Latest post

टेरेस फ़ार्मिंग क्या है?

सरसों की खेती कैसे करें : एक व्यापक मार्गदर्शिका

सरसों भारत का लोकप्रिय मसाला है जो सरसों के पौधों के बीजों को पीसकर बनाया जाता है। यह अपने अनोखे तेज़ एवं तीखे स्वाद और चमकीले काले तथा पीले रंग के लिए जाना जाता है। जबकि सरसों को अक्सर विभिन्न अचार, फ़ास्ट फ़ूड के लिए एक तेल के रूप में उपयोग किया जाता है, सरसों कई तरह के व्यंजनों में एक अनोखा स्वाद के लिए भी प्रसिद्ध है।

सरसों की उन्नत खेती करने के तरीके

सरसों तिलहनी फसल है जो सम्पूर्ण भारत के कई राज्यों में लगाई जा सकती है। सरसों को राई भी कहते है। जिसे तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। राई को रसोई में मुख्य स्थान दिया गया है। इसके तेल का विभिन्न प्रयोग किया जाता है। सही समय और सही विधि से बोई जाने वाली फसल तथा उन्नत किस्मो का चयन आपके उत्पादन को सुधार सकता है। सरसों की फसल मुख्यतः राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में पैदा की जा सकती है। इन राज्यों में की जाने वाली काली सरसों की अच्छी पैदावार के लिए निरंतर निगरानी एवं प्रवंधन आवशयक है।

फसल में प्रयोग होने बाली सरसों

  1. पीली सरसों: यह सबसे आम प्रकार वाली सरसो है, पीली सरसों बीज से उगाई जाती है। इसका स्वाद हल्का और चमकीला पीला रंग है। भारत में इसकी खेती की जाती है। इसमें भरपूर तेल पाया जाता है।
  2. डिजॉन सरसों: यह सरसों सफेद वाइन और डिजॉन सरसों के बीज से उगाई जाने वाली एक फ्रांसीसी सरसों है। यह अपने तीखे स्वाद और मलाईदार बनावट के लिए जाना जाता है।
  3. साबुत अनाज वाली काली सरसों: यह साबुत सरसों के बीजों से उगाई जाने वाली काली सरसों है , इसकी बनावट खुरदरी, रंग काला और तेज़ स्वाद वाली होती है। इसमें प्रचुर तेल की मात्रा पाई जाती है।

सरसों के उपयोग के तरीके

  • अचार के लिए उपयोग करना: सरसों के बीज का उपयोग अचार में तीखा स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  • खाना बनाने में प्रयोग करना : सरसों का उपयोग विभिन्न व्यंजनों सब्जी आदि में एक घटक के रूप में प्रतिदिन किया जाता है, जैसे सरसों का साग, सरसों की चटनी और सरसों का सूप, सरसों का तेल आदि।
  • पोषक तत्वों से भरपूर सरसों: सरसों में विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं, जिनमें विटामिन सी, आयरन और कैल्शियम शामिल हैं।
  • सरसों में एंटीऑक्सीडेंट गुण: सरसों के बीज में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कोशिका क्षति आदि से बचाने में मदद कर सकते हैं।
  • पाचन क्रिया एवं स्वास्थ्य अनुकूल गुण: सरसों पाचन को उत्तेजित करने और भूख में सुधार करने में मदद कर सकती है।

सरसों के लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु

सरसों की बुबाई करते समय क्षेत्र की जलवायु, मौसम का विशेष ध्यान रखा जाता है। सामान्यतः सरसों की बुबाई 5 अक्टूबर से प्रारम्भ कर देना चाहिए। अगर छेत्र का तापमान अधिक है तो अनुकूल जलवायु की प्रतीक्षा करे।

सरसों सामन्य वर्षा के साथ ठंडी शुष्क जलवायु में पनपती है। यह मध्यम ठंढ को सहन कर सकता है लेकिन अत्यधिक तापमान से हानि हो सकती है। सरसों को 6.0-7.5 pH वाली भुरभुरी, अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट उपजाऊ मिट्टी आदर्श होती है।

सरसों की उन्नत किस्मों का का चयन, मात्रा एवं बुबाई

यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन उपजाऊ मिट्टी में इसकी खेती सबसे अच्छा उत्पादन देती है। सरसों की बुबाई के लिए स्थानीय उन्नत किस्मों का चयन करें। तथा सरसों बुबाई की मात्रा निर्धारित करे। बीज की मात्रा खेत की स्थिति के अनुसार चयन करे।

इसकी अनुशंषित मात्रा 4.5 kg/हेक्टेयर की दर से अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है। बुआई के लिए क्यारियाँ तैयार करें। सरसों की बुबाई कतार विधि से करने पर बीज का पूर्ण उपयोग किया जा सकता है। बीज बुबाई करते समय क़तार से कतार की दूरी 30 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी रखनी चाहिए।

खेत की मिटटी की तैयारी करना

सरसो के बीज के अच्छे अंकुरण के लिए खेत की मिटटी की तैयारी अति आवश्यक है। खेत को समतल एवं मिटटी की जाँच अवश्य करानी चाहिए। खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। यह सरसो के जमाव के लिए आवश्यक है।

खेत में आवश्यकतानुसार कार्बनिक पदार्थ डालें तथा भूमि की गहरी जुताई करें। एक जुताई मिटटी पलट हल से तथा ३-४ बार सामान्य जुताई करके मिट्टी को बारीक किया जाता है। सरसों की खेती करने के लिए अधिक गहरी जुताई की आवश्यकता नहीं होती।

सरसों का बीज उथली गहराई पर बोएं जो आमतौर पर 1-2 सेंटीमीटर (0.4-0.8 इंच) तक हो सकता है। कम गहराई में सरसों के जमाव में लगभग 5 से 7 दिन में हो जाता है।

फसल में सिचाई की आवश्यकता

सरसों की फसल में क्षेत्र एवं जलवायु के अनुसार सिचाई में भिन्नता हो सकती है सरसो में मध्यम सिंचाई करनी चाहिए। शुष्क अवधि के दौरान आपको सिंचाई की आवश्यकता होती है, फसल में अधिक पानी देने व जल भराव से फसल को बचाएँ।

सरसो की फसल को अपनी अवधि के दौरान दो बार सिचाई करनी चाहिए। फसल में पहला पानी 30 दिन पर देना चाहिए, अगर आप दूसरी बार सिचाई कर रहे है तो फूल आने और फली भरने के चरण के दौरान हल्का पानी दे सकते है।

फसल में कीट एवं खरपतवार नियंत्रण करना

सरसों की फसल में क्षेत्र एवं जलवायु के अनुसार कीट एवं खरपतवार भिन्न हो सकते है तथा इन्हे नियंत्रण करना भी भिन्न हो सकता है। अपने निजी तौर तरीके अपनाये। फसल में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है। यह सरसों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, यह फसल से जरुरी पोषक तत्व की हानि कर सकते है इसलिए समय पर खरपतवार हटाना अतिआवश्यक है।

खेत से खरपतवारों को निकालने और नियंत्रित करने के लिए इन तरीकों का प्रयोग करें।

  1. खेत की निराई गुड़ाई करें : मानव सहायता से फसल से खरपतवारों को हटाने के लिए विकास के प्रारंभिक चरण में फावड़ा या खुरपी का प्रयोग करें,
  2. रासायनिक नियंत्रण: सरसों के पौधों को नुकसान पहुँचाए बिना खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए पेंडीमेथिलीन दवा का प्रयोग करें।
  3. कीट एवं रोग प्रबंधन: सरसो में मौसम एवं जलवायु के अनुसार कीटों और बीमारियों का प्रकोप देखने को मिलता है सही प्रवंधन के लिए स्थानीय उपचार चुने। कीट एवं रोगों के प्रबंधन के लिए अपनी फसल की नियमित निगरानी करें और उन्हें प्राम्भिक अवस्था में नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय करें। फसल में लगने वाले आम कीटों में एफिड्स, पिस्सू बीटल और कैटरपिलर शामिल हैं। जो आम तौर पर फसल में फली बनते समय देखने को मिलते है।

फसल में खाद एवं उर्वरक का प्रवंधन

सरसों की उन्नत पैदावार लेने के लिए फसल में उर्वरक का प्रवंधन आवश्यक है। मृदा परीक्षण के बाद उर्वरक की मात्रा का चयन करें। सरसों के खेत में 100 किलो नाइट्रोजन, यह वायुमंडल से नाइट्रोजन खींच सकती है।

मिट्टी में 50 किलो फास्फोरस, 25 किलो पोटेशियम का पर्याप्त स्तर सुनिश्चित करें, 40 किलो सल्फर आदि उर्वरक बुआई के समय या शीर्ष ड्रेसिंग के रूप में मिटटी में मिलाएं। ये पोषक तत्व पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक हैं।

जैविक प्रवंधन - फसल में पोधो के विकास के लिए जैविक प्रवंधन को अपनाया जा सकता है। उन्नत फसल प्रवंधन के लिए 100 टन गोबर की खाद, या 25 टन केंचुआ की खाद (earthworm)पर्याप्त होती है।

फसल कटाई और प्रसस्करण प्रक्रिया

फसल अवधि पूरी होने पर सरसो की फलियों की कटाई की जाती है। जब सरसों की फलियों का रंग हल्का नीला हो और फलियां सूख जाएं तब यह कटाई के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

फसल की प्रसस्करण के समय सूखने पर बीज निकालने के लिए आप स्थानीय पारंपरिक तरीकों जैसे बंडलों को पीटना या आधुनिक थ्रेशिंग मशीनों का उपयोग कर सकते हैं। थ्रेशिंग के पश्चात सरसों के बीजों को उनकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सूखी जगह का चुनाव करें।

टिप्पणियाँ