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ऑयस्टर मशरूम की खेती आसान विधि से कैसे करें?

प्राकृतिक तरीके से उगाया जाने वाला मशरूम लोगों की आमदनी का स्रोत बन गया है। क्योंकि इसे ऊगाना बहुत आसान है। तथा इसके लिए जमीन की भी आवश्यकता नहीं होती। बदलते जमाने के ग्रामीण लोगों के लिए आमदनी का जरिया बना है मशरूम उत्पादन। इसकी खेती के लिए जमीन की कोई आवश्यकता नहीं है। यह बंद कमरे में छोटी से छोटी जगह पर आसानी से उगाया जा सकता है। तो मशरूम की खेती इतनी लाभकारी क्यों है, और यह किसानों व उद्यमियों को कैसे आमदनी दे सकती है। इसकी जानकारी यहां मिलने वाली है। आप भी ओएस्टर मशरूम की खेती करके लाभ कमा सकते हैं।

ऑयस्टर मशरूम की खेती की विधि

Mushroom cultivation in hindi, ढींगरी मशरूम की खेती कैसे करें?

आमतौर पर ओएस्टर एवं बटन मशरूम को उगाया जाता है। यह मशरूम पौष्टिक होने के साथ गुणकारी भी होते हैं। इसी वजह से मार्केट में इनकी डिमांड बनी रहती है। जिससे इसकी खेती कम जगह में भी की जा सकती है। फसल अवशेषों के साथ ढींगरी मशरूम की खेती करने में लगत कम आती है।

इसे सबसे कम जगह में 10 बैग से शुरू कर सकते हैं। जिसे आप आगे बढ़ा भी सकते हैं। एवं बहुत कम लागत से शुरू होने वाला मशरूम उत्पादन में महिलाएं भी अपना योगदान दे रही है। इसलिए इसे व्यवसाय की दृष्टि से लाभदायक हो सकता है। मशरूम की ढींगरी एवं बटन प्रजाति लोगों के बीच अत्यधिक प्रचलित है

तथा इसकी खेती करने की विधि अलग-अलग है। लेकिन ढींगरी मशरूम की खेती करना सबसे आसान है। इसलिए किसान इसकी खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं। ढींगरी मशरूम को साल भर उगाया जा सकता है। 40 से 45 दिनों में 3 बार इससे उत्पादन लिया जा सकता है।

मशरूम उत्पादन विधि

मशरूम का उत्पादन करने के लिए गेहूं का भूसा या कुट्टी का प्रयोग किया जाता है। तथा एक प्लास्टिक ड्रम की आवश्यकता होती है। जिसमें 100 लीटर पानी लिया जाता है। 20 किलो गेहूं का भूसा की आवश्यकता होती है तथा 5 ग्राम बाबस्टीन को 100 लीटर पानी में अच्छी तरह घोलना चाहिए। जिसमें 250ml फॉर्मलीन दवा डालनी चाहिए। इन सभी सामिग्री को ड्रम के पानी में डालकर अच्छी तरह घोलना जरूरी है।

बाद में ड्रम को बंद कर दें, तथा इसे 24 घंटे के लिए छोड़ दें। 24 घंटे बाद से भूसा बाहर निकाल कर उसके पानी निकलने का इंतजार करें। ध्यान रहे भूसा में पानी की मात्रा बहुत कम हो। इसकी पहचान, अपनी मुट्ठी में भूसे को दबा कर देखें। दबाने पर पानी नहीं निकलना चाहिए, ऐसी अवस्था में हम उस भूसे को आगे की कार्यवाही के लिए उपयोग करेंगे। यह प्रक्रिया पाम टेस्ट कहलाती है।

पाम टेस्ट करने के बाद उसकी 6 किलो की ढेरियां बना लेते हैं। यह सब कार्य करते समय से अपने हाथ तथा जगह को स्प्रिट से एक बार साफ जरूर कर लें। मशरूम की बीज की बुआई के लिए पॉलीथिन का उपयोग करना चाहिए। यह विधि आसान रहता है तथा बिजाई का कार्य शुरू कर सकते हैं। मशरूम की दो तरीके से बिजाई की जा सकती है।

  1. परतदार विधि

आप अपनी आवश्यकता अनुसार किसी भी विधी को अपना सकते है।

इस विधि में 4 इंच की चार परत बिछाई जाती हैं तथा हर परत के ऊपर समान मात्रा में बीज डाला जाता है। बाद में पॉलिथीन का मुंह बंद कर दिया जाता है।

    2. मिश्रित विधि

इस विधि के अनुसार 6 किलो भूसे की डेरिया के ऊपर बीज डालकर भूसे में मिला दिया जाता है तथा पॉलिथीन में भर दिया जाता है तथा पॉलिथीन का मुंह बंद करना जरूरी है।

इसके बाद पॉलिथीन में 8 से 10 छेद कर दिए जाते हैं तथा 20 दिन के लिए बंद कमरे में रख दिया जाता है। ध्यान रखें किसी भी विधि से बुवाई करने पर कमरे का तापमान 28 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक न हो।

बीज की मात्रा

जब हम मशरूम की खेती करते हैं, तो बीज की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है। मशरूम के बीज को स्पान कहते हैं तथा 6 किलो गीले भूसे में 120 ग्राम मशरूम का बीज (स्पान) की आवश्यकता होती है। जिसे समान रूप से 6 किलो गीले भूसे में मिलाया जाता है।

  • अच्छे बीज की पहचान- मशरूम उत्पादन में बीज बहुत महत्वपूर्ण होता है। बीज खरीदते समय ध्यान रखें कि, प्रमाणित एवं विश्वसनीय स्थान से ही ओएस्टर मशरूम का बीज खरीदें। ढींगरी मशरूम का बीज गेहूं के दाने के ऊपर तैयार किया जाता है। जो दिखने में बिल्कुल सफेद एवं साफ होता है। तथा अच्छी तरह पैक किया हुआ होना चाहिए। बीज बनाते तथा भरते समय सफाई का विशेष ध्यान दिया गया। वह किसी भी तरह का फंगस एवं कीट का बीज पर कोई प्रभाव ना हो। ऐसे बीज को आगे उपयोग में लाया जा सकता है।

मशरूम देखभाल

बिजाई के 20 दिन बाद देखेंगे कि, मशरूम का बीज अंकुरण शुरू हो गया है तथा बैग में सफेद कलर की परत दिखाई दे रही है। अब हम भूसे को पॉलिथीन से अलग कर देंगे। उससे पहले स्प्रिट से अपने हाथ तथा जगह को साफ अवश्य करें। अब आप भूसे से पॉलिथीन को सावधानी से अलग कर सकते हैं। ध्यान रखें इस समय पॉलिथीन निकालते समय सावधानी अवश्य बरतें। तथा भूसे के पिंड को बाहर निकाल ले। तथा उसे पुनः वही पर रख दें .

उसी दिन से फब्बारा के माध्यम से हल्का पानी देना शुरू कर दें। दो-तीन दिन बाद मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। धीरे-धीरे धींगरी मशरूम बढ़ना शुरू हो जाएगा। ध्यान रखें पानी हर रोज पिलाना है। पानी कम एवं समान मात्रा में दे। कुछ दिन बाद आपका मशरूम तैयार हो जाएगा। जिसे आप तोड़ सकते हैं।

 मशरूम तोड़ने का समय एवं विधि

 मशरूम उत्पादन करने के लिए इतनी मेहनत के बाद अब उसे तोड़ने का समय आ गया है। मशहूर तोड़ने का समय की पहचान करने के लिए, देखें कि मशरूम का आकार 3 से 4 इंच का हो गया हो, तथा किनारे बिल्कुल सीधे हो यह समय उसके तोड़ने का सही समय होता है। मशरूम को खींचकर न तोड़े।

इससे आपका पिंड खराब हो सकता है। जब भी आप मशरूम तोड़ने जा रहे हैं, तो उसे जड़ से पकड़कर हल्का सा घुमा देना है। वह आसानी से टूट जाएगा तथा उसे इकट्ठा कर सकते हैं। तथा आवश्यकता अनुसार वजन की पैकिंग कर सकते हैं।

 इस तरह धींगरी मशरूम की खेती करके आप आसानी से सफल उद्यमी बन सकते हैं तथा अपने मशरूम उत्पादन को आगे बढ़ा सकते हैं जो आपके लिए एक अच्छा व्यवसाय सिद्ध होगा।

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