Latest post
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
किसान प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहे है। प्राकृतिक खेती एक प्रकार की स्थायी कृषि पद्धति है। जिसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे मानव निर्मित आधुनिक सिंथेटिक वाले आदानों के उपयोग से कृषि को बचने के बारे में, यह हानिकारक रसायनों के प्रयोग को कम करना या समाप्त करना है। यह जैव आधारित उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन करते हुए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और जैव विविधता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इस दृष्टिकोण को अक्सर स्थिरता, पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ खाद्य फसल उत्पादन से जुड़ा होता है।
प्राकृतिक खेती के प्रमुख सिद्धांत
प्राकृतिक खेती प्रकृति के बहुत नजदीक मानी जाती है। जो पूर्णतः प्रकृति के उपहार पर आश्रित है। यह प्रकृति के प्रमुख सिद्धांतों पर कार्य करती है। इस खेती की सफलता की राह प्राकृतिक खाद से होकर जाती है। यह मिट्टी को पोषण देने और फसलों की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक प्रक्रियाओं और जैविक सामग्रियों पर निर्भर करता है।
मृदा स्वास्थ्य
- खाद बनाना, कवर फसल और फसल चक्र जैसी प्रथाओं के माध्यम से स्वस्थ मिट्टी का निर्माण और रखरखाव करना।
- खेत में मिट्टी की उर्वरता और सूक्ष्मजीवी, किसानमित्र कीट की गतिविधि को बढ़ाना।
जैव विविधता
- पौधों, जानवरों और लाभकारी कीड़ों सहित खेतों पर एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना।
- प्राकृतिक कीट नियंत्रण और परागण को प्रोत्साहित करना।
बंद-लूप सिस्टम
- कृषि के अपशिष्ट और बाहरी सामिग्री इनपुट पर निर्भरता को कम करने के लिए खेत के भीतर मौजूद पोषक तत्वों और कार्बनिक पदार्थों को फसल के योग्य बनाना।
- प्राकृतिक या जैविक उत्पादों के लिए बाज़ार तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।स्थानीय कृषि बाज़ार जो स्थानीय खाद्य प्रणालियों का समर्थन करता है। जो परिवहन-संबंधी उत्सर्जन को कम करता है।
स्थानीय अनुकूलन
- सही कृषि पद्धतियों को अपनाकर विशिष्ट स्थानीय परिस्थितियों और जलवायु के अनुकूल बनाकर स्थानीय कृषि तैयार करना।
- सही एवं उचित मार्गदर्शन से किसानों के बीच समुदाय और सहयोग की नीव रखना। किसानो को उच्च सामुदायिक सहभागिता की भावना को बढ़ावा देकर सम्मिलित कृषि को अपनाना।
- जैविक खाद, फसल चक्र, वर्मी कम्पोस्ट और मिटटी की जाँच जैसी प्रथाओं को अपनाकर फसल के लिए उचित माहौल पैदा करें। मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों के सही अनुपात से मृदा स्वास्थ्य में सुधार करने पर ध्यान दें।
प्राकृतिक खेती के लाभ
नेचुरल फार्मिंग कृषि में लागु होने पर किसानो को लाभ तो देती ही है। साथ ही मृदा एवं जल प्रदुषण को रोकने में सहायक होती है। प्रयवरणीय प्रतिकूल परिस्थियों को नियंत्रित करती है।
- कृषि से पर्यावरणीय स्थिरता
कृषि में उपयोग होने बाले रासायनिक खाद व अन्य कैमिकल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करता है। यह रासायनिक उर्वरक सिचाई के माध्यम से जल प्रदुषण का कारण बनते है। यह जल प्रदुषण को नियंत्रित एवं संरक्षण का कार्य करता है। प्राकृतिक खेती पर्यावरणीय स्थिरता को बनाये रखने में सहायक है।
- आर्थिक बचत की सुरक्षा
फसल को महंगे सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता को सीमित करता है। यह आर्थिक बचत के साथ जीवन हानि की सुरक्षा करता है। प्राकृतिक खेती को अपनाने से उच्च गुणवत्ता, स्वस्थ भोजन की कामना संभव है। प्राकृतिक खेती के फायदों की जागरूकता के कारण प्राकृतिक उत्पादों के लिए बाज़ार में कीमतें अधिक हो सकती हैं।
- किसानो को सामाजिक लाभ
कृषि की स्थानीय प्रणाली को अपनाकर अर्थव्यवस्थाओं और किसान सहायता समुदायों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करता है। यह पौष्टिक भोजन तक अपनी पहुंच होने से स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है। और ग्रामीण आजीविका में सुधार करता है।
- किसानों की स्वायत्तता में वृद्धि
कृषि में सिंथेटिक खाद के उपयोग पर निर्भरता कम करता है, जिससे किसान के अधिक आत्मनिर्भर बनने के रास्ते खुलते हैं।
- कृषि सीखने की अवस्था
किसानों को कृषि की नई तकनीकों और प्रथाओं को सीखने और उसे अपनाने की आवश्यकता हो सकती है।फसल की बुबाई के बाद जमने तक जो संभावित नन्हे पौधों के उपज में उतार-चढ़ाव होता है उसे बीज गुणवत्ता, नमी एवं पोषकतत्वों की कमी की वजह को जानना चाहिए। यह संक्रमण से प्रारंभिक चरण में पैदावार भिन्न हो सकती है।
इन चुनौतियों के बावजूद, प्राकृतिक खेती टिकाऊ कृषि के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें