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आज हम पलवल की खेती के बारे में जानकारी बात करेंगे। अगर आपको सब्जियों की खेती करते हैं तो परवल की वैज्ञानिक खेती की सही विधि को जानना महत्वपूर्ण है तो आइए इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं।
परवल की खेती कैसे करें ?
परवल के पौधे बेल (लता) वाले होते हैं, इसलिए उन्हें उचित विकास के लिए सहारे की आवश्यकता होती है। बेलों पर चढ़ने के लिए जाली, खूंटियाँ या ढाँचा स्थापित करें। बेलों को जमीन पर फैलने से रोकने और कटाई को आसान बनाने के लिए समर्थन संरचना के साथ बढ़ने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षित करें।
भारत में सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है जिसमें मुख्य थे मिर्च की खेती, लौकी की खेती, टमाटर की खेती, भिंडी की खेती, मशरूम की खेती के साथ अन्य प्रकार की खेती भी की जाती है। इसके अलावा परवल की खेती भी किसान करते हैं जो कि एक अच्छा कृषि विषय बिज़नेस आईडिया है।
यह आपको कम क्षेत्रफल में अच्छा मुनाफा कमा कर दे सकता है। लोग परवल की खेती को काफी पसंद करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसे एक बार लगाने के बाद 3 साल तक पैदावार ली जा सकती है। इसकी खेती आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
जलवायु और मिट्टी
परवल के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। यह 25-35°C (77-95°F) के बीच तापमान में पनपता है। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो। मिट्टी का पीएच थोड़ा अम्लीय से तटस्थ, लगभग 6.0-7.0 होना चाहिए। परवल वर्षीय फसल है। सही विधि से लगाई गई परवल की फसल अच्छा उत्पादन दे सकती है।
इसके लिए जरूरी है कि पौधे के विकास के लिए सही मिट्टी का चुनाव आवश्यक है। इसे दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी में लगाना उचित रहता है। इसके अलावा मिट्टी का PH 7 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। साथ ही समतल एवं जलभराव मुक्त होनी चाहिए।
परवल के खेत की तैयारी
हम परवल को दोमट एवं बलुई दोमट मिटटी में लगा रहे है। तो हमें दो सामान्य जुदाई कल्टीवेटर से करनी चाहिए। साथ ही खेत के चारों तरफ सफाई का ध्यान रखें। खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी होनी आवश्यक है। आवश्यक होने पर दो बार रोटावेटर से खेत में मौजूद ढेलों को खत्म करने की कोशिश करें। फसल की रोपढ़ विधि
परवल की फसल की बुबाई के लिए बीज की आवश्यकता नहीं होती। परवल को जमीन में लगाने के लिए 10 - 11 CM की परवल की लता की आवश्यकता होती है। जिसे खास विधि से रोपाई की जाती है। बुबाई से पहले पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
फसल में खाद एवं उर्वरक
परवल बोने से पहले मिट्टी में जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई खाद डालें। इससे मिट्टी समृद्ध होगी और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलेंगे। इसके अतिरिक्त, आप स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए बढ़ते मौसम के दौरान संतुलित एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं।
गोवर की सड़ी खाद 2 ट्राली या कम्पोस्ट या मुर्गी की खाद या नीम की खाद, DAP - 50 Kg, MOP- 25 Kg, SSP - 50 kg एवं खेत की मिट्टी आदि का मिश्रण तैयार करके समान मात्रा में पोधो के पास देना है। उर्वरक मिश्रण को 10-12 Kg गोवर, 5 Kg बालू, 250Gm नीम की खल, 100 Gm बुझा चुना प्रति पौधा उपयोग करें। परवल का पौधा लगाने के बाद कल्ले निकलने तक नमी बनाये रखे। पोधो को जलभराव से बचाए रखें।
परवल की बुबाई की विधि
परवल की बुबाई की तीन विधियाँ है।
१ - मंडप विधि२ - क्यारी विधि
३ - बैड विधि
बैड विधि - परवल की फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए बैड विधि कारगर एवं अच्छा विकल्प है। बैड विधि को अपनाकर इस कृषि बिजनेस आइडिया को बेहतर तरीके से अपना सकते हैं। परवल रोपाई करने के लिए बेड की चौड़ाई 2 फीट, बैड की ऊंचाई 1 फ़ीट निर्धारित करें। इस विधि से बैड की तैयारी करके आगे का कार्य शुरू कर सकते है।
परवल में खरपतवार नियंत्रण
इस में समय के साथ खरपतवार उगने लगते हैं, जो की फसल को हानि पहुंचा सकते हैं। परवल की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन कभी-कभी दवाओं का विपरीत प्रभाव भी हो सकता है। परवल में खरपतवार नियंत्रण का सबसे सही तरीका है, कि समय-समय पर फसल की निराई - गुड़ाई करते रहे। इससे पौधों में वृद्धि एवं विकास की संभावना बढ़ जाती है। पढ़ाई करते समय पौधों से उचित दूरी बनाए रखें।
परवल में रोग एवं कीट नियंत्रण
एफिड्स, माइट्स और फल मक्खियों जैसे सामान्य कीटों पर नज़र रखें। कीटों के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जैविक या उपयुक्त रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें। परवल को प्रभावित करने वाली कुछ सामान्य बीमारियों में ख़स्ता फफूंदी और फलों का सड़ना शामिल हैं। रोग की घटनाओं को कम करने के लिए अच्छी स्वच्छता, उचित वेंटिलेशन बनाए रखें और पौधों की भीड़भाड़ से बचें।
परवल की फसल में कई प्रकार के कीट एवं रोग अपना प्रभाव दिखाते हैं। जिन्हें पौधे एवं पैदावार प्रभावित होती है। ऐसे में समय रहते उनका नियंत्रण आवश्यक है परवल की खेती में तना छेदक, सफेद मक्खी, फल सड़न, उक्टा रोग आदि कीट एवं रोग फसल को अधिक छतिग्रस्त करते हैं। जिससे रोकथाम करना अति आवश्यक है।
- फल मक्खी नियंत्रण के लिए - फेरोमेन ट्रेप का उपयोग करें।
- तना छेदक - यह कीट पोधो की गाँठो में पाया जाता है। जिससे चिपचिपा पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। पौधे की पत्तियों पीली जाती है।
- बचाव - एसीफेट 1.25 Gm/L या मिथोमिल 1 Gm/L घोल का छिड़काव करें।
- निमेटोड - लगातार तीसरी बार इसका प्रभाव अधिक देखने को मिलता है। यह रोग जड़ो में गांठे बना देता है।
- बचाव - फीफरोनिल दवा 5 KG / एकड़ मिटटी में पोधो की जड़ो के पास देना चाहिए।
परबल की उपचार विधि
फसल के 50 - 55 दिन की अवधि में फंगीसाइड दवा का स्प्रे करना चाहिए। इसके अलावा 80 दिन की अवधि होने पर M-45 दवा का छिड़काव अवश्य करें। फसल को 100 दिन की अवस्था में फंगीसाइड दवा का छिड़काव द्वारा से शुरू कर दें। 120 से 130 दिन की अवधि होने पर अमीनो एसिड का छिड़काव करें। इन दवाओं का आवश्यकतानुसार छिड़काव करें। जिससे फसल रोग एवं कीट से मुक्त हो। रोग एवं कीट उपचार के लिए उपयोगी मिश्रण है।
फसल की कटाई
परवल के फल आमतौर पर बुआई के 60-80 दिनों के भीतर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फलों की तुड़ाई तब करें जब उनकी लंबाई लगभग 4-5 इंच हो जाए और उनका रंग हरा हो जाए। बेलों से फल काटने के लिए तेज़ चाकू या छंटाई वाली कैंची का उपयोग करें। किसी भी नुकसान से बचने के लिए फलों को सावधानी से संभालें।
अपने परवल के पौधों की नियमित देखभाल और ध्यान देना याद रखें, जिसमें खरपतवार नियंत्रण, कीटों और बीमारियों की निगरानी और उचित सहायता प्रदान करना शामिल है। समय और प्रयास के साथ, आप अपने बगीचे से परवल की भरपूर फसल का आनंद ले पाएंगे।
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