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किसान हो या अन्य कोई व्यक्ति ग्रीनहाउस खेती लोगों के बीचअपनी पहचान बनाए हुए हैं। ग्रीन हाउस से पूरे साल आमदनी कर सकते हैं।
ग्रीनहाउस खेती क्या है ?
ग्रीन हाउस एक ऐसी संरचना है जो मारा द्वारा निर्मित की जाती है। जिसमें लोहे, स्टील, बांस, बल्ली ,रस्सी आदि का प्रयोग करके एक विशाल सुरंग नुमा संरचना बनाई जाती है। यह संरचना इतनी विशाल होती है। कि इसके अंदर फसल उत्पादन किया जाता है। इसकी संरचना का आकार एवं डिजाइन आवश्यकता अनुसार भिन्न भिन्न हो सकती है। इसे बनाने के लिए मजदूरों की सहायता ली जाती है।
कई दिनों की मेहनत के बाद ग्रीनहाउस बनकर तैयार हो जाता है। इसमें वातावरण को अनुकूलित रखने के लिए मानव निर्मित संसाधनों का उपयोग किया जाता है।इसके अंदर का वातावरण बाहर के वायुमंडल से भिन्न होता है।
इसके लिए ग्रीन हाउस में नमी एवं आद्रता बनाए रखने के लिए साधारणतः पंखे, कूलर, पानी एवं प्रकाश के लिए पारदर्शी पॉलिथीन का प्रयोग किया जाता है। इसे पॉलीहाउस कहते हैं। पॉलीहाउस में जंगली जानवरों का खतरा कम होता है। जिसमें फसल के नुकसान में कमी आती है।
ग्रीनहाउस का फ़ायदा
बढ़ती जनसंख्या एवं खाद्य समस्या का हल ग्रीनहाउस खेती के माध्यम से किया जा सकता है। यह एक ऐसी खेती है जिसके माध्यम से हम कोई भी फसल किसी भी ऋतु में उगा सकते हैं। ग्रीन हाउस में वातावर को अनुकूलित करने के लिए पर्याप्त समय एवं साधन का उपयोग करके उस वातावरण में हम विशेष फसल के अनुसार बदल सकते हैं। ग्रीन हाउस में यह सब आसान होता है।
जिसमें किसान फल एवं सब्जियों की खेती अधिक करते हैं। ऐसी फसल से बाजार भाव अच्छा मिलता है। जिससे किसान की आय में वृद्धि होती है। ग्रीनहाउस की खेती भारत के कई राज्यो में की जाती है। भारत के साथ-साथ उसकी खेती नीदरलैंड, हॉलैंड, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी आदि देशों में की जाती है। भारत में ग्रीनहाउस खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ आदि राज्यो में की जाती है।
पॉलीहाउस में व्यवस्थित तरीके से फसलों को उगाया जाता हैं। उन सभी फसलों की नियमित देखरेख की जाती है। इसी के साथ पॉलीहाउस के अंदर तापमान का विशेष ध्यान रखा जाता है। जिससे पौधों को उचित वातावरण प्राप्त हो। अनुकूल वातावरण में पौधे अच्छी तरह विकसित होते हैं।ग्रीन हाउस के प्रकार
- साधारण ग्रीनहाउस इस प्रकार के ग्रीनहाउस ठंडे इलाके में प्रयोग होने वाले ग्रीनहाउस होते है। ऐसी ग्रीन हाउस किसान छोटी जगह या अपने घर पर बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए अतिरिक्त कामगार व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं होती। साथ ही इसे बनाने का खर्च भी बहुत कम आता है
- मध्यम तकनीक वाला ग्रीन हाउस Autometed Greenhouse इसका ढांचा मजबूत होता है। यह पूरी तरह अर्धस्वचालित होता है होता है। आवश्यकतानुसार तापमान का नियंत्रण किया जा सकता है। यह ग्रीन हाउस खुली जगह में होने चाहिए। इस तरह की ग्रीन हाउस में आप तकनीक का उपयोग करती है। जैसे पंखा, खिड़की, एग्जास्ट, फव्वारा आदि का उपयोग करके अंदर के तापमान को बनाए रखने में मदद मिलती है।
- एडवांस तकनीक ग्रीन हाउस Semi Autometed Greenhouse इस तरह ग्रीनहाउस पूरी तरह तकनीक से पूर्ण होते हैं। जिन्हें semi Autometed Greenhouse कहते हैं। यह सबसे उच्च तकनीक के ग्रीनहाउस होते हैं। जिसमे कम्प्यूटर सिस्टम काम करता है। ग्रीनहाउस के अंदर के तापमान एवं आद्रता तथा संतुलित वातावरण की निगरानी उच्च तकनीक से की जाती है।
ग्रीन हाउस के लाभ
- ग्रीन हाउस में वातावरण फसल के अनुकूल होता है।
- जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है
- ग्रीन हाउस में उगने वाली फसलें बेहतर उत्पादन देती है
- उपयुक्त पर्यावरण को की कारण बेहतर गुणवत्ता आकार एवं स्वाद
- उत्पादन क्षमता 8 से 10 गुना वृद्धि
- वर्ष भर उत्पादन
- रोगों एवं कीटों की रोकथाम
- सीमित सिंचाई एवं नियंत्रता
- फसल हानि में कमी
ग्रीन हाउस की लागत
ग्रीन हाउस मानव द्वारा निर्मित संरचना है। जिससे किसान अपनी आवश्यकतानुसार उसका निर्माण करता है। ग्रीन हाउस बनाने के लिए शुद्ध स्टील के मटेरियल का उपयोग किया जाता है। सामान्य किसान हो एक मध्यम तकनीक ग्रीन हाउस बनाना चाहिए। जिससे वह अपने उद्देश्य की पूर्ति कर सकें।
किसान को मध्यम तकनीकी ग्रीनहाउस बनाने में 800/- से 1200/- प्रति स्क्वायर मीटर का खर्च आता है। जो कि मध्यम तकनीक ग्रीन हाउस बनाने में खर्च होता है। अगर आप इसमें अतिरिक्त सुविधा देते हैं या इसकी क्वालिटी में बदलाव करते हैं तो यह खर्च ₹2000 स्क्वायर मीटर तक हो सकता है।
ग्रीन हाउस में उगने वाली सब्जियां
ग्रीन हाउस बनाने में शुरुआती खर्च अधिक आता है। जिससे लोगों की जेब पर बोझ पड़ता है। ग्रीन हाउस में ऐसी फसल उगने की सलाह दी जाती है। जिसकी मार्केट में अच्छी कीमत मिल सके। इसमें आपको शिमल मिर्च, खीरा, करेला, फूल , टमाटर आदि की खेती करनी चाहिए। अपने क्षेत्र के बाजार के अनुसार फसल में बदलाव संभव है।
ग्रीन हाउस बनाने के लिए सब्सिडी
ग्रीन हाउस बनाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है जो बनाते समय स्वयं खर्च करनी होती है।ग्रीनहाउस पर खर्च की गयी रकम का 50% रकम सरकार सब्सिडी मुहैया कराती है।
पॉलीहाउस खेती में तापमान और आर्द्रता नियंत्रण
पॉलीहाउस बनाने के बाद उसके तापमान एवं आद्रता बाहर के वातावरण के मुकाबले भिन्न होता है। इसके तापमान और आद्रता को बनाए रखना आवश्यक है। पॉलीहाउस में अंदर का तापमान 25 डिग्री तक होना चाहिए। इसके साथ ही आद्रता 30 से 40% के बीच अच्छी मानी जाती है। जो पौधों के लिए अच्छी होती है।
लेकिन उसके अंदर तापमान एवं आद्रता में उतार-चढ़ाव होता है। इसमें अधिक बदलाव फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए आद्रता और तापमान को नियंत्रण रखना एक चुनौती होती है। आद्रता एवं तापमान पॉलीहाउस की संरचना सफलता तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है।
- तापमान - पोली हाउस में अधिक तापमान होने से पौधों का विकास रुक जाता है एवं इसकी आवश्यक लंबाई बढ़ जाती है। जिससे फसल नुकसान होता है एवं पौधा गिरकर टूट भी सकता है।
- आद्रता - पोली हाउस के अंदर अधिक आद्रता हो तो फंगस का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए पॉलीहाउस में आद्रता और तापमान को नियंत्रण करना चाहि। पॉलीहाउस के अंदर के वातावरण को नियंत्रित करने के लिए पॉली हाउस की दीवारों की जगह साइड में ग्रीन नेट का प्रयोग करना चाहिए। ग्रीन नेट की चौड़ाई जमीन से 4 फीट होनी चाहिए। साथ ही इसे अंदर के तापमान के हिसाब से खोलना एवं बंद करते रहना चाहिए।
तापमान के नियंत्रण एवं. जानकारी के लिए आपको डिजिटल मीटर का प्रयोग करें। साथ ही आप स्वयं भी अंदर का तापमान महसूस कर सकते हैं। पॉलीहाउस की छत पर 50% वाला Greennet नेट का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही कूलर पंखे एवम एडजस्ट का प्रयोग करके अंदर के वातावरण को अनुकूलित किया जा सकता है। तापमान के उतार-चढ़ाव होने पर कीट एवं रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
पॉलीहाउस में अंदर का तापमान फसल को देने वाले पानी से बदलाव संभव है। पोधो को सुबह 10:00 बजे से पहले एवं शाम को 4:00 से 6:00 के दौरान सिंचाई करने चाहिए। इससे तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होगा। पॉलीहाउस में वातावरण के लिए पूरी साल होने वाले परिवर्तन एवं मौसम परिवर्तन के अनुसार योजनाएं बनाये। साथ ही इससे होने वाली हानि से बचे। हमें ध्यान रखना चाहिए किसी भी तरह का जलभरव ना हो।
ग्रीनहाउस खेती का प्रशिक्षण
ग्रीन हाउस बनाने से पहले उसके बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। इससे आपकी सफलता बढ़ जाती है। साथ ही प्रशिक्षण लेना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। इसका प्रशिक्षण लेकर खेती करने से आप लागत में कमी तथा गुणवत्ता में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
ग्रीन हाउस खेती कम समय में पूरा होने वाला कोर्स है। जिसके लिए ऑनलाइन सामिग्री उपलब्ध है। इसकी ट्रेनिंग आप घर बैठे भी प्राप्त कर सकते हैं। कई ऐसे प्रशिक्षण केंद्र हैं, जो आपको प्रमाण पत्र भी जारी करते हैं। इसी के साथ यूट्यूब पर ग्रीनहाउस फार्मिंग के बारे में वीडियो भी मिल जाएंगे, जो आपको इसके बारे में पूरी इंफॉर्मेशन देते हैं।
कई ऑनलाइन कोर्स ग्रीनहाउस की पूरी ट्रेनिंग देते हैं। यह सब फ्री में ग्रीनहाउस फार्मिंग के बारे में दी जाने वाली प्रशिक्षण के बारे में जानकारी है।
अगर आपको सरकारी प्रशिक्षण केंद्र चाहते हैं तो आप सरकार द्वारा चयनित शिक्षण संस्थान में विशेषज्ञों से भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही आपको सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि सब्सिडी का भी लाभ होगा। यह शिक्षण संस्थान देश के अलग-अलग शहर एवं राज्य में स्थापित है।
जहां से आप ग्रीनहाउस फार्मिंग की ट्रेनिंग के लिए संपर्क कर सकते हैं। अगर आप ग्रीन हाउस खेती का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो आप अपने जिले के कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करें। वह आपको उचित मार्गदर्शन देंगे।
ग्रीनहाउस खेती प्रशिक्षण केन्द्र
ग्रीनहाउस खेती प्रशिक्षण संसथान में राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम चलाये जाते है। जिनमे स्नातक युवाओं को रोजगार एवं उद्यमिता सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही बागवानी तथा उद्यान में सफल रोजगार का पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है। ट्रेनिंग के बाद युवा आसानी से 25 लाख का उद्दम लोन बैंक से ले सकता है।
- University of Agriculture Science, Bangalore
- Institution of Horticulture Technology, Grater Noida , New Delhi NCR
- National Institution Of Post Harvest Technology (NIPHT), Pune Mumbai , Dist. Pune 410506, India
- Indian Council of Agriculture Research, New Delhi ,110001
- Central Institution of tropical Horticulture, Lucknow
- Agriculture Science Center, Mansour , Madhya Pradesh 458001
- Agriculture Science Center, Indore ,Madhya Pradesh 452001
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