गया है। ग्वार की फसल में ध्यान रखना जरूरी है कि ग्वार का तना जल्दी कठोर हो जाता है।

जो सड़ने में अधिक समय लेता है। इसलिए ग्वार की खेती को 40 दिन से पहले ही मिट्टी में मिला देना चाहिए। अधिक समय होने पर यह मिट्टी में पूर्ण रूप से डी कंपोस्ट नहीं होगा। जिससे आगे की फसल को दीमक की समस्या आ सकती है।

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