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अपना स्वयं का केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनाना

रासायनिक और जैविक खादों का उचित अनुपात फसल की वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है। पूरे साल, केंचुआ खाद को किसी भी फसल में खाद और मिट्टी सुधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। और इसके कई फायदे हैं। वर्मीकंपोस्टिंग लगभग सभी फसलों के लिए फायदेमंद है।

केंचुआ खाद बनाने की प्रक्रिया

जिसका उपयोग किसान फसलों और बगीचों के लिए कर सकते हैं। केंचुआ नामक जीव गाय के गोबर को खाद में बदल सकता है। जिसे केंचुओं से बनी खाद के रूप में जाना जाता है। केंचुआ खाद बनाने के लिए सब्जियों के छिलके और जैविक कचरे की जरूरत होती है। कीड़े गाय के गोबर और जैविक कचरे को खाकर वर्मीकम्पोस्ट बनाते हैं। इसके अलावा, वे पोषक तत्वों से भरपूर खाद भी छोड़ते हैं।

इस प्रक्रिया की अवधि 60 से 70 दिन है। अंतिम उत्पाद वर्मीकम्पोस्ट खाद है, जो पोषक तत्वों से भरपूर है। यदि आप केंचुआ खाद बनाना चाहते हैं तो वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया सरल है, और यह खाद फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

घर पर वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाते समय, छायादार जगह आदर्श होती है। यह जगह ज़मीन से नौ से दस इंच ऊपर होनी चाहिए। इस जगह पर पानी भरा नहीं होना चाहिए। अगर बेड के पास ज़्यादा अंधेरा होगा तो केंचुए ज़्यादा सक्रिय होंगे।

नारियल के छिलके, केले के पत्ते, नीम के पत्ते और फसल के अवशेषों की चार से छह इंच मोटी परत बिछाकर वर्मीकम्पोस्ट बनाया जाता है। इसके अलावा, मिट्टी और गोबर का मिश्रण तैयार करें जो 15 से 20 दिन पुराना हो। फसल के अवशेष, नीम के पत्ते, फलों और सब्जियों के छिलके आदि को दफनाने के लिए गड्ढों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद, प्रत्येक बेड में प्रति वर्ग फुट 100 केंचुए रखे जाते हैं।

तीसरी परत जो 12 से 15 इंच मोटी होती है, उसे गोबर और कार्बन बायो-अवशेष की बराबर मात्रा मिलाकर तैयार किया जाना चाहिए। इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल बारीक कटा हुआ होना चाहिए और गोबर की मात्रा सामान्य रहनी चाहिए। साथ ही, अधपके अवशेष का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

हर क्यारी को ढकने के लिए जूट की बोरियों का इस्तेमाल किया जाता है और रोजाना पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए। नियमित निगरानी भी की जानी चाहिए। 30 दिनों के बाद क्यारियों को समतल करके पलट देना चाहिए। इन कच्चे माल से 60-70 दिनों में वर्मीकंपोस्ट बन जाता है।

चाय की पत्तियों जैसा गहरा काला रंग आने पर वर्मीकंपोस्टिंग प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। अब पानी का छिड़काव न करें। साथ ही, केंचुओं को हटा दें। जब क्यारी सूख जाए तो उसे छानकर पैक कर दें।

कंटेनर का चुनाव

खाद निर्माण करने के लिए एक कंटेनर का चुनाव करना चाहिए। यह लकड़ी या प्लास्टिक का हो सकता है। जिसमें जल निकासी तथा प्रकाश की सुविधा हो।

बेड सेट करें

केंचुए की खाद (वर्मी कंपोस्ट) के लिए 13 फुट लम्बा, 3 फुट चौड़ा, 1.5 फुट गहरा बेड बनाना सबसे उपयुक्त होता है। जिसमें केंचुए को विकसित होने में सुविधा रहती है। एक बैड से दूसरे बैड की दुरी 1.5 फुट होनी चाइये। इसमें कैचुआ अधिक क्रियाशील रहते हैं।

केंचुआ डालें

बेड बनाने के बाद केंचुआ डाल सकते हैं। जिसमें स्थानीय विक्रेता या अपनी सुविधानुसार खरीद सकते हैं। जो स्वाथ्य एवं पूर्ण विकसित हो। Vermi compost खाद बनाने के लिए केंचुआ की सबसे अच्छी किस्म स्टीना फरीडा है। इसका दूसरा नाम रेड़बम या टाइगर बम से जानते है। यह काम समय में जल्दी खाद बनाने में सक्षम है।

केंचुआ का भोजन

प्रक्रिया में केंचुआ को भोजन देना शुरू करें। जिसमें जैविक अपशिष्ट, गोबर सब्जियों - फल के छिलके आदि शामिल है।

खाद की देखभाल

लगातार खाद निर्माण प्रक्रिया जारी रखने के लिए आस - पास पशु होना आवश्यक है। बेड में मौजूद रो मटेरियल में पर्याप्त नमी बनाए रखें याद रखें उसमें जलभराव नहीं होना चाहिए अधिक होने पर इसने दिला कर दें तथा सावन में नमी का स्तर बनाए रखें।

खाद तैयार

अच्छी देखभाल एवं नियमित कार्यप्रणाली अपना करते समय सीमा पर कीड़े जैविक पदार्थ के कचरे से गुणवत्तापूर्ण वर्मी कंपोस्ट में बदल देंगे। जिसे निकालकर पैक कर सकते हैं तथा केंचुओ को नए पक्ष में भेज सकते हैं। एक गड्डे से लगभग 10 - 12 क्विंटल खाद प्राप्त किया जा सकता है।

वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग

अब आपके पास प्राकृतिक रूप से पोषक तत्वों से भरपूर केंचुआ खाद बनकर प्रयोग करने के लिए तैयार है। इसे बगीचे की मिट्टी को सुधारने के लिए प्रयोग कर सकते हैं तथा पौधों की जड़ों में जोड़ा जा सकता है।

गंध और कीटों का प्रबंधन

कीटों को भोजन सामान्य मात्रा में दें। अप्रिय गंध की दशा में जैविक कचरे को नीचे दबा दें पिता खाने की आदतों में बदलाव संभव है सनी अवशोषित करने के लिए नीचे मोटी परत दिखाएं।

अगर आपने उड़ता है खुले में बेड बनाए हैं। तो  कीटों का नियंत्रण जरूरी है पक्का करें कि आपके सभी बेड पूर्ण बैठे हुए हैं। तथा कीट प्रवेश न कर पाए आवश्यकता हो तो बेड के ऊपर महेश जाली लगा सकते हैं।

सही तापमान बनाए रखें

वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए युवाओं को सही बात उपलब्ध कराएं बनाने के लिए  कीड़ों को  55 डिग्री फारेनहाइट से 77 डिग्री फारेनहाइट यानी 13 डिग्री सेंटीग्रेड से 25 डिग्री तापमान  मैं केचुआ अधिक क्रियाशील होते हैं। साथ ही अधूरी एकांत जगह से इन्हें अच्छा लगाव होता है।

अपना क्षेत्र बढ़ाएं

जैसे-जैसे आपका वर्मी कंपोस्ट प्लांट आगे बढ़ता है। वैसे ही आप के कीड़ों की वृद्धि कई गुना बढ़ जाती है। साथ-साथ की आवश्यकता में इजाफा होता है। यह आपके लिए नए अवसर लेकर आ सकता है।

क्योंकि लगातार वृद्धि अतिरिक्त क्षेत्र विस्तार में मदद कर सकती है। जिन्हें आप प्रति किलो के हिसाब से भेज सकते हैं। यह एक प्रक्रिया आपके लिए दूसरा रास्ता भी दिखाती है।

केंचुआ खाद उपलब्ध पोषक तत्व

केंचुआ खाद कचरे का सही उपयोग और पोषक तत्वों से भरपूर हाथ बनाने का अच्छा एवं प्रभावी तरीका है। जब केंचुआ खाद के पोषक तत्वों की बात की जाए। तो इसमें उपलब्ध रो मटेरियल की समग्र संरचना के अनुरूप पोषक तत्व धन्य हो सकते हैं। प्राप्त वर्मी कंपोस्ट में नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटेशियम के साथ विभिन्न पोषक तत्वों की सटीक सामग्री होती है।

  • नाइट्रोजन (एन): 1-2%
  • फास्फोरस (पी): 0.5-1%
  • पोटेशियम (के): 0.5-1%
  • कैल्शियम (सीए): 0.5-1%
  • मैग्नीशियम (मिलीग्राम): 0.2-0.5%

सूक्ष्म पोषक तत्व (जैसे लोहा, मैंगनीज, जस्ता, तांबा): ट्रेस मात्रा में मौजूद

ये प्रतिशत अनुमानित हैं और फीडस्टॉक और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यह ध्यान देने योग्य है। कि सिंथेटिक उर्वरकों की तुलना में वर्मीकम्पोस्ट आमतौर पर पोषक तत्वों की सांद्रता में हल्का होता है।

लेकिन यह लाभकारी सूक्ष्मजीवों और कार्बनिक पदार्थों की एक समृद्ध और विविध सरणी प्रदान करता है। जो मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार कर सकता है।

यदि आप अपने क्षेत्र में उत्पादित वर्मीकम्पोस्ट के लिए विशिष्ट पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त करने में रुचि रखते हैं। तो मैं स्थानीय वर्मीकम्पोस्ट उत्पादकों या कृषि विस्तार सेवाओं तक पहुंचने की सलाह दूंगा। उनके पास आपके क्षेत्र के लिए विशिष्ट पोषक तत्व सामग्री पर डेटा हो सकता है।

वर्मी कंपोस्ट से लाभ

इस खाद में 16 तरह के पोषक तत्व पाए जाते है। यह गार्डन तथा फसल उत्पादन में सहायक होते है। किसी भी तत्व की हानि होने पर रासायनिक उर्वरक का सहारा लिया जाता है। इसमें मौजूद 16 प्रकार के पोषक तत्व मिटटी की भौतिक संरचना सुधारकर मिटटी को प्राकृतिक विधि से उपजाऊ बनाता है। ऐसे खाद मृदा में प्रकाश संश्लेषण एवं जल धारण क्षमता विकसित करके जड़ो के विकास के लिए सही वातावरण पैदा करता है।

रासायनिक तथा जैविक उर्वरक के सही अनुपात से फसल बृद्धि संभव है। केंचुआ खाद को पूरे वर्ष भर किसी भी फसल में मिट्टी संशोधन एवं उर्वरक के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। तथा इससे लाभ ले सकते हैं। यहां कुछ स्थिति और कारण हैं, जिनके लिए वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करके लाभ ले सकते हैं।

  1. गार्डन और वेजिटेबल - इसे बगीचे की मिट्टी की संरचना एवं जल धारण क्षमता में सुधार करने के लिए जोड़ सकते हैं। यह मृदा में पोषक तत्व और लाभकारी सूक्ष्मजीवों कार्बन पदार्थ से समृद्ध करता है। पौधों के विकास एवं स्वास्थ्य के लिए उत्तरदाई भूमिका निभाता है। जो मिट्टी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि आदि संभव है।
  2. सीड स्टार्टिंग और ट्रांसप्लांटिंग - केंचुआ खाद सीड स्टार्टिंग के समय उपयोग स्टार्टिंग में मदद करता है। यह रोपाई के समय महत्वपूर्ण हो जाता है।तथा नियमित ड्रेसिंग के रूप में उपयोग करने से पौधों में सौम्य बृद्धि संभव है। यह नए पदपो के लिए अनुकूल पोषक तत्व उपलब्ध कराता है।
  3. मृदा उपचार - केंचुआ खाद ऊसर व क्षारीय मृदा की गुणवत्ता मैं सुधार करता है। यह मृदा में सूक्ष्मजीव तथा वायुसंचार में वृद्धि करता है। मृदा की जल धारण क्षमता में वृद्धि करके फसल को पूर्ण आवश्यक पोषक तत्व मुहैया कराता है। ऐसी मृदा में फसल का पूर्ण विकास संभव है।
अगर हम इसका व्यवसाय करना चाहते हैं। तो इसे शैड में बैड के माध्यम से तैयार करना होगा तथा पैकिंग कर के किसानों को बेच सकते हैं। 2023 में केंचुआ खाद व वर्मी कंपोस्ट के निर्माण की पूरी विधि के साथ इसके लाभ के बारे में मार्गदर्शिका दी गई है।

मिट्टी में केंचुओं की भूमिका

केंचुए किसानों के सबसे अच्छे दोस्त हैं और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी हैं। मिट्टी में रहकर यह फसल अवशेषों के प्रबंधन में तेज़ी लाता है। मिट्टी में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ इसके द्वारा विघटित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप पौधे इसे अवशोषित कर लेते हैं। मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक ज़रूरी घटक केंचुए हैं। वर्मीकम्पोस्ट बनाकर किसान फसल अवशेषों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर पाएँगे। केंचुआ सतह के नीचे जाकर पौधों की जड़ों को विकसित करता है। परिणामस्वरूप, फसल अधिक उत्पादन करती है और स्वस्थ होती है।

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