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बांस एक ऐसा पौधा है जो एक बार लगाने के बाद तीन साल के बाद हर साल बिकता है जो कम देख रेख तथा कम पानी मे भी बड़ी आसानी से उग जाता है | और पुरे साल हरा भरा रहता है। इसलिए कम लगत में Bans ki Kheti आसान है। बास को हरी सोने के परिवेश के रूप में जाना जाता है। यह एक फूल वाली स्थाई और सदाबहार पौधा है जो घास से संबंधित है। बॉस से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते है। जिससे बांस की खेती करना आसान हो जाता है।
बांस की खेती कैसे करें?
आज हम बॉस के बारे में बात करने जा रहे है। यहाँ Bamboo Business idea के बारे में जानकारी दी गयी है। यहाँ आपको आसान भाषा में Bans ki सफल kheti के बारे में बताया गया है। इसकी खेती किसानो केलिए फायदेमंद साबित हो रही है। जिससे किसान अच्छा मुनाफा है। तो जानते है बांस की खेती कैसे होती है?
भारत में सबसे अधिक बांस उत्तर पूर्व राज्य आंध्र प्रदेश ,असम ,मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम में होता है। Bamboo की आवश्यकता को देखते हुए देश में छत्तीसगढ़ तमिलनाडु झारखंड मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश केरल मैं भी Bans ki kheti की जाती है। बांस का उत्पादन Production सबसे अधिक चीन में होता है
भारत बांस उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है भारत में बांस का फर्नीचर मार्केट 30 करोड़ से ज्यादा है। भारत में हर साल 32 लाख 30 हजार टन का उत्पादन होता है। भारत में प्रति हेक्टेयर बॉस 1 से 10 टन उत्पादन होता है। यह चीन के मुकाबले बहुत कम है। चीन में औसतन प्रति हेक्टेयर उत्पादन 50 टन होता है।
भारत में बांस का मार्केट 30 करोड़ से ज्यादा होने पर इसकी मांग 2 करोड़ 70 लाख टन है। लेकिन भारत में बांस की कमी के चलते इसकी आपूर्ति केवल 1 करोड़ 33 लाख तक ही है। बांस से 1500 काम के उपयोग में लिया जाता है।
बॉस Bamboo Plant एक ऐसा पौधा है जो पूरी साल हरा भरा रहता हैं। इसे हरा सोना भी कहते है। यह बहुत मजबूत एवं लचीला घास की प्रजाति का सदाबहार पेड़ है। Bans के पेड़ का हर हिस्सा अलग अलग उपयोग में लाया जा सकता है।
बॉस की उम्र लगभग 60 से 130 साल तक हो सकती है। एवं इसकी लम्बाई 50 से 70 फ़ीट तक हो सकती है। Bans के पुरे जीवन में एक बार ही बीज आते है।
यह उसके पकने की अवस्था होती है। बॉस लगभग 136 तरह के पाए जाते है। बॉस को एक बार लगाने के बाद वह अपनी संख्या स्वम बढ़ाता रहता है। यह एक पोधे से 50 पोंधो तक बढ़ सकते हैं। Baans के रोपाई के कुछ समय तक देखरेख करने के बाद आपका साथ देगा। बॉस की खेती अन्य फसलों की तुलना में अधिक उत्पादन और आमदनी देने वाली फसल मानी जाती है।
बॉस का पेड़ Bans ka ped मनुष्य को ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने में सहायक है। इसके साथ ही यह बहुत तेजी से बढ़ता है ऐसा मन जाता है की Bamboo एक दिन में एक मीटर तक बढ़ जाता है। बॉस को बारिस के मौसम में सबसे अधिक बढने की बात कहि गयी है।
इसे मनुष्य अपने जन्म से आखरी समय तक अलग अलग उपयोग में लाता है। इसका उपयोग खाने पहनने स्वास्थ्य व्यवसाय आदि में किया जाता है। इसकी पत्तियाँ चारे के उपयोग में लायी जाती हैं। Bans ka ped एक मजबूत बहुमुखी और हरित पर्यावरणीय पौधा है
यह किसी भी मौसम में आसानी से उग जाता है यह सबसे तेज वृद्धि करने वाला पौधा माना जाता है | बांस Bamboo का प्रयोग भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में किया जाता है।
केंद्र सरकार उनकी जिदगी में खुशहाली लाने का प्रयास कर रही है इसी के साथ ही केंद्र सरकार भी बॉस Plant की खेती Bans ki kheti को बढावा देने के प्रयास में जुट गई है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत प्रोत्साहित करने के लिए इस योजना का प्रचार प्रसार किया जाएगा।
बांस का उपयोग
Bamboo के मामले में भारत चीन के बाद दूसरा सबसे अमीर देश है। देश में पहाड़ी क्षेत्रों में बॉस का उपयोग भवन निर्माण के लिए किया जाता है इसके साथ ही विभिन्न उद्योगों में पारंपरिक और समकालीन उपयोगों अनुप्रयोगों की लगातार बढ़ती श्रृंखलाएं जैसे भवन निर्माण,फर्नीचर, कपड़ा, उद्योग, भोजन, और ज्यादा हर्बल दवा आदि ने Bans का प्रयोग किया जाता है।
बॉस से संबंधित आजीविका रोजगार की संभावना से विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। किसानों की आय में वृद्धि तथा अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए ध्यान में रखते हुए बॉस Plant की विशाल उपयोगिता राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) को बढ़ावा देने के लिए देश में कार्यालय के लिए अनुमोदित किया गया है। बॉस की इतनी उपयोगिता होने से Bans ki kheti से पैसे कमाना आसान हो जाता है।
- खाने मे
- फर्नीचर मे
- घर बनाने में
- धार्मिक कार्य में
- खिलोने बनाने में
- बायो फ्यूल बनाने में
- वास्तु में भी बॉस का प्रयोग किया जाता है।
खाने में
इसके साथ ही बॉस को भोजन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है इसे पोषण का मुख्य स्रोत माना जाता है।बाम्बू में प्रोटीन पाया जाता है और यह स्वदिष्ट होता है। इस वजह से लोग इसे अपने हिसाब से खाने के प्रयोग में लाते है। कुछ लोग बांस का मुरब्बा बड़े चाव से खाते है।
फर्नीचर में
जैसा की हम जानते है की बाजार में मिलने वाला लकड़ी का सामान अब bamboo से बनाने लगा है। इसमें लगतार वृद्धि है जिससे की बांस की कीमतों में उछाल आया है। Bans से सीढ़ी, मेज, कुर्सी, पंखा, बांसुरी, प्लाई, बैड, चारपाई आदि सामान बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाता है।
निर्माण कार्य
जैसा की हम जानते है Bans एक लचीला एवं मजबूत पेड़ है। और इसकी ऊंचाई 70 फ़ीट तक हो सकती है।इसी वजह से इसका उपयोग इमारत के निर्माण में भी किया जाता है।
घर बनाने में
भारत के कुछ हिस्सों में आज भी लोग बांस के घरो रहते है। वह Bamboo से ही अपने घर बनाते है और वह बांस के घर में ही रहते है
वाहन बनाने मे
Bans भारत ही नहीं बाकि देशो में भी लोकप्रिय है। काफी समय से आज तक इसका प्रयोग बैल गाड़ी , घोड़ा गाड़ी आदि वाहनों के लिये बॉस से बना उपकरण एवं ढांचा लोग काफी पसंद करते है। चीन में एक ट्रैन में बांस का प्रयोग किया है।
धार्मिक कार्य में
भारत में ही नहीं बाकि देशो में भी बांस को धार्मिक कार्यो में सम्मिलित किया जाता है।
बायो पेट्रोलियम पदार्थ बनाने में
विश्व में बांस कितना उपयोगी है। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की अब इससे CNG एवं Bio-fule बनाने में उपयोग किया जाता है।
वास्तु में भी बॉस का प्रयोग किया जाता है।
इतने लाभ लेने के बाद आप बांस से स्वास्थ्य,आर्थिक एवं वास्तु निवारण भी कर सकते है। फेंगसुई में बांस का महत्व बताया गया हैं।
बाँस के लाभ एवं फायदा
- Bans हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बांस एक मजबूत लचीला एवं जल्दी बढ़ने वाला पेड़ है। यह पीपल के बाद दूसरा ऐसा पौधा है जो अन्य पेड़ पौधों की अपेक्षा ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है। इसकी खेती से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में बढ़ोतरी के साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
- बांस को घास की प्रजाति का पौधा माना गया है Bans में घास की तरह एक कल्ले से अनेक कल्ले विकसित होते हैं और इसे कोई खास देखने की आवश्यकता नहीं होती। बांस कम लागत में ज्यादा आमदनी देने वाली यह सबसे अच्छी फसल मानी जाती है।
- इसे एक बार लगाने के बाद अपने आप अपनी देखरेख करता रहता है। सिर्फ शुरुआती दिनों में इसकी देखभाल करने की आवश्यकता होती है।
- इसकी खेती करने के साथ आप उसी खेत में कोई दूसरी फसल भी लगा सकते हैं। बांस से उस फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लम्बा होने की वजह से आप खेत में जैविक खाद बनाने का भी काम शुरू कर सकते हैं। यह इसका सबसे अधिक फायदा है।
- आप केंचुआ खाद बनाने के बेड को इन पेड़ों के नीचे बना सकते हैं। जिससे आपके बेड पर सीधी धूप नहीं आएगी और आपका केचुआ मरेगा नहीं। इस तरह से आप एक खेत से दो काम शुरू कर सकते हैं और अपनी आय भी दोगुनी कर सकते हैं।
- बांस की गिरी हुई पत्तियां खेत में जैविक खाद का निर्माण करेंगे। जिससे आप जैविक खेती को अपनाकर वायुमंडल के शुद्धिकरण में अपना योगदान दे सकते हैं। इसके साथ ही बांस ऐसा पेड़ है जो अपने आप ही अपनी देखरेख करता रहता है इसको लगाने से आवारा पशुओं को खेत के अंदर आने से रोक सकता हैं।
- यह मोबाइल टावर की इलेक्ट्रॉनिक तरंगो को रोकने में सक्षम माना जाता है। इसके इस्तेमाल को देखते हुए सरकार ने इसे सामाजिक व्यवसायिक वानिकी में स्थान दिया है और इसकी व्यवसाय खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की है। इससे लकड़ी की कटाई में कमी लाई जा सकती है।
जलवायु
बॉस को किसी भी प्रकार की मिट्टी में लगाया जा सकता है इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए इसमें जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। बांस का पेड़ गर्म जलवायु में भी अच्छी तरह बढ़ता है लेकिन इसे 15 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान नहीं चाहिए |
बांस के लिए शुष्क जलवायु वाला वातावरण उपयुक्त माना जाता है।बॉस की जड़ ज्यादा गहराई तक नहीं जाती और पतली होने के कारण जमीन में अच्छी पकड़ नहीं बना पाती। इसलिए इसे तेज हवा,पानी, आंधी आदि से बचाना चाहिए। बांस की खेती के लिए ज्यादा ठंडा क्षेत्र को उपयुक्त नहीं माना जाता।
बांस की खेती करने के लिए बांस की कलम को लगाया जाता है | परंतु उसका बीज भी लगा सकते हैं | उसको लगाने के लिए बेड प्रक्रिया सबसे उपयुक्त रहती है | इसे पहले पॉली पैड्स पर उगते है।बाद में खेत में स्थानांतरित किया जाता है | खेत में लगाने से पहले 1 वर्ष की कली होना आवश्यक है। फिर उसे कली की जड़ सहित १ मीटर आकार के गड्डो में लगाकर वर्षा ऋतु में रोपाई करना चाहिए।
भूमि का चयन
बॉस घास की प्रजाति का पौधा है। घास होने की वजह से इसमें यह गुण पाया जाता है। एक घास की तरह ही अपना वर्ताव करता है। ऐसा माना जाता है कि जहां घास उग सकती है। वहां पर बांस भी उग सकता है। यहां घास की तरह ही अपनी स्वयं संख्या वृद्धि करता है। जिसमें जलभराव ना हो। ऐसी मिट्टी जिस का पीएच मान 7 से 9 के बीच हो ऐसी मिट्टी में बांस लगाया जा सकता है। इस तरह की मिट्टी में यह अच्छी वृद्धि करता है। जिससे यह जल्दी तैयार हो जाता है
भूमि की तैयारी
बांस लगाने के लिए भूमि को अच्छी तरह तैयारी आगे के समय के लिए फायदा पहुंचा सकती है। अगर बांस बिना किसी उद्देश्य से लगा रहे हैं तो आपको भूमि की ज्यादा तैयारी करने की जरूरत नहीं है आपको 1 गड्डे में गोबर की खाद और मिट्टी मिलाकर डाल देना है। और बांस का पेड़ लगा देना है 2 से 3 दिनों के अंतराल में 60 दिनों तक उसकी सिंचाई करते रहना है।
Bans ki Kheti Kaise Kare? |
लेकिन अगर आप बांस से आमदनी करना चाहते हैं तो आपको भूमि की तैयारी करने की आवश्यकता होती है। बांस के लिए तैयारी करने के लिए आपको दो गहरी जुताई मिटटी पलट हल एवं कल्टीवेटर से करनी चाहिए और पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए।
आप चाहे तो बेड पर भी बांस लगा सकते हैं या समतल खेत में भी बुबाई कर सकते हैं। खेत समतल करने से पहले बुवाई के समय खेत में नाइट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटाश का उपयोग अवश्य करना चाहिए। जिससे बांस की ग्रोथ जल्दी होती है। आपको इनकी मात्रा मिट्टी की आवश्यकता अनुसार प्रयोग कर सकते हैं।
बाँस की किस्म एवं प्रजाति
जिसकी जैसी किस्म होगी वह उसी तरह का व्यवहार करता है। इसी तरह बांस की भी अपनी अलग-अलग किस्म पाई जाती है विश्व में बांस की कुल 1500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में बांस की 136 प्रजाति जिसमें से 125 स्वदेशी और 11 विदेशी प्रजातियां पाई जाती है। इन प्रजातियों के बांस का उपयोग अलग-अलग काम के लिए किया जाता है।
इनमें से कुछ ठोस बॉस होते हैं तथा कुछ बांस खोखले होते हैं। जिनके अपने अलग-अलग विशेष गुण हैं। जो अलग-अलग वातावरण के लिए उपयुक्त होती है। भारत में पाई जाने वाली बॉस की प्रजाति मैं कुछ महत्वपूर्ण प्रजाति है।
- टुण्डा बाम्बू
- एसपर बाम्बू
- न्यूट्रॉन बाम्बू
- ब्रान्डीसे बाम्बू
- ओलिबरी बाम्बू
- बांसुरी बैंबू
- बामन बंबू
- कटंगा बम्बू
- लोजिपैथोसे बाम्बू
- हिमालटोनी बाम्बू
- मल्टीप्लेक्स बाम्बू
- येल्लोवलग्रीज बाम्बू
- ग्रीन वलग्रीज बाम्बू
- डेंटोक्लीमस बाम्बू
- भीमा बैंबू ( बलकुआँ )
येल्लोवलग्रीज
इसका प्रयोग फर्नीचर डेकोरेशन आदि में किया जाता है यह बांस मजबूर एवं लचीला होने के कारण फर्नीचर में इसका उपयोग काफी समय से किया जाता है।
टुण्डा बांस
यहां बांस अंदर से खोखला होता है। जिससे पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इसका उपयोग अगरबत्ती आइसक्रीम स्टिक बनाने में किया जाता है।
बांसुरी वैंबू
यह बैंबू दूसरे बांस के अपेक्षा कम मोटा एवं पतला होता है तथा यह अंदर से पूरी तरह खोखला होता है। इस बांस का उपयोग बांसुरी खिलौने आदि बनाने में किया जाता है।
बामन बांस
यह बैंबू मोटा एवं इसके गठान पास होते हैं। यह लचीला एवं मजबूत बांस होता है। इसका उपयोग डेकोरेशन आदि में किया जाता है।
भीमा बैंबू (बलकुआँ)
यह बांस भारत में सबसे ज्यादा बोया जाने वाला बांस है। यह बंबू 50 सीट तक लंबा हो सकता है। यह बायोफ्यूल बनाने में काम आता है। इस बांस का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में अधिक होता है।
खाद एवं उर्वरक
ऐसा माना जाता है कि बांस बिना किसी उर्वरक के भी बोया जा सकता है। लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि हमें जल्दी से जल्दी बास से आमदनी शुरू हो जाए। इसलिए हम बास को अलग से पोषक तत्व देते हैं। जिससे बास Plant जल्दी ग्रोथ करता है। हमें जल्दी आमदिनी शुरू हो जाती है।
इसमें नाइट्रोजन फास्फोरस, पोटास दिया जाता है। बॉस की फसल में खाद की मात्रा 15 किलो प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, 15 किलो प्रति हेक्टेयर फास्फोरस, एवं 20 किलो प्रति हेक्टेयर पोटास दिया जाता है। आवश्यकता होने पर पोटास को दोहरा सकते हैं जिससे वाह जल्दी ग्रोथ करता है। इसके साथ ही आप जैविक खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।
बैंबू प्लांट Plant में लिक्विड फर्टिलाइजर का भी प्रयोग कर सकते हैं। नाइट्रोजन के लिए Iffco nano liquid urea का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही जैविक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। जैविक खाद केमिकल रहित होता है तथा इसका असर ज्यादा दिनों तक होता है। अगर आप जैविक खाद का उपयोग कर रहे है तो Iffco Sagrika Z ++ का उपयोग कर सकते है।
यह एक दानेदार खाद है। इसमें पोधो के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद है। आवश्यकतानुसार जैविक खाद एवं जैव द्रव्य का प्रयोग कर सकते हैं। इसका उपयोग समय-समय पर करते रहना चाहिए। वैसे तो बॉस Plant किसी भी जगह उग जाता है। लेकिन बांस का उत्पाद पूर्वोत्तर के क्षेत्र में अधिक किया जाता है| इसके साथ ही देश में बांस का वार्षिक उत्पादन लगभग 3.20 मिलियन टन है।
रोपाई का तरीका
इसे पहले पॉली पैड्स पर उगते है।बाद में खेत में स्थानांतरित किया जाता है | खेत में लगाने से पहले 1 वर्ष की कली होना आवश्यक है। फिर उसे कली की जड़ सहित 2 मीटर आकार के गड्डो में लगाकर वर्षा ऋतु में रोपाई करना चाहिए। बॉस की रोपाई उत्पादकता पर सीधा असर डालती है। खेत में बॉस बेड विधि से लगा सकते हैं या फिर सामान्य तरीके से भी बॉस की रोपाई की जा सकती है।
बांस लगाते समय आपको पौधे से पौधे की दूरी 4 फीट एवं लाइन से लाइन की दूरी 12 फीट होनी चाहिए। इससे बॉस का पेड़ सीधा एवं ज्यादा ऊंचाई तक जाएगा। बांस की कटाई करते समय कोई दिक्कत नहीं होगी बांस का पौधा लगाने के लिए 2 फीट का गड्डा किया जाता है।
जिसमें नाइट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटास बताए हुए मात्रा के अनुसार डाल सकते हैं या गोबर की खाद एवं खेत की मिट्टी बराबर मात्रा में मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
गड्ढों में बांस के पौधे को लगाकर गड्ढे भर दे। इसमें आप जैविक खाद एवं केंचुआ खाद भी डाल सकते हैं। इसके बाद पानी डाल दें। ध्यान रखें बांस को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसी तरह से आप बॉस की रोपाई कर सकते हैं|
और आवश्यकता अनुसार समय-समय पर उर्वरक एवं पानी देते रहें। शुरुआत के एक महीना बांस के पौधे के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। बॉस के अच्छी तरह विकसित होने पर वह स्वयं मिट्टी से पानी एवं पोषक तत्व ग्रहण कर लेता है।
पौधा तैयार करने की विधि
बांस के पेड़ से पौधा प्राप्त किया जा सकता है। पौधा तैयार करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाये जा सकते है।
- बीज से
- राइजोम
- बांस की कलम
- टिशुकल्चर
बीज से
किसी भी पौधे को उगाने के लिए बीज आसान एवं सरल माध्यम है। हम किस्म के अनुसार उसमें समय लगता है। कभी कभी देखा गया है कि हमें बीज की प्राप्ति नहीं होती। इस स्थिति में हम दूसरे तरीके अपनाकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं। बांस की कई किस्म का बीज मिलना मुश्किल हो जाता है।
बांस का बीज उसकी उम्र के आखिरी पड़ाव पर आते हैं। इसके उम्र अधिक होने के कारण यह सिर्फ अपने बीज अपने जीवन में एक बार ही देता है। जो कि लंबी प्रक्रिया है। इसलिए बीज से बहुत धीमी प्रक्रिया है।
एक बीज से बांस उगने के लिए शुरुआत में 15 से 20 दिन बीज के अंकुरण के लिये निर्धारित होते हैं। 21 से 30 तक शुरूआती अवस्था होती है। 40 दिन में पौधा विकसित होता है एवं खेत में रोपाई के लिए उसे एक से डेढ़ साल का वक्त लगता है।
राइजोम
जो पेड़ अपनी जड़ों से अपने ही प्रजाति /किस्म के दूसरे पेड़ विकसित करते हैं उन्हें राइजोम प्रक्रिया कहते हैं। ऐसे पेड़ जिनकी जड़ों में गाठों से दूसरे पेड़ विकसित होकर अपना जीवन प्रारंभ करते हैं। यह उसी पेड़ की तरह होते हैं। जिनसे वह उत्पन्न होता है। जिसे कल्ले / कंद निकलना भी कहते हैं।
ऐसे कल्ले को शुरुआती दिनों में निकलते समय ही जड़ सहित अलग कर दिया जाता है और दूसरी जगह पर स्थानांतरित कर सकते हैं। उस कल्ले/कंद को उसी प्रक्रिया से गड्ढा करके लगाने से पेड़ की प्राप्ति होती है। यह सरल आसान प्रक्रिया है। इस विधि से पैसा खर्च किए बिना पौधे लाने की आवश्यकता नहीं होती।
कलम विधि
यह विधि राइजोम विधि के समान है। बांस के पेड़ से उसके कलम लेकर लगा सकते हैं और बांस का पेड़ प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि में ऐसे बास का प्रयोग किया जाता है। जिसकी गांठ से दूसरी टहनी विकसित हुई है।
हम उसी टहनी की कलम बनाकर बांस प्राप्त करेंगे। बांस की गांठ से निकली हुई टहनी को बांस से उस टहनी की जड़ सहित काटकर 1 फीट लंबी कलम को उसी प्रक्रिया से लगा सकते हैं आप एक से अधिक टहनी लगाकर पेड़ की प्राप्ति कर सकते हैं।
टिशुकल्चर
इस विधि से पौधे तैयार करना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इस विधि से बांस का पौधा लगाने से सबसे जल्दी ग्रोथ करता है। इससे ज्यादा बढ़वार देता है। टिशूकल्चर से पौधे तैयार करने से उसमें कोई भी गुण दोष नहीं आता। यह विधि से नए पौधे में कोई बीमारी या किसी अन्य तरह की समस्या साथ नहीं आती। इस विधि को फ्रेश विधि माना जाता है। जो सबसे अच्छा तरीका है। बांस की खेती करने वाले लोग इसी विधि से पौधे लगाने की सलाह देते हैं।
पानी की आवश्यकता
बांस 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान से ऊपर तापमान पर भी जिंदा रह सकता है। अधिकतम तापमान के बारे में कोई टिप्पणी नहीं है। बांस को शुष्क क्षेत्र में भी आसानी से लगा सकते हैं। बांस को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती।
बांस लगाने के शुरुआती दिनों में दो-तीन दिन बाद पानी की आवश्यकता होती है। आप लगभग 60 दिनों तक इस प्रक्रिया को अपना सकते हैं। इसके बाद इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। इसे आवश्यकता होने पर ही पानी उपलब्ध कराएं।
बांस की कटाई
बांस की उन्नत खेती करने पर तेजी से विकास करता है। बांस की आवश्यकतानुसार सही किस्म ,पानी, खाद, देखभाल करने पर बांस को 3 साल बाद उसकी कटाई कर सकते हैं।
इसकी कटाई आपकी आवश्यकता पर निर्भर करती है। एक बार कतई करने के बाद यह हर साल दूसरे बांस कतई करने योग्य तैयार हो जाते हैं। बांस की कटाई का सही समय वर्षा ऋतू से ठीक पहले कर सकते हैं। बांस की कटाई कभी भी की जा सकती है।
बांस का उत्पादन
बांस का उत्पादन अपनी जरूरतों के आधार पर निश्चित होता है। अगर आपको जल्दी आमदनी चाहिए। तो बांस को पकने से पहले काटना होगा। भारत में बांस का उत्पादन चीन से कम होता है। जबकि भारत में बांस की मांग बढ़ती जा रही है। भारत में प्रत्येक हेक्टेयर उत्पादन 1 से 10 टन है और इसकी मांग 2,70,00000 टन है। भारत में बांस उत्पादन 3,230,000 टन है। इसकी आपूर्ति 1,30,00,000 टन है।
जबकि भारत में फर्नीचर मार्केट 30 करोड़ से ज्यादा है। अगर आप एक हेक्टेयर खेत में बांस के पौधे लगाते हैं तो लगभग 900 पौधे 1 हेक्टेयर में लगाते हैं। लगाने के 3 साल बाद इसकी कटाई कर सकते हैं। लगाने वाले 900 बांस से बढ़कर 3000 से 3500 या इससे अधिक हो जाते हैं। लगभग 4 गुना बांस की संख्या में वृद्धि हो जाती है। इससे अधिक उत्पादन होता है।
बांस से कमाई
बॉस की खेती दो साल बाद ही उत्पादन दे सकती है। इसी के साथ आप 2 वर्ष बाद आप आगे की फसल की तैयारी करके रखें इससे अतिरिक्त income आमदनी अर्जित हो सकती है। जो की बॉस की खेती के साथ कर सकते है। बांस से income कमाई लगभग 3 साल बाद शुरू हो जाती है। 3 साल के बाद हर साल बांस बेचकर पैसा कमा सकते हैं। डिमांड के मुताबिक अपनी खेत से बांस बेच कर आप लाखों रुपए 1 एकड़ से कमा सकते हैं।
यह 3 साल के बाद अपनी संख्या के मुताबिक बढ़ती जाती है। अगर आपने ₹50 प्रति बांस की बिक्री हुई और आपने 3 साल बाद 3000 बांस बेचे तो 1,50,000 की आमदनी 3 साल बाद शुरू हो जाएगी। यह शुरुआती कमाई होगी तो आपको प्रति एकड़ ₹1,50,000 की आमदनी शुरू हो जाएगी।
FAQ
बांस कितने दिन में तैयार हो जाता है ?
बांस की आवश्यकतानुसार सही किस्म ,पानी, खाद, देखभाल करने पर बांस को 3 साल बाद उसकी कटाई कर सकते हैं। इसकी कटाई आपकी आवश्यकता पर निर्भर करती है। एक बार कतई करने के बाद यह हर साल दूसरे बांस कतई करने योग्य तैयार हो जाते हैं। बांस की कटाई का सही समय वर्षा ऋतू से ठीक पहले कर सकते हैं। बांस की कटाई कभी भी की जा सकती है।
बांस की नर्सरी कैसे तैयार करें ?
इसे पहले पॉली पैड्स पर उगते है। बाद में खेत में स्थानांतरित किया जाता है | खेत में लगाने से पहले 1 वर्ष की कली होना आवश्यक है। फिर उसे कली की जड़ सहित 2 मीटर आकार के गड्डो में लगाकर वर्षा ऋतु में रोपाई करना चाहिए।
बांस की उन्नत प्रजाति ?
भारत में बांस की कुल 136 प्रजातियां पाई जाती है। जिनके अपने अलग-अलग विशेष गुण हैं। जो अलग-अलग वातावरण के लिए उपयुक्त होती है। भारत में पाई जाने वाली बॉस की प्रजाति मैं कुछ महत्वपूर्ण प्रजाति है।
बांस एक दिन में कितना बढ़ सकता है ?
बॉस का पेड़ Bans ka ped मनुष्य को ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने में सहायक है। इसके साथ ही यह बहुत तेजी से बढ़ता है ऐसा मन जाता है की Bamboo एक दिन में एक मीटर तक बढ़ जाता है। बॉस को बारिस के मौसम में सबसे अधिक बढने की बात कहि गयी है।
बांस की खेती से कमाई ?
यह 3 साल के बाद अपनी संख्या के मुताबिक बढ़ती जाती है। अगर आपने ₹50 प्रति बांस की बिक्री हुई और आपने 3 साल बाद 3000 बांस बेचे तो 1,50,000 की आमदनी 3 साल बाद शुरू हो जाएगी। यह शुरुआती कमाई होगी तो आपको प्रति एकड़ ₹1,50,000 की आमदनी शुरू हो जाएगी।
मध्य प्रदेश में बांस की खेती ?
Bamboo की आवश्यकता को देखते हुए देश में छत्तीसगढ़ तमिलनाडु झारखंड मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश केरल मैं भी Bans ki kheti की जाती है। बांस का उत्पादन Production सबसे अधिक चीन में होता है भारत बांस उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है भारत में बांस का फर्नीचर मार्केट 30 करोड़ से ज्यादा है।
बांस कितने प्रकार के होते है ?
विश्व में बांस की कुल 1500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इन प्रजातियों के बांस का उपयोग अलग-अलग काम के लिए किया जाता है। इनमें से कुछ ठोस बॉस होते हैं तथा कुछ बांस खोखले होते हैं।
बांस के बीज ?
किसी भी पौधे को उगाने के लिए बीज आसान एवं सरल माध्यम है। हम किस्म के अनुसार उसमें समय लगता है। कभी कभी देखा गया है कि हमें बीज की प्राप्ति नहीं होती। इस स्थिति में हम दूसरे तरीके अपनाकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं। बांस की कई किस्म का बीज मिलना मुश्किल हो जाता है। बांस का बीज उसकी उम्र के आखिरी पड़ाव पर आते हैं। इसके उम्र अधिक होने के कारण यह सिर्फ अपने बीज अपने जीवन में एक बार ही देता है।
भारत में बांस का उत्पादन ?
भारत में हर साल 32 लाख 30 हजार टन का उत्पादन होता है। भारत में प्रति हेक्टेयर बॉस 1 से 10 टन उत्पादन होता है। यह चीन के मुकाबले बहुत कम है। चीन में औसतन प्रति हेक्टेयर उत्पादन 50 टन होता है। भारत में बांस का मार्केट 30 करोड़ से ज्यादा होने पर इसकी मांग 2 करोड़ 70 लाख टन है। लेकिन भारत में बांस की कमी के चलते इसकी आपूर्ति केवल 1 करोड़ 33 लाख तक ही है। बांस से 1500 काम के उपयोग में लिया जाता है।
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