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अगर आप खरबूजा की खेती कर रहे हैं। तो यहां पर इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है। खरबूजा देखने में जितना स्वच्छ, चमकीला होता है। खाने में इतना ही मीठा एवं पौष्टिक होता है। यह हमारे लिए गर्मियों में खाने के लिए बेहतरीन फलों में से एक है। इसकी खेती गर्मियों में की जाती है। इस समय इसकी मांग अधिक होती है। जो किसान गर्मियों में खरबूजा की खेती करते हैं। वह इससे अच्छी आमदनी करत सकते है।
खरबूजा की खेती कैसे करें ?
यह एसी फसल है जो कम पानी तथा कम लागत में भी संभव है। खरबूजा की कीमत गर्मियों में अधिक मिलती है क्योंकि यह अनेक गुड़ों से भरपूर होता है। खरबूजा खाने से पेट की समस्या में राहत मिलती है। खरबूजा की खेती पुरे साल की जाती है।लेकिन देश के उत्तरी भाग में इसकी खेती गर्मियों में की जाती है। चलिए खरबूजा की फसल के बारे में पूरी बात करते हैं।
बुवाई का समय
खरबूजा को देश के कई क्षेत्रो में उगा सकते हैं। यहां किसकी खेती सालभर की जाती है। देश के उत्तरी भाग में किसान इसकी खेती 15 फरवरी से करना प्रारंभ कर देते हैं। यह समय इसकी खेती के लिए उत्तम होता है। यह महीना Kharbuza ki kheti के लिए अच्छा माना जाता है। इस समय का तापमान इस फसल के लिए अनुकूल रहता है।
- तापमान - खरबूजे की फसल के लिए 15 फरवरी के बाद का तापमान उत्तम रहता है। यह बेल वाली फसल इस समय इसका जमाव बेहतर होता है। इस लता की फसल को जमाव के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। जो इस समय उत्तम होता है।
- पानी का प्रबंध- खरबूजे को पानी की कम आवश्यकता रहती है। इसकी खेती को कम पानी देना चाहिए। किसान सुनिश्चित करें कि इसे अधिक पानी न दें। इससे फसल के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। जो कि नुकसान का कारण बन सकता है। पानी का प्रबंध करते समय ध्यान रखें ,पानी पौधे की जड़ों तक पहुंचे लेकिन फल को बचाना चाहिए।इसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- बीज का चयन - बीज का चयन करते समय अपने क्षेत्र एवं जलवायु के अनुसार बीज का चयन करना चाहिए। बीज फसल की पैदावार में अहम भूमिका निभाता है। बीज को मृदा में अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार प्रयोग करें। खरबूजे की अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज का उपयोग करने से पहले कृषि संस्थान से भी सलाह ले सकते हैं।
उन्नत किस्में
खरबूजे की बुवाई बेड विधि से कर सकते हैं। जहां पर पौधा विकसित होने के लिए आसान रहता है। खरबूजे की अच्छी किस्म का चयन करना आवश्यक है। यह आपकी पैदावार में वृद्धि कर सकता है। खरबूजे की कई किस्म उपलब्ध है। जिनमें उत्तर भारत के लिए हरा मधु, पूसा शरबती, दुर्गापुर मधु, अर्का राजहंस, अर्का सीरी, लखनऊ सफेदा, हिसार सरस, मधुरस, पंजाब - 1, शंकर मीणा आदि प्रमुख है। यह काफी अच्छी किस्में हैं। जिन्हें किसान अपने खेत में लगा सकते हैं। यह किस्म काफी अच्छी पैदावार देती है।
- हरा मधु- यह एक अच्छी है। जिस पर फल के ऊपर धारियां पाई जाती हैं। यह किस्म पूसा संस्थान ने विकसित की है। इसका फल काफी मीठा होता है। जो लोगों को काफी पसंद आता है। फल के अंदर का भाग हरे रंग का होता है।
- मधुरस - इस फल की मांग अधिक है। यह खरबूजा काफी मीठा होता है। यह किस्म पूसा संस्थान ने विकसित की है। इसकी एक फल का वजन लगभग 1 kg - 1.25kg तक हो सकता है। यह अंदर से गुलाबी रंग का होता है। यह किस्म पैदावार में भी आगे है।
- पंजाब -1 - यह किस्म भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है। इसकी खेती किसान काफी समय से कर रहे हैं। यह किस्म लुधियाना से शुरू हुई है। यह भी अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है।
- शंकर मीणा - यह किसम भी बाकी किस्मो की तरह ही उत्पादन देती है। इसे भी अच्छी किस्म माना जाता है। इन सभी किस्मों में से चयन करके खरबूजे की खेती कर सकते हैं। और अच्छा उत्पादन दे सकते हैं।
- अर्का सीरी - खरबूजा की यह किस्म किसान लोगो के बीच काफी लोकप्रिय है। यह Kharbuja मीठा, चमकीला एवं अंदर से हल्का पीला होता है। यह उत्पादन के साथ काफी रसदार होने के साथ लोगों में काफी लोकप्रिय है।
बीज का उपचार
बीज का उपचार करना बहुत जरूरी होता है। एक स्वथ्य बीज फसल के अंकुरण एवं उसके जीवन में काफी अहम होता है। बीज का उपचार पौधे को रोग एवं कीट से बचाने में मदद करता है। एक स्वथ्य बीज रोगमुक्त फल देने में सहायक है। जब हम खरबूजे की बुवाई करते हैं। तो बीच अच्छी किस्म का होना चाहिए। उसे को दो तरह से उपचारित करें।जिसमें फफूंद नाशक दवा व जीवाणु नाशक से बीज उपचारित शामिल है। बीज उपचारित करते समय सबसे पहले फफूंद नाशक का प्रयोग करें तथा बाद में जीवाणु नाशक से बीज उपचारित करें।
बीज उपचारित का तरीका
बीज उपचारित करने के लिए 1 लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ को अच्छी तरह उवालों, इस घोल को ठंडा होने दें। घोल ठंडा होने पर एक पैकेट एजोटोवेक्टर, तथा एक पैकेट पीएसपी को अच्छी तरह मिला लें। तथा इस घोल से बीज को उपचारित करें। यह सुनिश्चित करें कि बूज पर अच्छी तरह उस पर घोल का आवरण बन चुका है। अब आपका बीज बुवाई के लिए तैयार है।
बुवाई करने का तरीका
बुवाई करते समय हमें लाइन से लाइन की दूरी एवं पौधे से पौधे की दूरी का ध्यान रखना आवश्यक है। इससे सभी पौधे को बराबर सही मात्रा में पानी मिल सकेगा। अगर पानी की मात्रा अधिक हो जाती है, तो जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए।
इस फसल में पानी की बहुत कम आवश्यकता होती है। इसके फल को पानी से बचाना चाहिए। पानी से नुकसान हो सकता है। फल के पास पानी अगर पहुंच गया है तो उसके नीचे कोई सूखी वस्तु रखकर फल को बचाना चाहिए। बारिश होने की दशा में फल को गीली मिट्टी के संपर्क में न आने दें।
खरबूजे की बुवाई करते समय ध्यान रखें कि बुबाई मेड पर करें। लाइन विधि से बुवाई इसके विकास में सहायक है। खरबूजे की बुवाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 1 मीटर रखें। तथा पौधे से पौधे की दूरी 1.25 फ़ीट रखें। इससे पौधे की वृद्धि अच्छी रहती है।
पानी की आवश्यकता
खरबूजे की फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है। इसकी पूरी खेती में अधिकतम दो बार ही पानी की आवश्यकता होती है। खरबूजे की खेती में फूल आने की अवस्था में पानी देना चाहिए। इससे फलों की मात्रा एवं गुणवत्ता में वृद्धि संभव है। फल बनने की दशा में वातावरण शुष्क एवं गर्म होने से फलों में मिठास उतनी ही अधिक होगी।
खाद एवं उर्वरक की मात्रा
फसल कोई भी हो खाद की आवश्यकता सभी प्रकार की फसलों को होती है। खाद्द फसल को आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। यह फसल को जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर आदि की मात्रा प्रदान करता है। देसी खाद फल एवं सब्जी की फसल में महत्वपूर्ण होता है। यह गोबर की खाद किसान के पास आसानी से उपलब्ध हो जाती है। आपको इसकी सामान्य मात्रा का प्रयोग कर सकते हैं। जो फसल वृद्धि में अहम है।
सब्जी वाली फसलों में देसी खाद का प्रभाव बहुत अच्छा देखने को मिलता है। किसी कारणवश देसी खाद उपलब्ध न हो तो मिट्टी की जांच कराकर रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं। जो किसान मिट्टी की जांच कराने में असमर्थ हैं। वह 30 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो पोटास, 30 किलो फास्फोरस बुवाई से पहले बीज बोने की जगह पर इस्तेमाल करें।
फसल में रोग एवं कीट नियंत्रण
फसल में कीटों का प्रकोप अपने समय पर हो जाता है। समय रहते इसकी रोकथाम आवश्यक है। खरबूजे की फसल में कीटों का प्रकोप कम रहता है। लेकिन कीट लगने की दशा में इसका प्रकोप फसल को नष्ट कर सकता है। इसलिए समय रहते इसका निस्तारण कर लेना चाहिए। किसी कारणवश रोग एवं कीट का प्रकोप बढ़ रहा है, तो सेवन नामक दवा का समय रहते प्रयोग करें। इसे रोग एवं कीट प्रबंधन में प्रभावी माना गया है। इससे फसल को बचाया जा सकता है।
फसल समय अवधि
अगर आपकी फसल में कोई रोग अथवा कीट का प्रकोप नहीं है। आपकी फसल स्वाथ्य उत्पादन दे रही है तो खरबूजे की फसल तीन महीन में पूरा उत्पादन दे देती है। खरबूजा की फसल की समयावधि 90 से 100 दिन में यह पूरी तरह पककर तैयार हो जाता है।
इन सब बातों का ध्यान रखकर आप एक अच्छी खेती कर सकते हैं। तथा खरबूजे की खेती से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। यह खेती कम समय में अच्छा मुनाफा देने वाली खेती है। यह फसल कम अवधि की फसल है। इस फसल से 90 दिन में अच्छा उत्पादन लेकर आय अर्जित कर सकते हैं।
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