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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संधारणीय कृषि: एक जिम्मेदार भविष्य का निर्माण

सतत कृषि का मतलब है फसल को इस तरह उगाना जो अभी और भविष्य में भी पर्यावरण के लिए अनुकूल हो, किसानों के लिए सही हो, और समुदायों के लिए सुरक्षित हो। हानिकारक रसायनों का उपयोग करने या मिट्टी को नुकसान पहुँचाने के बजाय यह फसलों को बदलने, खाद का उपयोग करने और पानी बचाने जैसे प्राकृतिक तरीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह दृष्टिकोण न केवल प्रकृति की रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि किसानों की लागत कम करके और उन्हें एक स्थिर आय अर्जित करने में भी मदद करता है। इसका मतलब यह भी है कि हम जो खाना खाते हैं वह ताज़ा, स्वस्थ और अधिक जिम्मेदारी से उत्पादित हो सकता है। ऐसी दुनिया में जहाँ जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और खाद्य असुरक्षा वास्तविक समस्याएँ हैं, टिकाऊ कृषि एक बेहतर, दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है जो सभी को लाभान्वित करती है - हमारी फसल को उगाने वाले लोगों से लेकर इसे खाने वाले लोगों तक। छात्रों सहित युवा लोगों को यह सीखकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए कि उनका भोजन कहाँ से आता है और ऐसे विकल्प चुनें जो एक स्वस्थ ग्रह का समर्थन करते हैं। संधारणीय कृषि क्या है? मृदा अपरदन, जलवायु परिवर्तन और खा...

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

सरकार किसानों के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाती रहती है. फसल बीमा योजना भी उनमें से एक है. जिससे किसान अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकें। इस लेख में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इस समाधान के परिणामस्वरूप सफल बीमा कवर प्राप्त होता है। फसल बीमा योजना (PMFBY) सरकार किसानों के लिए फसल बीमा के रूप में सौगात लेकर आई है। इसे खरीफ 2016 से लागू किया गया है। यह योजना देश भर के किसानों के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल बीमा एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभावी लाभकारी योजना है। इस योजना की शुरुआत 13 जनवरी 2016 को की गई थी। इस योजना के माध्यम से देश के किसानों के हितों और उनके भविष्य की रक्षा करने का काम किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। जिससे किसान भाइयों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने PMFBYSCHEME की शुरुआत की। ताकि किसानों को उनकी फसलों को होने वाले नुकसान से र...

समृद्धि की ओर एक किसान की यात्रा

भारत में किसानों की आय बढ़ाना एक जटिल चुनौती है। जिसमें फसल उत्पादन, बाजार की सही जानकारी, सरकारी की नीतियाँ, वर्तमान तकनीक, ग्रामीण बुनियादी ढाँचा और विविधीकरण जैसे विभिन्न आयामों को संबोधित किया जाता है। सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएँ शुरू की हैं और ये प्रयास कुछ प्रमुख आयामों के इर्द-गिर्द संरचित हैं। भारत में किसानों की आय में वृद्धि सरकार और कृषि हितधारकों दोनों के लिए एक प्राथमिकता है क्योंकि खेती आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए एक प्राथमिक आजीविका बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की उत्पादकता बढ़ाना, आय स्थिरता रखना और समग्र आर्थिक स्थितियों को प्रभावित किये बिना जारी रखना आमदनी में एक चुनौती बनी हुई हैं। यहां भारत में किसानों की आय बढ़ाने के लिए वर्तमान परिदृश्य, चुनौतियों और प्रस्तावित योजनाओं और कार्यों पर चर्चा की गई है। भारतीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक खेती से परे नवाचार और एक नई रणनीति की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित कुछ विशिष्ट और रचनात्मक तरीके हैं जो किसान अपने राजस्व को बढ़ावा दे सकते हैं भारत में किसानों की आय बढ़ाना भारत म...

पेट्रोल पर सब्सिडी का प्रावधान

झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार पेट्रोल सब्सिडी योजना की शुरुआत दुमका से कर रही है। झारखंड पेट्रोल सब्सिडी 2022 का पंजीकरण 26 जनवरी से किया जा सकता है। साथ ही, पेट्रोल सब्सिडी देने का उद्देश्य, पूरी जानकारी, महत्वपूर्ण दस्तावेज आदि दिए गए हैं। तो इस जानकारी के माध्यम से आप आसानी से पेट्रोल सब्सिडी का लाभ उठा पाएंगे। झारखण्ड सरकार की petrol subsidy योजना प्रक्रिया जानने के लिए बिस्तार से बात करेंगे। सरकार पेट्रोल पर सब्सिडी के तहत 25 /- प्रति लीटर की छूट सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में वाहन स्वामियों को देने का प्रावधान है। यह योजना 26 जनवरी 2022 से लागू होगी। पेट्रोल सब्सिडी योजना पेट्रोल सब्सिडी योजना के तहत लाभार्थी को पेट्रोल की खरीद पर ₹25 प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाएगी। यह 250/- रुपये की सब्सिडी हर महीने सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी। पेट्रोल सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए झारखंड का निवासी होना अनिवार्य है। इससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी। पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से जनता परेशान है। जिससे आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों पर बोझ पड़ रहा है। इसी को ध्यान में र...

कटंगा बांस की खेती से मिलेगी आमदनी

किसान गांव में खाली पड़ी बंजर भूमि पर हरा सोना कहा जाने वाली फसल कटंगा बॉस की खेती कर सकेंगे। केंद्र सरकार उनकी जिदगी में खुशहाली लाने का प्रयास कर रही है। जैसा कि नाम से व्याप्त है। कटंगा बांस यानी इसे बंबूसाबांबू कांटेदार बांस कहते हैं। कटंगा बांस को सबसे मजबूत Bans कहते हैं। यह नदी, तालाब, नहर के समीप लगाए जा सकते हैं। बशर्ते वहां जलभराव ना हो। किसी भी बांस को अधिक जलभराव की आवश्यकता नहीं होती। बाम्बू को शुष्क एवं नम जलवायु वाले क्षेत्रों जैसे उत्तर पूर्व राज्य आंध्र प्रदेश ,मेघालय, त्रिपुरा ,मिजोरम में अच्छी तरह विकसित होते देखा जा सकता है। कटंगा बांस की खेती से मिलेगी आमदनी इसकी लंबाई लगभग 70 फीट तक हो सकती है। कटंगा बांस 2 से 3 साल में काटने योग्य हो जाता है। कटंगा बांस की पत्तियां 1.5 इंच चौड़ी एवं लगभग 4 इंच लंबी होती है। जो बांस के ऊपरी हिस्से में पाई जाती है। इसकी पोर से पोर की दूरी 3 से 4 इंच होती है। इस पर सबसे कम पत्तियां होती है। कटंगा बांस की जड़ें जमीन में लगभग 3 से 4 फुट तक होती है। कटंगा बांस की खेती | Katanga Bamboo Farming बाँस Bamboo काफी समय से मनुष्य का साथी बना ...

खेत खरीदने के लिए 80% तक आसान लोन

भारतीय स्टेट बैंक भूमि खरीद ऋण योजना के तहत ऋण प्रदान कर रहा है। लेकिन कुछ सामान्य जानकारी सभी बैंकों में लगभग एक जैसी ही होती है. यहां हम एसबीआई भूमि खरीद योजना के बारे में बात कर रहे हैं। आप अपनी जरूरत और आवश्यकता के अनुसार जानकारी लेकर आवेदन कर सकते हैं। इस योजना और इसकी पूरी जानकारी के लिए आप कृषि ग्रामीण कृषि बैंकिंग भूमि खरीद योजना पर जा सकते हैं। इच्छुक किसानों की मदद के लिए एसबीआई सबसे आगे आया है। कृषि भूमि खरीद लोन योजना अगर आप खेती के लिए भूमि ऋण लेना चाहते हैं तो आप भारतीय स्टेट बैंक से भूमि ऋण ले सकते हैं। सरकार कृषि भूमि क्रय योजना के तहत भूमि ऋण दे रही है। जो किसान खेती करना चाहते हैं उनके लिए एसबीआई की भूमि खरीद योजना काफी फायदेमंद साबित होगी। जिनके पास जमीन नहीं है. या फिर खेती करते हैं. जिनके पास 2.5 एकड़ सिंचित भूमि और 5 एकड़ से कम असिंचित भूमि है। वह एसबीआई लैंड लोन ले सकते हैं. भूमि ऋण योजना का लाभ देश का कोई भी किसान उठा सकता है। इस योजना में, छोटे और सीमांत किसान, भूमिहीन किसान और अन्य लोग भूमि स्वामित्व को बढ़ावा देने और बंजर और परती भूमि को खेती के लिए उपयु...

मधुमक्खी पालन बन रहा कमाई का अच्छा जरिया

Madhumakhi Palan kaise karen मधुमक्खी पालन कैसे करें 2023 ? मधुमक्खी पालन bee keepimg पुरे भारत मे कहीं भी किया जा सकता है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बहुत लोग मधुमक्खी पालन करते हैं। मधुमक्खी एक फ्लाइग कीट है। जो हर रोज अपने छत्ते के निर्माण और शहद के बनाने तथा इकट्ठा करती रहती है।मधुमक्खी का मुख्य काम शहद बनाकर अपने छत्ते मै इकट्ठा करना है जो कि एक निरंतर प्रक्रिया है। MadhuMakkhee Palan Kaise Karen? मधुमक्खी पालन Bee keeping के लिए समय का चुनाव उपयुक्त होना चाहिए। मधुमक्खी की प्रजातियों (bee species) की बात करें तो इनकी कुल लगभग 40 प्रजातियों के साथ मधुमक्खी की सिर्फ 8 जीवित प्रजातियां को मान्यता दी गई है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो 8 से 10 प्रजातियों को मान्यता दी गई है। विश्व में लगभग मधुमक्खी की 18000 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से भारत में सिर्फ चार प्रकार की मधुमक्खियां पाई जाती है। भारत में पाई जाने वाली मधुमक्खी एपिस सेराना एपिस फ़्लोरिया एपिस डोरसाता एपिस मेलीफेरा आदि मधुमक्खियां भारत में पाई जाती है। MadhuMakkhee Palan Kaise Karen? मधुमक्खी एपिस डोरसाता (wild honey bee) जं...

बांस की खेती की संपूर्ण जानकारी

बांस एक ऐसा पौधा है जो एक बार लगाने के बाद तीन साल के बाद हर साल बिकता है जो कम देख रेख तथा कम पानी मे भी बड़ी आसानी से उग जाता है | और पुरे साल हरा भरा रहता है। इसलिए कम लगत में Bans ki Kheti आसान है। बास को हरी सोने के परिवेश के रूप में जाना जाता है। यह एक फूल वाली स्थाई और सदाबहार पौधा है जो घास से संबंधित है। बॉस से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते है। जिससे बांस की खेती करना आसान हो जाता है। बांस की खेती कैसे करें? आज हम बॉस के बारे में बात करने जा रहे है। यहाँ Bamboo Business idea के बारे में जानकारी दी गयी है। यहाँ आपको आसान भाषा में Bans ki सफल kheti के बारे में बताया गया है। इसकी खेती किसानो केलिए फायदेमंद साबित हो रही है। जिससे किसान अच्छा मुनाफा है।  तो जानते है बांस की खेती कैसे होती है? भारत में सबसे अधिक बांस उत्तर पूर्व राज्य आंध्र प्रदेश ,असम ,मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम में होता है।  Bamboo की आवश्यकता को देखते हुए देश में छत्तीसगढ़ तमिलनाडु झारखंड मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश केरल मैं भी Bans ki kheti की जाती है। बांस का उत्पादन Production सबसे अधिक चीन में होता है भारत बा...