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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संधारणीय कृषि: एक जिम्मेदार भविष्य का निर्माण

सतत कृषि का मतलब है फसल को इस तरह उगाना जो अभी और भविष्य में भी पर्यावरण के लिए अनुकूल हो, किसानों के लिए सही हो, और समुदायों के लिए सुरक्षित हो। हानिकारक रसायनों का उपयोग करने या मिट्टी को नुकसान पहुँचाने के बजाय यह फसलों को बदलने, खाद का उपयोग करने और पानी बचाने जैसे प्राकृतिक तरीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रकृति की रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि किसानों की लागत कम करके और उन्हें एक स्थिर आय अर्जित करने में भी मदद करता है। इसका मतलब यह भी है कि हम जो खाना खाते हैं वह ताज़ा, स्वस्थ और अधिक जिम्मेदारी से उत्पादित हो सकता है। ऐसी दुनिया में जहाँ जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और खाद्य असुरक्षा वास्तविक समस्याएँ हैं, टिकाऊ कृषि एक बेहतर, दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है जो सभी को लाभान्वित करती है - हमारी फसल को उगाने वाले लोगों से लेकर इसे खाने वाले लोगों तक। छात्रों सहित युवा लोगों को यह सीखकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए कि उनका भोजन कहाँ से आता है और ऐसे विकल्प चुनें जो एक स्वस्थ ग्रह का समर्थन करते हैं। संधारणीय कृषि क्या है? मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और खा...

मखाना की खेती खोल रही कमाई के नए द्वार

मखाना, जिसे फॉक्स नट्स के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक लोकप्रिय स्नैक है और इसका उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है। मखाना बीज द्वारा उत्पादित किया जाता है और मुख्य रूप से तालाबों, झीलों और आर्द्रभूमि के स्थिर पानी में पाया जाता है। मखाने की खेती कैसे करें मखाना और इसकी उन्नत खेती के लिए अधिकतम मात्रा में जल उपलब्ध होना चाहिए। निम्नलिखित तरीकों से Foxnuts Farming की जा सकती है।  मखाना एक बहुत ही लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है। भारत में खुशखबरी है। क्योंकि यहां इसकी खेती के लिए उचित जलवायु और मृदा है। इसकी खेती भारत के अनेक हिस्सों में की जाती है। मखाना की फसल जलजमाव वाली जमीन पर अच्छी पैदावार देता है। इसके फायदे को जानकर जमींदार लोग अपने खेत को मखाना उत्पादन के लिए कुछ साल के लिए किराए पर दे रहे हैं। जिन खेतों में पिछले कई सालों से खेती नहीं हो रही है। उन खेतो से मखाना उत्पादन करके आमदनी की जा रही है। इसकी खेती के लिए व्यापक ज्ञान, समय और धैर्य की जरूरत होती है क्योंकि फोक्स नट्स की फसल में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं जैसे कीटों और बीमारियों से निपटना इत्या...

सर्दियों में पशुपालन की देखभाल कैसे करें

ठण्ड के मौसम में पशुओ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है। जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। सर्दियों से पशुओ को बचने का विशेष प्रवन्ध करना जरुरी है, गाय ठंड के प्रति संवेदनशील होती है। इस मौसम में गाय को साफ गुनगुना या ताज़ा पानी पीने को दे साथ ही बड़ी गाय को 500 ग्राम गुड़ प्रतिदिन सर्दियों में खाने को देना चाहिए। साथ ही नमी से दूर रखें। पशुओं को ठण्ड से बचाने के तरीके सर्दी का समय आते ही वातावरण में बदलाव होने लगता है। और पशुओ के लिए भी यह बदलाव महत्वपूर्ण है। ठण्ड में अपने पशुओ को सर्दी लगने से बचाना जरुरी है। किसान अपने पशुओं को ठंड के मौसम से बचाने के लिए उनके रहने का उचित प्रवन्ध करे। हवा के द्वारा ठण्ड लगने का खतरा अधिक रहता है। ठंडी हवा से पशुओ को बचाकर सर्दी होने से बचाया जा सकता है। ठण्ड लगने से पशु सुस्त हो जाता है। पशु चारा छोड़ देता है। साथ ही निमोनिया जैसे रोगो का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में पशुओं के दूध में भारी कमी हो सकती है। सर्दियों में हरे चारे की मात्रा कम कर देनी चाहिए। साथ ही पानी का उपयोग कम से कम करे। पशुओं को अधिक ठंडी...

खेत में हरी खाद बनाएं

अगर आप हरी खाद बनाने की सोच रहे है। तो सबसे पहले आपको उसके सही क्रम के बार में जानना चाहिए। अगर आप सही तरीके से खाद बनाने का क्रम जान लेते है। तो आपका खाद कम लगत में अच्छा काम करेगा। आगे जानते है।  ऐसा कोई किसान नहीं है जो हरी खाद के बारे में नहीं जानता हो। इसमें से कई तो इस प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं। Green Manuring का उपयोग किसान लंबे समय से कर रहे हैं। यह खेतो में को आवशयक पोषक तत्व प्रदान करती है। तो आज हम हरी खाद बनाने का तरीका के बारे में जानेंगे। हरी खाद बनाने की विधि का संक्षिप्त वर्णन हरी खाद बनाने का सही तरीका यह फसल के लिए अत्यंत उपयोगी है। जो फसल को लगभग सभी तरह के पोषक तत्व प्राप्त कराने में सक्षम है। अगर आप भी हरी खाद बनाना चाहते हैं। तो इसे अपनाकर अपने खेतों में इस प्राकृतिक खाद का लाभ ले सकते हैं।  इसका  निर्माण की प्रक्रिया सीधी एवं सरल है। इसे आप घर पर ही तैयार कर सकते हैं। आपको बस कुछ चीजों की आवश्यकता होगी।  जैसा नाम से विदित है कि हरे पोधो से बने हुए खाद, जिसको खेत में इस्तेमाल किया जाएगा। इसका बहुत सीधा एवं आसान मतलब है। इसका बनाना भी उतना ...

जिप्सम फसल उत्पादन में कैसे सहायक है ?

जिप्सम कृषि में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। जिप्सम क्या है? आपको जिप्सम के बारे में क्या पता होना चाहिए। इस लेख में हम जिप्सम की परिभाषा और जिप्सम के उपयोग क्या हैं, इस पर चर्चा करेंगे। खेत में जिप्सम की कितनी मात्रा डालनी चाहिए? ताकि फसल को जिप्सम के पोषक तत्व पूरी तरह मिल सकें। हम जिप्सम के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आप यहां जिप्सम की उपयोगिता भी जान सकेंगे। ज़िप्सम क्या है? जिप्सम एक तहदार खनिज पदार्थ है। जो माइंस के द्वारा बड़ी-बड़ी खानों से प्राप्त किया जाता है। जिप्सम को कैलशियम सल्फेट डाइर्हाइड्रेट भी कहते हैं। इस का रासायनिक सूत्र caso4.2h2o है। जिप्सम को बनाने में कैलशियम, सल्फर, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन से मिलकर बना होता है। जिप्सम सल्फर का अच्छा स्रोत है। इसे दलहन एवं तिलहन फसलों में इस्तेमाल करने से उनकी गुणवत्ता 10 -20 % वृद्धि देखी जा सकती है। मृदा की सेहत को सुधारने के लिए जिप्सम का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जिप्सम एक प्रकार की मिट्टी होती है। जो एक प्रक्रिया द्वारा तैयार करके जिप्सम के रूप में प्रयोग करते हैं। यह राजस्थान के बीकानेर में पाई जाती है। जिप्स...