सतत कृषि का मतलब है फसल को इस तरह उगाना जो अभी और भविष्य में भी पर्यावरण के लिए अनुकूल हो, किसानों के लिए सही हो, और समुदायों के लिए सुरक्षित हो। हानिकारक रसायनों का उपयोग करने या मिट्टी को नुकसान पहुँचाने के बजाय यह फसलों को बदलने, खाद का उपयोग करने और पानी बचाने जैसे प्राकृतिक तरीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रकृति की रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि किसानों की लागत कम करके और उन्हें एक स्थिर आय अर्जित करने में भी मदद करता है। इसका मतलब यह भी है कि हम जो खाना खाते हैं वह ताज़ा, स्वस्थ और अधिक जिम्मेदारी से उत्पादित हो सकता है। ऐसी दुनिया में जहाँ जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और खाद्य असुरक्षा वास्तविक समस्याएँ हैं, टिकाऊ कृषि एक बेहतर, दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है जो सभी को लाभान्वित करती है - हमारी फसल को उगाने वाले लोगों से लेकर इसे खाने वाले लोगों तक। छात्रों सहित युवा लोगों को यह सीखकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए कि उनका भोजन कहाँ से आता है और ऐसे विकल्प चुनें जो एक स्वस्थ ग्रह का समर्थन करते हैं। संधारणीय कृषि क्या है? मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और खा...
मखाना, जिसे फॉक्स नट्स के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक लोकप्रिय स्नैक है और इसका उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। मखाना बीज द्वारा उत्पादित किया जाता है और मुख्य रूप से तालाबों, झीलों और आर्द्रभूमि के स्थिर पानी में पाया जाता है। मखाने की खेती कैसे करें मखाना और इसकी उन्नत खेती के लिए अधिकतम मात्रा में जल उपलब्ध होना चाहिए। निम्नलिखित तरीकों से Foxnuts Farming की जा सकती है। मखाना एक बहुत ही लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है। भारत में खुशखबरी है। क्योंकि यहां इसकी खेती के लिए उचित जलवायु और मृदा है। इसकी खेती भारत के अनेक हिस्सों में की जाती है। मखाना की फसल जलजमाव वाली जमीन पर अच्छी पैदावार देता है। इसके फायदे को जानकर जमींदार लोग अपने खेत को मखाना उत्पादन के लिए कुछ साल के लिए किराए पर दे रहे हैं। जिन खेतों में पिछले कई सालों से खेती नहीं हो रही है। उन खेतो से मखाना उत्पादन करके आमदनी की जा रही है। इसकी खेती के लिए व्यापक ज्ञान, समय और धैर्य की जरूरत होती है क्योंकि फोक्स नट्स की फसल में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जैसे कीटों और बीमारियों से निपटना इत्या...